Chrome में Third-Party Cookies रहेंगे कायम, गूगल की योजना एक बार फिर टली

Tech News: गूगल (Google) ने थर्ड-पार्टी कुकीज़ (Third-Party Cookies) खत्म करने की प्राइवेसी सैंडबॉक्स योजना फिलहाल स्थगित कर दी है। कंपनी यूज़र्स को मौजूदा कुकी विकल्प देती रहेगी। हालांकि, Privacy Sandbox APIs और IP Protection जैसे टूल्स पर काम जारी है, लेकिन उद्योग में इस योजना को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।

Samvadika Desk
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Image - Google Chrome Privacy | Samvadika
Highlights
  • गूगल ने थर्ड-पार्टी कुकीज़ हटाने की योजना फिलहाल टाल दी है।
  • यूज़र्स को थर्ड-पार्टी कुकीज़ पर मौजूदा विकल्प ही मिलेंगे।
  • गूगल प्राइवेसी सैंडबॉक्स APIs पर अब भी काम जारी रखेगा।
  • गोपनीयता और विज्ञापन के बीच संतुलन अब भी एक चुनौती है।

नई दिल्ली: गूगल ने क्रोम ब्राउज़र में थर्ड-पार्टी कुकीज़ (Third-Party Cookies) को खत्म करने की अपनी बहुचर्चित प्राइवेसी सैंडबॉक्स (Privacy Sandbox) योजना को फिलहाल टाल दिया है, और Privacy Sandbox को लेकर अनिश्चितता बरकरार है। गूगल प्राइवेसी सैंडबॉक्स के उपाध्यक्ष एंथनी चावेज (Anthony Chavez) ने मंगलवार को घोषणा की कि कंपनी अब यूज़र्स को थर्ड-पार्टी कुकीज़ के इस्तेमाल पर मौजूदा विकल्प देने की नीति को ही बनाए रखेगी। इस फैसले ने तकनीकी और विज्ञापन उद्योग में हलचल मचा दी है, क्योंकि गूगल पिछले पाँच साल से इस योजना पर काम कर रहा था।

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प्राइवेसी सैंडबॉक्स की शुरुआत 2020 में हुई थी, जब गूगल ने घोषणा की थी कि वह फ़ायरफ़ॉक्स (FireFox) और सफ़ारी (Safari) की तरह क्रोम में थर्ड-पार्टी कुकीज़ को डिफ़ॉल्ट रूप से ब्लॉक करेगा। इन कुकीज़ का इस्तेमाल वेबसाइट्स यूज़र की गतिविधियों को ट्रैक करने और लक्षित विज्ञापन (Targeted Advertising) दिखाने के लिए करती हैं। गूगल ने इसके विकल्प के रूप में टॉपिक्स एपीआई (Topics API) जैसे टूल्स प्रस्तावित किए, जो यूज़र की रुचियों को उनकी वेब गतिविधियों के आधार पर श्रेणियों में बाँटकर विज्ञापन दिखाते, लेकिन निजी जानकारी को सुरक्षित रखने का दावा करते। हालांकि, इस योजना को कई बार देरी, आलोचना, और नियामक जाँच का सामना करना पड़ा।

आलोचकों का कहना है कि प्राइवेसी सैंडबॉक्स विज्ञापनदाताओं (Advertisers) के लिए नुकसानदेह हो सकता था और गोपनीयता (Privacy) के दावों के बावजूद यूज़र ट्रैकिंग को पूरी तरह नहीं रोकता। इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फ़ाउंडेशन (EFF) ने यूज़र्स से इस प्रोग्राम से बाहर रहने को कहा, क्योंकि यह “गूगल के व्यवहार-आधारित विज्ञापन (Behavioral Advertising) के लिए इंटरनेट यूज़ को ट्रैक करता है।” पिछले हफ़्ते, एक अमेरिकी जज ने गूगल पर विज्ञापन प्रौद्योगिकी (Advertising Technology) उद्योग में “प्रतिस्पर्धा-विरोधी कृत्यों” का आरोप लगाया। साथ ही, यूके की कॉम्पिटिशन एंड मार्केट्स अथॉरिटी (CMA) ने इस योजना की जाँच की, क्योंकि इससे गूगल को अनुचित लाभ मिल सकता था।

