आजमगढ़, उत्तर प्रदेश: आजमगढ़ के फूलपुर तहसील में एक प्रेम कहानी ने सबका दिल जीत लिया। रम्मौपुर गाँव की तमन्ना, जो अब तनु मौर्य के नाम से जानी जाती हैं, ने अपने प्रेमी चंदन मौर्य के साथ प्राचीन शिव मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी रचा ली। इस जोड़े ने न सिर्फ धर्म की दीवारें तोड़ीं, बल्कि सामाजिक बंधनों को भी चुनौती दी। तमन्ना के परिवार ने इस शादी में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन चंदन के घरवालों ने इस रिश्ते को गले लगाया।
तीन साल का प्यार, कोर्ट मैरिज
रम्मौपुर गाँव के चंदन मौर्य, जिनके पिता शेषनाथ हैं, और तमन्ना, जिनके पिता अनवर अहमद हैं, पिछले तीन साल से एक-दूसरे के प्यार में थे। अलग-अलग धर्मों के बावजूद, दोनों ने एक साल पहले कोर्ट मैरिज कर अपने रिश्ते को कानूनी जामा पहनाया। यह फैसला आसान नहीं था, क्योंकि दोनों के परिवारों में मतभेद थे। फिर भी, प्यार ने सारी रुकावटों को पार कर लिया।
घर से भागे, पुलिस ने ढूँढा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 मई 2025 को तमन्ना और चंदन घर से भाग गए। तमन्ना के परिवार ने दीदारगंज थाने में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 1 जुलाई को दोनों को ढूँढ निकाला। कोर्ट मैरिज के दस्तावेज देखने के बाद पुलिस ने साफ किया कि दोनों बालिग हैं और उनकी शादी उनकी मर्जी से हुई है। पुलिस ने दोनों पक्षों को शांति बनाए रखने की हिदायत दी।
मंदिर में बंधा रिश्ता
तमन्ना ने हिंदू धर्म अपनाकर अपना नाम तनु मौर्य रख लिया। शनिवार, 5 जुलाई 2025 को फूलपुर के मकसुदिया में प्राचीन शिव मंदिर में दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी की। इस समारोह में तनु का परिवार नहीं आया, लेकिन चंदन के परिजनों ने उन्हें स्वीकार किया। यह शादी गाँव में चर्चा का विषय बन गई।
गाँव में तनाव, पुलिस की सख्ती
दीदारगंज थानाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने स्थानीय पत्रकार को बताया कि दोनों परिवार एक ही गाँव के हैं, जिससे पहले कुछ तनाव हुआ था। पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाया और शांति भंग न करने की चेतावनी दी। कानून के मुताबिक, चूंकि दोनों बालिग हैं, उनकी शादी वैध है। पुलिस ने निष्पक्ष रहकर मामले को शांत करने की कोशिश की।
प्यार की जीत
यह प्रेम कहानी न सिर्फ तनु और चंदन की हिम्मत को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्यार धर्म और समाज की दीवारों को तोड़ सकता है। गाँव में कुछ लोग इसे गलत मान रहे हैं, लेकिन कई इसे प्यार की मिसाल के रूप में देख रहे हैं।
समाज के लिए संदेश
यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि प्यार और सहमति के सामने धार्मिक और सामाजिक बंधन कमजोर पड़ सकते हैं। यह प्रशासन से भी शांति और सौहार्द बनाए रखने की माँग करती है, ताकि ऐसी कहानियाँ प्रेरणा बनें, न कि विवाद का कारण।

