खरगोन, मध्यप्रदेश: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, मेनगाँव में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहाँ महिला प्राचार्य और लाइब्रेरियन के बीच मामूली विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों आपस में भिड़ गईं। स्कूल परिसर में दोनों ने एक-दूसरे को थप्पड़ मारे, बाल खींचे और गाली-गलौज की। इस शर्मनाक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसने शिक्षा के मंदिर की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है, और दोनों शिक्षिकाओं को स्कूल से हटा दिया गया है।
विवाद से मारपीट तक: वायरल वीडियो ने खोला राज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना खरगोन के मेनगाँव स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की है, जहाँ प्राचार्य प्रवीण दहिया और लाइब्रेरियन मधुरानी के बीच शुरूआती कहासुनी ने हिंसक रूप ले लिया। वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि दोनों महिलाएँ एक-दूसरे पर चिल्ला रही हैं, थप्पड़ मार रही हैं और बाल खींच रही हैं। प्राचार्य ने लाइब्रेरियन का मोबाइल छीनकर तोड़ दिया और उसे दीवार की ओर धक्का भी दिया। दोनों के बीच गाली-गलौज और रिकॉर्डिंग का सिलसिला भी चलता रहा।
यह दृश्य स्कूल जैसे पवित्र स्थान के लिए बेहद शर्मनाक था। वीडियो में दोनों की आक्रामकता और हिंसक व्यवहार ने न केवल सहकर्मियों, बल्कि सोशल मीडिया यूजर्स को भी स्तब्ध कर दिया।
सहकर्मी बने मूक दर्शक, कोई नहीं आया बीच में
घटना के समय स्कूल में कई अन्य शिक्षक और कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन हैरानी की बात यह है कि किसी ने भी इस मारपीट को रोकने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय, कुछ लोग वीडियो बनाने में व्यस्त रहे। आखिरकार, एक महिला कर्मचारी ने हस्तक्षेप किया, लेकिन तब तक दोनों एक-दूसरे को हल्की चोटें पहुँचा चुकी थीं। इस घटना ने स्कूल के माहौल और सहकर्मियों के बीच एकता पर सवाल उठाए हैं।
थाने और अस्पताल तक पहुँचा मामला
मारपीट के बाद प्राचार्य प्रवीण दहिया और लाइब्रेरियन मधुरानी ने एक-दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दोनों अलग-अलग समय पर मेनगाँव थाने पहुँचीं और अपनी-अपनी बात रखी। इसके अलावा, दोनों ने हल्की चोटों के इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।
प्रशासन का सख्त रुख: दोनों शिक्षिकाएँ हटाई गईं
जैसे ही यह मामला खरगोन कलेक्टर भव्या मित्तल के संज्ञान में आया, उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच के बाद दोनों शिक्षिकाओं को तत्काल प्रभाव से स्कूल से हटाकर जनजातीय कार्य विभाग कार्यालय में अटैच कर दिया गया। जांच रिपोर्ट को वरिष्ठ अधिकारियों के पास भेज दिया गया है।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि विवाद की वजह व्यक्तिगत अहंकार और कार्य विभाजन को लेकर मतभेद थे। सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य ने बताया कि अभी तक यौन उत्पीड़न जैसे किसी गंभीर आरोप की पुष्टि नहीं हुई है।
लाइब्रेरियन के गंभीर आरोप
लाइब्रेरियन मधुरानी ने प्राचार्य प्रवीण दहिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि प्राचार्य उन पर झूठे दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाल रही थीं, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके अलावा, मधुरानी ने आरोप लगाया कि प्राचार्य का बेटा स्कूल परिसर में बेवजह घूमता है और उनके प्रति अशोभनीय इशारे करता है। उन्होंने इसकी शिकायत जनजातीय कार्य विभाग के कमिश्नर को भी की है।
प्राचार्य ने इन आरोपों का खंडन किया है और लाइब्रेरियन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया है। दोनों पक्षों के दावों की सत्यता की जांच अभी जारी है।
विवादों से घिरा रहा है स्कूल
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय दिल्ली से संचालित होता है और यहाँ आदिवासी बच्चों की शिक्षा और आवास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाते हैं। लेकिन यह स्कूल पहले भी कई बार विवादों में रहा है। अनियमितताओं, खराब प्रबंधन और छात्रों की शिकायतों के चलते यहाँ कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं। छात्रों ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जताया है। इस ताजा घटना ने स्कूल की छवि को और धक्का पहुँचाया है।
सामाजिक और शैक्षिक चिंता
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत विवाद है, बल्कि यह शिक्षा के मंदिर में अनुशासन और सहकर्मियों के बीच तालमेल की कमी को भी उजागर करती है। स्कूल, जहाँ बच्चों को नैतिकता और संस्कार सिखाए जाते हैं, वहाँ शिक्षकों का इस तरह का व्यवहार समाज और छात्रों के लिए गलत उदाहरण पेश करता है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने इस घटना को व्यापक चर्चा का विषय बना दिया है। लोग इस बात पर हैरानी जता रहे हैं कि शिक्षक, जो समाज के आदर्श माने जाते हैं, इस तरह की हिंसक और अपमानजनक हरकत में शामिल हो सकते हैं। यह घटना स्कूलों में कार्यस्थल की संस्कृति और तनाव प्रबंधन पर भी सवाल उठाती है।
क्या होगा नतीजा?
खरगोन के इस शर्मनाक मामले ने शिक्षा जगत को झकझोर दिया है। प्राचार्य और लाइब्रेरियन की मारपीट का वीडियो न केवल स्कूल की बदनामी का कारण बना, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और नैतिकता की कमी को भी दर्शाता है। पुलिस की जांच और प्रशासन की कार्रवाई इस मामले की सच्चाई को सामने लाएगी, लेकिन यह साफ है कि इस घटना ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया है।
क्या यह विवाद व्यक्तिगत अहंकार और कार्यस्थल के तनाव का नतीजा था, या इसके पीछे और गहरे कारण हैं? क्या दोनों शिक्षिकाओं को इस व्यवहार की सजा मिलेगी? ये सवाल अभी अनुत्तरित हैं, लेकिन यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षकों को अपने व्यवहार और जिम्मेदारियों के प्रति और सजग रहने की जरूरत है।