कानपुर, उत्तर प्रदेश: मेरठ, औरैया और इंदौर में प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की खबरों ने देशभर में सनसनी मचा रखी है। इस डर ने कानपुर के रसूलाबाद में योगेश तिवारी को ऐसा झकझोरा कि उसने अपनी पत्नी सोनी की शादी उसके प्रेमी विकास से करा दी। डेढ़ माह पहले प्रेमी के साथ भागी सोनी सोमवार, 23 जून 2025 को घर लौटी थी। योगेश ने मंगलवार को गाँव के मंदिर में दोनों की शादी कराई और कहा, “रोज की कलह और हत्या का डर मुझे सता रहा था। यह कदम अपनी जान बचाने के लिए उठाया।”
बेवफाई और धमकियों का सिलसिला
जानकारी के मुताबिक, योगेश तिवारी, रसूलाबाद के भग्गा निवादा गाँव के रहने वाले किसान, ने 2010 में सांभी बिल्हौर की सोनी से शादी की थी। योगेश के मुताबिक, शादी के बाद से ही सोनी ने घर में कलह शुरू कर दी। वह बार-बार पुलिस में शिकायत कर उसे परेशान करती थी। 2016 में उसने दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज कराया। इसके बाद सोनी महीनों तक घर से गायब रहने लगी और पूछने पर जान से मारने की धमकी देती। डेढ़ माह पहले वह बिना बताए कन्नौज के विकास के साथ भाग गई। सोमवार को वह विकास के साथ लौटी और उसके साथ शादी करने की बात कही।
मंदिर में शादी, बेटा भी गया
योगेश ने तिश्ती चौकी पुलिस को सूचना दी कि वह सोनी की इच्छा का सम्मान करता है और उसकी शादी विकास से कराने को तैयार है। योगेश के अनुसार, पुलिस ने गाँव में ही शादी कराने को कहा। मंगलवार, 24 जून 2025 को योगेश ने अपने माता-पिता, रामऔतार और उर्मिला, की सहमति से गाँव के मंदिर में सोनी और विकास की शादी करा दी। जयमाल के फोटो, वीडियो और स्टांप पर लिखापढ़ी को साक्ष्य के तौर पर रखा गया। सोनी अपने 10 साल के बेटे को भी साथ ले गई। योगेश ने बताया कि सोनी का आचरण ऐसा था कि बेटे का परिवार से कोई लगाव नहीं रहा।
हत्याकांडों का डर
योगेश का कहना है कि मेरठ के सौरभ, औरैया के दिलीप और इंदौर के राजा रघुवंशी जैसे हत्याकांडों की खबरों ने उसे डरा दिया था। उसे लगता था कि अगर वह सोनी को नहीं छोड़ता, तो वह उसकी हत्या करवा सकती थी। रोज की कलह और धमकियों से तंग आकर उसने यह अनोखा कदम उठाया। योगेश ने कहा, “मैंने अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया। अब मैं चैन से जीना चाहता हूँ।”
सामाजिक चर्चा और सवाल
यह घटना रसूलाबाद में चर्चा का विषय बन गई है। लोग योगेश के फैसले को हैरानी और सहानुभूति के साथ देख रहे हैं। यह मामला वैवाहिक रिश्तों में विश्वासघात, डर और सामाजिक दबाव की जटिलताओं को उजागर करता है। कुछ लोग योगेश के कदम को समझदारी मान रहे हैं, तो कुछ इसे मजबूरी का परिणाम बता रहे हैं। यह घटना समाज में रिश्तों की नाजुकता और व्यक्तिगत सुरक्षा के सवाल को फिर से सामने लाती है। क्या ऐसे हालात में पुलिस और सामाजिक संस्थानों को और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए?