बरेली में महक का प्यार: फुफेरे भाई के दबाव से तंग होकर अपनाया हिंदू धर्म, ऋषि से रचाई शादी

Ghar Wapasi in Bareilly: काशीपुर की महक ने फुफेरे भाई के निकाह के दबाव और पारिवारिक अत्याचार से तंग आकर बरेली में अपने प्रेमी ऋषि राय के साथ हिंदू रीति से शादी रचाई। उसने स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया, क्योंकि उसे इसमें सम्मान और सुरक्षा मिली। अगस्त्य मुनि आश्रम में शुद्धिकरण के बाद दोनों ने सात फेरे लिए।

Samvadika Desk
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इमेज - सोशल मीडिया
Highlights
  • महक ने फुफेरे भाई के निकाह के दबाव से तंग होकर बरेली में हिंदू धर्म अपनाया!
  • ऋषि राय के साथ महक ने अगस्त्य मुनि आश्रम में रचाई हिंदू रीति से शादी!
  • काशीपुर से बरेली भागी महक, प्यार के लिए छोड़ा परिवार और परंपराएँ!
  • महक का दावा: हिंदू धर्म में मिला सम्मान, हिजाब-हलाला से थी असहज!

बरेली, उत्तर प्रदेश: उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली महक ने अपने प्रेमी ऋषि राय के साथ बरेली में हिंदू रीति-रिवाज से शादी रचाकर नई जिंदगी शुरू की। महक ने फुफेरे भाई के निकाह के दबाव और पारिवारिक परेशानियों से तंग आकर न केवल घर छोड़ा, बल्कि स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया। उसका कहना है कि उसे हिंदू धर्म में सम्मान और सुरक्षा मिली, और वह ऋषि के साथ खुश है। यह कहानी प्यार, आस्था और हिम्मत की एक अनोखी मिसाल है।

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प्यार की शुरुआत और पारिवारिक मुश्किलें

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, महक की मुलाकात तीन साल पहले बरेली के बाकरगंज में ऋषि राय से हुई थी। उस समय महक अपने माता-पिता के साथ बरेली में रहती थी। पड़ोसी मोहल्ले कुंवरपुर तलैया के रहने वाले ऋषि से उसकी बातचीत धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। दोनों एक-दूसरे से शादी करना चाहते थे, लेकिन उनके परिवार इस रिश्ते के खिलाफ थे।

महक की जिंदगी तब और मुश्किल हो गई, जब उसके पिता की मृत्यु के बाद उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली। सौतेले पिता की गलत नजर और पारिवारिक तनाव के चलते महक अपनी ननिहाल काशीपुर, उत्तराखंड चली गई। लेकिन वहां भी उसकी परेशानियां कम नहीं हुईं।

फुफेरे भाई का दबाव और निकाह की जिद

महक ने बताया कि उसका फुफेरा भाई उस पर गलत नजर रखता था और बार-बार निकाह के लिए दबाव डालता था। वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन परिवार उसकी बात सुनने को राजी नहीं था। परेशान होकर महक ने अपनी सारी बातें ऋषि को बताईं और उसके साथ बरेली भाग आई।

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महक ने आचार्य केके शंखधार से मुलाकात की और अपनी आपबीती सुनाई। उसने बताया कि उसे मुस्लिम धर्म के कुछ नियम, जैसे हिजाब, बहुविवाह, और हलाला, पसंद नहीं थे। उसकी आस्था हिंदू धर्म में बढ़ गई, जहां उसे सम्मान और सुरक्षा का अहसास हुआ।

धर्म परिवर्तन और हिंदू रीति से शादी

महक और ऋषि ने बरेली के अगस्त्य मुनि आश्रम में आचार्य केके शंखधार से संपर्क किया। आचार्य ने दोनों की उम्र और अन्य दस्तावेजों की जांच की। इसके बाद महक का शुद्धिकरण संस्कार किया गया, और फिर हिंदू रीति-रिवाज के साथ दोनों ने सात फेरे लिए। इस शादी ने न केवल उनके प्यार को मुकाम दिया, बल्कि महक की नई धार्मिक पहचान को भी स्थापित किया।

महक की आस्था और प्यार का इजहार

महक ने खुलकर कहा कि उसने अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपनाया, क्योंकि उसे इसमें सम्मान और सुरक्षा की भावना मिली। उसने बताया, “मुझे ऋषि से बहुत प्यार है, और उनके साथ मैं सुरक्षित महसूस करती हूं। हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। अगर कोई हमें अलग करने की कोशिश करेगा, तो हम जान दे देंगे।”

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महक ने यह भी कहा कि मुस्लिम धर्म के कुछ नियमों से वह असहज थी, खासकर हिजाब और हलाला जैसे प्रथाओं से। हिंदू धर्म में उसे वह आजादी और सम्मान मिला, जो वह चाहती थी।

विवाद और वायरल वीडियो

महक और ऋषि की शादी के बाद कुछ विवाद भी सामने आए। इस मामले से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिनमें परिवार और समुदाय के बीच तनाव की झलक दिखी। हालांकि, महक और ऋषि अपने फैसले पर अडिग हैं। महक का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से यह कदम उठाया, और उसे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है।

प्यार और आस्था की जीत

महक और ऋषि की कहानी प्यार, हिम्मत, और आस्था की जीत का प्रतीक है। फुफेरे भाई के दबाव, पारिवारिक विरोध, और सामाजिक बंधनों को तोड़कर महक ने न केवल अपने प्यार को चुना, बल्कि अपनी आस्था के अनुसार नई जिंदगी शुरू की। यह मामला बरेली और काशीपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है, और कई लोगों के लिए यह प्रेरणा का स्रोत भी हो सकता है।

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यह कहानी समाज को यह संदेश देती है कि सच्चा प्यार और व्यक्तिगत आजादी का सम्मान करना जरूरी है। साथ ही, यह धर्म परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी रोशनी डालती है, जहां व्यक्ति की अपनी इच्छा और आस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। महक और ऋषि की नई जिंदगी अब उनके प्यार और विश्वास पर टिकी है, और उनकी यह कहानी लंबे समय तक याद रखी जाएगी।

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