दुल्हन सज चुकी थी, मंडप भी तैयार था तभी दूल्हा बोला और बदल गई कहानी

UP News: गाज़ीपुर में एक शादी का मंडप तब जंग का मैदान बन गया जब जयमाल के बाद दूल्हे ने अचानक दहेज की मांग कर दी। सज-धज कर बैठी दुल्हन और उसके परिजनों ने ऐसी मांग पर शादी से इनकार कर दिया और बारात को बिना विदाई लौटना पड़ा। यह मामला अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Samvadika Desk
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जयमाल के बाद दूल्हे ने रखी दहेज की शर्त (AI जनित प्रतीकात्मक तस्वीर)
Highlights
  • गाज़ीपुर में दूल्हे की दहेज मांग ने शादी को बना दिया तमाशा।
  • मंडप में मचा हंगामा, बारात लौटी बिना दुल्हन।
  • दहेज की मांग पर टूट गई खुशियों की डोरी।
  • FIR दर्ज, दूल्हा और उसके पिता पर केस।

गाजीपुर, उत्तर प्रदेश: शादी हर लड़की के लिए एक सपना होती है, जिसमें वह अपने राजकुमार के साथ सात फेरे लेकर नई जिंदगी की शुरुआत करती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक दुल्हन के सपने उस वक्त चकनाचूर हो गए, जब जयमाला की रस्म के बाद दूल्हा दहेज की मांग पर अड़ गया। सात फेरे लेने से पहले दूल्हे ने 2 लाख रुपये नकद और गाड़ी की मांग की, और जब दुल्हन का परिवार इसे पूरा नहीं कर सका, तो बारात लौटा दी गई। इस घटना में मारपीट और गाली-गलौज तक हुई, जिसके बाद दुल्हन ने हिम्मत दिखाते हुए दूल्हे और उसके परिजनों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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शादी का उत्साह और टूटा विश्वास

जानकारी के मुताबिक, यह मामला गाजीपुर के रेवतीपुर थाना क्षेत्र के उधरनपुर गाँव का है। 16 अप्रैल 2025 को एक लड़की की शादी सुहवल थाना क्षेत्र के ताड़ीघाट निवासी दुर्गेश कुमार के साथ तय हुई थी। शादी की तैयारियाँ जोर-शोर से की गई थीं। दुल्हन के परिवार ने लाखों रुपये खर्च कर मेहमानों के स्वागत और रस्मों की व्यवस्था की। बारात धूमधाम से आई, बैंड-बाजे की धुनों के बीच जयमाला की रस्म भी पूरी हुई। सभी खुशी-खुशी सात फेरों की तैयारी में जुटे थे, लेकिन तभी दूल्हे ने एक ऐसी मांग रख दी, जिसने पूरे माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।

दुर्गेश ने दुल्हन के परिवार से साफ शब्दों में कहा, “मुझे 2 लाख रुपये नकद और एक गाड़ी दहेज में चाहिए। अगर यह नहीं मिला, तो मैं शादी नहीं करूँगा और बारात वापस ले जाऊँगा।” यह सुनकर दुल्हन के परिवार के होश उड़ गए। दुल्हन के पिता ने उसे समझाने की कोशिश की और बताया कि शादी में पहले ही उनका सारा पैसा खर्च हो चुका है। उन्होंने कहा, “मेरी इतनी औकात नहीं कि मैं अब इतना पैसा दे सकूँ।” लेकिन दूल्हा अपनी जिद पर अड़ा रहा और उसका परिवार भी उसका साथ देने लगा।

मारपीट और गाली-गलौज का मंजर

बात इतनी बढ़ गई कि दूल्हे पक्ष ने दुल्हन के परिवार के साथ गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी। दुल्हन का भाई, जो अपनी बहन और परिवार को बचाने के लिए बीच-बचाव करने गया, उसे भी दूल्हे और उसके परिजनों ने पीट दिया। इस दौरान दूल्हे ने अपमानजनक शब्दों में कहा, “जब तुम्हारी औकात नहीं थी, तो शादी क्यों तय की? जब तक 2 लाख रुपये नकद और गाड़ी नहीं दोगे, शादी नहीं होगी।” उसने धमकी भी दी कि अगर इस मामले की शिकायत पुलिस में की गई, तो वह जान से मार देगा।