The Verge की रिपोर्ट के अनुसार, शावेज़ ने अपने बयान में कहा, “पब्लिशर्स, डेवलपर्स, नियामकों, और विज्ञापन उद्योग के साथ बातचीत से साफ़ है कि थर्ड-पार्टी कुकीज़ की उपलब्धता को बदलने पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं।” उन्होंने बताया कि गूगल अब “थर्ड-पार्टी कुकीज़ के लिए नया स्टैंडअलोन प्रॉम्प्ट” लॉन्च नहीं करेगा। इसका मतलब है कि क्रोम यूज़र्स को कुकीज़ ब्लॉक करने का विकल्प मैन्युअल रूप से चुनना होगा, जैसा अभी होता है।

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मूवमेंट फ़ॉर एन ओपन वेब (MOW), जिसने 2020 में CMA में इस योजना के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की थी, ने इसे गूगल की हार माना। MOW के सह-संस्थापक जेम्स रोज़वेल ने कहा, “गूगल का मकसद खुले और अंतरसंचालनीय संचार मानकों (Interoperable Communication Standards) को हटाकर डिजिटल विज्ञापन ट्रैफ़िक पर एकछत्र नियंत्रण करना था। इस घोषणा के साथ, वह मकसद खत्म हो गया। नियामक बाधाएँ उनके एकाधिकारवादी प्रोजेक्ट के लिए अजेय साबित हुईं।”

हालांकि, गूगल अब भी Privacy Sandbox से जुड़े API पर काम कर रहा है, लेकिन मौजूदा मॉडल पर कायम है। कंपनी ने कहा कि वह प्राइवेसी सैंडबॉक्स एपीआईज़ को विकसित करना और निवेश करना जारी रखेगी। साथ ही, इनकॉग्निटो मोड में आईपी प्रोटेक्शन (IP Protection) जैसी नई गोपनीयता सुविधाएँ जोड़ी जाएँगी, जो क्रॉस-साइट ट्रैकिंग को रोकने के लिए यूज़र के आईपी एड्रेस (IP Address) को छिपाएगी। लेकिन विज्ञापन उद्योग में कई लोग मानते हैं कि थर्ड-पार्टी कुकीज़ का इस्तेमाल स्वेच्छा से बंद नहीं होगा, क्योंकि ये लक्षित विज्ञापन के लिए ज़रूरी हैं।

यह फैसला गूगल के लिए क़ानूनी और नियामक दबावों का भी परिणाम है। हाल ही में गूगल तीन एंटीट्रस्ट केस (Antitrust Cases) हार चुका है, जिनमें से दो—सर्च और विज्ञापन प्रौद्योगिकी—इस मामले से जुड़े हैं। CMA और ICO (Information Commissioner’s Office) जैसे नियामक गूगल की योजनाओं पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि प्राइवेसी सैंडबॉक्स को पूरी तरह लागू करने से गूगल को और ज़्यादा नियामक जाँच का सामना करना पड़ सकता था, जो उसकी बाज़ार स्थिति को कमज़ोर कर सकता था।

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इस बदलाव का असर यूज़र्स, विज्ञापनदाताओं, और वेब डेवलपर्स पर पड़ेगा। यूज़र्स को अब भी गोपनीयता के लिए मैन्युअल सेटिंग्स पर निर्भर रहना होगा, जबकि विज्ञापनदाता कुकीज़-आधारित लक्षित विज्ञापनों पर भरोसा करते रह सकते हैं। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या गूगल भविष्य में गोपनीयता और विज्ञापन के बीच संतुलन बना पाएगा, या यह नियामक दबावों और उद्योग की माँगों के बीच फँसा रहेगा।

अब ये देखना दिलचस्प हो सकता है कि गूगल की थर्ड-पार्टी कुकीज़ नीति में बदलाव से इंटरनेट गोपनीयता और विज्ञापन उद्योग पर क्या असर होगा?

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