लखनऊ, उत्तर प्रदेश: रविवार को राजधानी में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सौ साल की यात्रा को निष्काम कर्म का सबसे बड़ा उदाहरण बताया। उन्होंने खुलासा किया कि दुनिया के कई देशों के राजदूत और हाई कमिश्नर उनसे अक्सर पूछते हैं – “आपका आरएसएस इतना बड़ा संगठन चलाता है, फंडिंग कहां से आती है?”
सीएम योगी ने हंसते हुए जवाब दिया:
“मैं उन्हें बताता हूं – न ओपेक देशों से पैसा आता है, न चर्चों से, न किसी विदेशी एजेंसी से। आरएसएस को समाज देता है। एक-एक स्वयंसेवक अपनी गाढ़ी कमाई से गुरु दक्षिणा देता है, समाज सहयोग करता है। यही ताकत है कि सौ साल में संघ ने कभी सेवा के साथ सौदेबाजी नहीं की।”
“निष्काम कर्म का जीता-जागता उदाहरण हैं मोहन भागवत जी”
मुख्य अतिथि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की मौजूदगी में सीएम योगी ने कहा:
“आज संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। मैं खुद स्वयंसेवक रहा हूं। संघ ने कभी जाति, मजहब, भाषा या क्षेत्र नहीं देखा। बाढ़ हो, भूकंप हो, महामारी हो – स्वयंसेवक सबसे पहले पीड़ित के पास पहुंचता है। यह निष्काम कर्म की शिक्षा भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में दी थी – ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’।”
“कुछ लोग सेवा को सौदा बना रहे, भारत की आत्मा पर प्रहार कर रहे”
सीएम ने बिना नाम लिए तंज कसा:
“दुनिया में कुछ लोग सेवा को व्यापार बनाते हैं। लोभ, लालच और दबाव से भारत की जनसांख्यिकी बदलने की कोशिश करते हैं। छल-कपट से भारत की आत्मा पर वार करते हैं। ऐसे समय में श्रीमद्भगवद्गीता ही नई प्रेरणा दे सकती है।”
उन्होंने गीता के श्लोक ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः’ का जिक्र करते हुए कहा:
“अपने कर्तव्य पर मर जाना बेहतर है, लेकिन स्वार्थ के लिए कर्तव्य छोड़ना पतन का कारण है।”
मोहन भागवत बोले – गीता ज्ञान का सार है, धर्मयुद्ध हमेशा लाभकारी
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा:
“गीता 18 अध्यायों में सारे ज्ञान का सार है। महाभारत में अर्जुन जिस तरह लड़खड़ा गए थे, आज दुनिया वैसी ही लड़खड़ा रही है। अर्जुन का सवाल था – अपने ही बंधुओं को कैसे मारूं? भगवान ने कहा – यह धर्मयुद्ध है, कर्म करो, फल की चिंता मत करो। दुनिया में जय-पराजय तय है, लेकिन धर्म के लिए लड़ते रहो। भारत कभी विश्वगुरु था, गुलामी में भी रहा, लेकिन भारत आज भी है और रहेगा।”
कार्यक्रम में सीएम योगी ने भारत की ‘जीयो और जीने दो’ की संस्कृति को दुनिया का संदेश बताया और कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता जीवन जीने की सबसे बड़ी प्रेरणा है।
संघ की शताब्दी और गीता के संदेश को जोड़ते हुए सीएम योगी ने साफ कहा – “जिस संगठन ने सौ साल तक समाज के पैसे से समाज की सेवा की, वही आज दुनिया को निष्काम कर्म का सबसे बड़ा उदाहरण दे रहा है।”