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यह मंजर देखकर शादी में मौजूद मेहमान स्तब्ध रह गए। दुल्हन, जो सजी-धजी अपने नए जीवन की शुरुआत का इंतजार कर रही थी, का दिल टूट गया। आखिरकार, दूल्हा अपनी बारात लेकर वापस लौट गया, और शादी का माहौल गम में बदल गया।

दुल्हन की हिम्मत: पुलिस में शिकायत

इस घटना ने दुल्हन और उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया, लेकिन दुल्हन ने हार नहीं मानी। उसने हिम्मत जुटाकर रेवतीपुर थाने में दूल्हे दुर्गेश कुमार और उसके सात परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसने दहेज की मांग, मारपीट और अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी है।

पुलिस का कहना है कि इस मामले में दहेज उत्पीड़न और हिंसा से संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। दुल्हन के परिवार ने भी पुलिस से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि दोषियों को सजा मिले और ऐसी घटनाएँ भविष्य में न हों।

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दहेज: एक सामाजिक अभिशाप

यह घटना एक बार फिर दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को उजागर करती है। भारत में दहेज आज भी कई परिवारों के लिए एक बोझ बना हुआ है, और यह प्रथा न केवल आर्थिक दबाव डालती है, बल्कि रिश्तों को भी तोड़ देती है। इस मामले में दूल्हे की दहेज की मांग ने न केवल एक लड़की के सपनों को चूर किया, बल्कि उसके परिवार को भी अपमान और हिंसा का सामना करना पड़ा।

दहेज की मांग के कारण शादियाँ टूटना, रिश्तों में दरार पड़ना और यहाँ तक कि दुल्हन के परिवार पर हिंसा जैसी घटनाएँ समाज के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। यह मामला उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो दहेज को शादी का हिस्सा मानते हैं।

सामाजिक और कानूनी पहलू

यह घटना समाज में दहेज विरोधी जागरूकता की जरूरत को रेखांकित करती है। सरकार ने दहेज निषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों को अपराध घोषित किया है, फिर भी यह प्रथा कई जगहों पर बदस्तूर जारी है। इस मामले में पुलिस की त्वरित कार्रवाई और दुल्हन की हिम्मत एक सकारात्मक संदेश देती है कि दहेज के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है।

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साथ ही, यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि शादी जैसे पवित्र बंधन को आर्थिक लेन-देन का हिस्सा क्यों बनाया जाता है। दहेज की मांग करने वाले लोग न केवल कानून का उल्लंघन करते हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों को भी ठेस पहुँचाते हैं।

क्या टूटे सपनों को मिलेगा इंसाफ?

गाजीपुर का यह मामला एक दुल्हन के टूटे सपनों की दर्दनाक कहानी है, लेकिन यह उसकी हिम्मत और आत्मसम्मान की भी मिसाल है। जयमाला के बाद सात फेरे से पहले दहेज की मांग और बारात लौटाने की घटना ने न केवल दुल्हन के परिवार को आघात पहुँचाया, बल्कि यह समाज के लिए एक सबक भी है। दुल्हन ने थाने में शिकायत दर्ज कर यह साबित किया कि वह अपने साथ हुए अन्याय को चुपचाप सहन नहीं करेगी।

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पुलिस की जांच और कानूनी कार्रवाई इस मामले की दिशा तय करेगी। क्या दुल्हन को इंसाफ मिलेगा? क्या दूल्हे और उसके परिजनों को उनकी हरकत की सजा मिलेगी? ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं, लेकिन यह घटना समाज को दहेज जैसी कुरीति के खिलाफ एकजुट होने और ऐसी प्रथाओं को जड़ से खत्म करने की जरूरत को रेखांकित करती है। यह समय है कि हम शादियों को प्यार और विश्वास का उत्सव बनाएँ, न कि दहेज और लालच का अड्डा।

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