इटावा, उत्तर प्रदेश: इटावा के दानरपुर गाँव में जातिवाद की ओछी मानसिकता ने मानवता को शर्मसार कर दिया। कथा वाचन के लिए आए संत सिंह यादव और मुकुटमणि शास्त्री के साथ गाँव वालों ने केवल इसलिए मारपीट की, क्योंकि वे यादव जाति से थे। आरोपियों ने दोनों के बाल काटे, अपमानित किया और एक महिला का मूत्र डालकर ‘पवित्र’ करने का दावा किया। वायरल वीडियो के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कड़ी आपत्ति जताई। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
गाँव में कथा के लिए बुलाया, जाति पूछकर की पिटाई
संत सिंह यादव ने मीडिया रिपोर्टर को बताया कि वे और उनके सहायक मुकुटमणि शास्त्री दानरपुर गाँव में भागवत कथा के लिए आए थे। गाँव के मंदिर के पाठक बाबा और पप्पू महाराज ने उन्हें आमंत्रित किया था। संत ने कहा, “हमने कथा शुरू की, पहला श्लोक पढ़ा गया। शाम को गाँव वालों ने हमसे पूछा कि कहाँ के रहने वाले हो। हमने बताया कि कानपुर के हैं, पहले शिक्षक थे, अब कथा वाचन करते हैं।” जब गाँव वालों ने उनकी जाति पूछी और संत ने बताया कि वे यादव हैं, तो तुरंत मारपीट शुरू हो गई। संत के मुताबिक, “जैसे ही हमने यादव कहा, उन्होंने बोला कि यह ब्राह्मणों का गाँव है, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ कथा करने की?”
रातभर टॉर्चर, अपमान की हद
संत सिंह ने आरोप लगाया कि गाँव वालों ने रातभर उन्हें और मुकुटमणि को टॉर्चर किया। उनके बाल काटे गए, लात-घूँसों से पीटा गया और एक महिला का मूत्र उनके ऊपर छिड़ककर कहा गया, “ब्राह्मण का मूत्र पड़ा, अब तुम पवित्र हो।” मुकुटमणि ने बताया कि गाँव वालों ने उनका मोबाइल छीन लिया, 25 हजार रुपये, एक जंजीर और चार अंगूठियाँ लूट लीं, हालाँकि बाद में तीन अंगूठियाँ लौटा दीं। उन्हें और उनके सहायक को पैर छुआने पर मजबूर किया गया और बजरंग बली के जयकारों के बीच गाँव से निकाल दिया गया। मुकुटमणि ने कहा, “उन्हें ब्राह्मण वक्ता चाहिए था। पहले जाति नहीं पूछी, बाद में यादव सुनते ही मारपीट शुरू कर दी।”
वायरल वीडियो और सियासी हंगामा
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सियासत गरमा गई। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी कड़ी निंदा की और जातिवाद के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। वीडियो में कथावाचकों के साथ मारपीट और अपमान की तस्वीरें साफ दिख रही हैं, जिसने लोगों में आक्रोश भड़का दिया। इस घटना ने गाँव में जातिगत भेदभाव की गहरी जड़ों को उजागर किया है।
पुलिस ने चार को दबोचा
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बकेवर थाना पुलिस ने पीड़ितों की तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया है। चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, और मामले की जाँच जारी है। पुलिस ने कहा कि विवेचना के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने शुरू में ही अपनी पहचान और जाति स्पष्ट कर दी थी, फिर भी उन पर हमला हुआ।
जातिवाद का काला चेहरा
यह घटना इटावा में जातिगत भेदभाव की कड़वी सच्चाई को सामने लाती है। कथावाचकों को सिर्फ उनकी जाति के कारण अपमानित करना और हिंसा का शिकार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी खतरा है। गाँव में लोग इस घटना पर चर्चा कर रहे हैं, और कई लोग इसे सामाजिक सुधार की ज़रूरत का संकेत मान रहे हैं। अब पुलिस की जाँच इस मामले में इंसाफ की उम्मीद बन गई है।