लखनऊ, उत्तर प्रदेश: यूपी एटीएस ने शनिवार, 5 जुलाई 2025 को एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश करते हुए 50 हजार रुपये के इनामी जलालुद्दीन उर्फ झांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया। यह गिरोह गरीब, असहाय, और जरूरतमंद गैर-मुस्लिमों को आर्थिक मदद, शादी, और अन्य प्रलोभनों का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करता था। लखनऊ में तीन दिन पहले कुछ पीड़ितों के पुराने धर्म में वापसी और चौंकाने वाले खुलासों के बाद एटीएस ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
प्रलोभन और धमकी से धर्मांतरण
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक साल से झांगुर बाबा की तलाश में जुटी एटीएस ने उसके खिलाफ धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, धोखाधड़ी, और साम्प्रदायिकता के तहत मुकदमा दर्ज किया था। बलरामपुर के मधपुर उतरौला का रहने वाला झांगुर और नसरीन गरीब और विधवा महिलाओं को निशाना बनाते थे। पीड़ितों ने बताया कि ये लोग आर्थिक सहायता और शादी का वादा कर या फिर धमकियों के जरिए धर्मांतरण करवाते थे। इस रैकेट ने लखनऊ, बलरामपुर, और अन्य जिलों में कई लोगों को अपने जाल में फँसाया।
गिरोह का सरगना और बेटे की भूमिका
एटीएस के मुताबिक, झांगुर बाबा इस धर्मांतरण रैकेट का सरगना था। उसका बेटा महबूब और सहयोगी नवीन उर्फ जमालुद्दीन भी इस गैर-कानूनी गतिविधि में शामिल थे। दोनों को 8 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया जा चुका है, और वे लखनऊ जेल में बंद हैं। पूछताछ में इन दोनों ने कई अन्य साथियों के नाम उजागर किए, जिनकी तलाश अभी जारी है। झांगुर और नसरीन की गिरफ्तारी से इस रैकेट के और बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
रिमांड और गहन जाँच की तैयारी
एटीएस ने बताया कि झांगुर और नसरीन से पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड पर लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस गिरोह ने कई जिलों में धर्मांतरण करवाया, और कई अहम जानकारी अभी सामने आनी बाकी है। इसके लिए कोर्ट में अर्जी दी जाएगी। यह कार्रवाई धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानूनों को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
सामाजिक संवेदनशीलता और कानूनी कठोरता
यह मामला धार्मिक संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी के सवाल उठाता है। यह समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि कमजोर और जरूरतमंद लोगों का शोषण रोकने के लिए जागरूकता और सख्त कानूनी ढाँचा जरूरी है। एटीएस की यह कार्रवाई न केवल इस रैकेट को तोड़ने की दिशा में एक कदम है, बल्कि समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।