कुशीनगर, उत्तर प्रदेश: प्यार की कोई सीमा नहीं होती, यह बात कुशीनगर के खैरटिया शीतलापुर गाँव में साबित हुई, जहाँ सोनू नाम के एक युवक ने लिंग परिवर्तन कर सोनिया बनकर अपने प्रेमी प्रेम कुमार के साथ प्राचीन शिव मंदिर में सात फेरे लिए। यह अनोखी शादी न केवल सामाजिक परंपराओं को चुनौती देती है, बल्कि सच्चे प्यार की जीत का प्रतीक बन गई है। शादी का दृश्य और सोनिया की भावनाएँ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसने पूरे इलाके में चर्चा का माहौल बना दिया है।
मंदिर में सजी प्रेम की बेदी
नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के खैरटिया शीतलापुर गाँव के शिव मंदिर में 26 जून 2025 को सुबह से हलचल थी। फूलों से सजे मंदिर में लाल साड़ी में सजी सोनिया और प्रेम कुमार ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शादी की। मंत्रोच्चारण, वरमाला, और सिंदूर की रस्मों के साथ यह शादी किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं थी। गाँव के लोग शुरू में हैरान थे, लेकिन जैसे ही सात फेरे पूरे हुए, तालियों की गूंज ने माहौल को उत्सवी बना दिया। यह शादी न केवल दो दिलों का मिलन थी, बल्कि सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत भी दिखाती है।
सोनिया और प्रेम की प्रेम कहानी: सोनू से सोनिया बनी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनू ने लिंग परिवर्तन कर सोनिया बनने का फैसला लिया ताकि वह अपने सच्चे प्यार को जी सकें। शादी के बाद सोनिया ने खुलकर कहा, “प्रेम के साथ शादी करके मुझे लगता है कि मैंने खुद को और अपने प्यार को पा लिया। प्यार न लिंग देखता है, न समाज। हमारा बंधन आत्मा से है।” उनकी आँखों में खुशी के आँसू और आत्मविश्वास हर किसी को भावुक कर गया। प्रेम कुमार ने भी बेबाकी से कहा, “मुझे समाज के तानों का डर नहीं। सोनिया मेरा सच्चा साथी है, और मैं सात जन्मों तक उसका साथ निभाऊँगा।” प्रेम के ये शब्द मंदिर में मौजूद लोगों के दिलों को छू गए।
गाँव का रुख और सामाजिक स्वीकार्यता
शुरुआत में गाँव वालों को इस शादी पर विश्वास नहीं हुआ। कुछ लोग इसे परंपराओं के खिलाफ मान रहे थे, लेकिन जैसे ही शादी की रस्में पूरी हुईं, कई लोग तालियाँ बजाने लगे। यह घटना कुशीनगर के छोटे से गाँव में एक नई सोच की शुरुआत बन गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने इस अनोखी प्रेम कहानी को पूरे देश में चर्चा का विषय बना दिया। लोग इस जोड़े की हिम्मत और सच्चाई की तारीफ कर रहे हैं।
सामाजिक और भावनात्मक सवाल
यह शादी समाज से कई सवाल पूछती है। क्या प्यार को लिंग, परंपरा, या सामाजिक बंधनों में बाँधा जा सकता है? क्या समाज को ऐसी प्रेम कहानियों को खुलकर स्वीकार करने की जरूरत है? सोनिया और प्रेम की यह कहानी न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता की जीत है, बल्कि समाज को समावेशी और प्रेमपूर्ण बनने का संदेश भी देती है।