इटावा कथावाचक मामला: व्यास की गद्दी पर इन शर्तों के साथ कोई भी बैठ सकता है – ब्राह्मण महासभा

Etawah KathaVachak Case: इटावा में यादव कथावाचक के साथ जातिगत अपमान की घटना ने तूल पकड़ा। ब्राह्मण महासभा ने कहा, व्यास की गद्दी सबके लिए, पर जाति न छिपाएँ। अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोला।

Samvadika Desk
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इटावा में कथावाचक कथित तौर पर जाति के आधार पर अपमानित!
Highlights
  • इटावा में कथावाचक के साथ जातिगत अपमान, ब्राह्मण महासभा ने तोड़ी चुप्पी!
  • ब्राह्मण महासभा: व्यास की गद्दी सबके लिए, पर जाति छिपाना गलत!
  • अखिलेश यादव ने इटावा घटना को BJP की नाकामी बताया!

इटावा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के इटावा में एक कथावाचक को जाति के आधार पर अपमानित करने की घटना ने सामाजिक और राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। इस मामले में ब्राह्मण महासभा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि व्यास की गद्दी पर कोई भी बैठ सकता है, बशर्ते वह अपनी जाति छिपाकर समाज को भ्रमित न करे। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस घटना की निंदा करते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है और जाँच शुरू कर दी है।

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क्या है पूरा मामला?

इटावा के दांदरपुर में एक कथावाचक, जो यादव समाज से है, को कथित तौर पर जाति के आधार पर अपमानित किया गया। ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने शक्ति धाम मैरिज होम में आयोजित बैठक में दावा किया कि कथावाचक ने भोजन के दौरान एक महिला के साथ अभद्रता की थी। उन्होंने कहा, “व्यास की गद्दी पर कोई भी बैठ सकता है, चाहे वह किसी भी समाज का हो, लेकिन अपनी जाति छिपाकर ब्राह्मण समाज को धोखा देना गलत है।” दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और मीडिया को घटना का आधा सच ही बताया गया।

पुलिस की कार्रवाई

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया रिपोर्टर को बताया कि पीड़ित कथावाचक की शिकायत पर बकेवर थाने में मामला दर्ज किया गया है। मुख्य आरोपी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक को घटना की विस्तृत जाँच का जिम्मा सौंपा गया है। पुलिस का कहना है कि निष्पक्ष जाँच की जाएगी और दोषियों को सजा मिलेगी।

अखिलेश यादव का हमला

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “इटावा की घटना वर्चस्ववादी और शोषक लोगों की करतूत है। भाजपा विश्व गुरु बनने का सपना दिखाती है, लेकिन ऐसी निंदनीय घटनाएँ उनकी सरकार में हो रही हैं।” अखिलेश ने इस मामले को सामाजिक असमानता और प्रशासनिक नाकामी से जोड़ा।

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सामाजिक संगठनों का विरोध

हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार, 24 जून 2025 को मानव कल्याण सेवा समिति और धार्मिक आचार्यों ने इटावा में विरोध प्रदर्शन किया। समिति के संस्थापक आचार्य जगरामाचार्य, आचार्य रामनारायण भगवताचार्य, राहुल कुमार और प्रदीप नेगी ने राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन एसडीएम कुमार सत्यम जीत को सौंपा। उन्होंने माँग की कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यह घटना स्थानीय स्तर पर तनाव का कारण बनी हुई है।

सामाजिक और धार्मिक सवाल

यह घटना जाति, धर्म, और सामाजिक समन्वय पर गंभीर सवाल उठाती है। व्यास की गद्दी, जो ज्ञान और धर्म का प्रतीक है, पर जाति के आधार पर विवाद क्या समाज की गहरी खाई को दर्शाता है? ब्राह्मण महासभा का बयान कि कथावाचक ने अभद्रता की और जाति छिपाई, मामले को और जटिल बनाता है। क्या धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज और प्रशासन को मिलकर काम करना चाहिए? यह मामला न केवल इटावा, बल्कि पूरे समाज के लिए आत्ममंथन का विषय है।

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