संभल, उत्तर प्रदेश: 46 साल पुराने जख्म फिर हरे हो गए। दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाले कपिल रस्तोगी अपनी पत्नी सोनम और छोटी बच्ची के साथ संभल पहुंचे और डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया से मिलकर रोते-बिलखते अपने दादा राम शरण रस्तोगी की 1978 में हुई निर्मम हत्या की फाइल दोबारा खोलने की गुहार लगाई। परिवार ने उस कुएं पर बनी अवैध मजार हटाने और उसे दादा के नाम पर स्मारक बनाने की भी मांग की।
1978 का खौफनाक दंगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कपिल रस्तोगी ने डीएम को बताया कि 29 मार्च 1978 को नखासा क्षेत्र में दंगाइयों ने उनके दादा की दुकान पर हमला किया था। लूटपाट, मारपीट और आगजनी के बाद दादा ने विरोध किया तो दंगाइयों ने चाकुओं से गोद-गोदकर उनकी हत्या कर दी। शव को तराजू के पल्लों से बांधकर सामने वाले कुएं में फेंक दिया गया। दंगा शांत होने के तीसरे दिन पुलिस ने शव निकाला तो शरीर पर दर्जनों चाकू के घाव और पैरों में मेहले से टूटे निशान मिले।
मुकदमा दर्ज, न्याय नहीं मिला
हत्या के अगले दिन 30 मार्च 1978 को उनके पिता ने अपराध संख्या 135/78 के तहत धारा 302 और 201 IPC में मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन उस समय न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही परिवार को कोई आर्थिक सहायता या न्याय मिला। 2005 में दंगाइयों की लगातार धमकियों से तंग आकर पूरा परिवार संभल छोड़कर दिल्ली पलायन कर गया। 2018 में कपिल के पिता का निधन हो गया, लेकिन अन्याय की पीड़ा आज भी परिवार को सता रही है।
अवैध मजार हटाने की मांग
परिवार का सबसे बड़ा दर्द यह है कि जिस कुएं से उनके दादा का शव बरामद हुआ था, उस पर सालों से अवैध रूप से मजार बना दी गई है। कपिल ने डीएम से मांग की कि मजार हटाई जाए, कुआं खुदवाया जाए और उस स्थान को उनके दादा के स्मारक के रूप में विकसित किया जाए। चौराहे का नाम “राम शरण चौराहा” रखा जाए। उन्होंने कहा, “जब तक यह नहीं होगा, हमें नहीं लगेगा कि हमें न्याय मिला।”
सीएम योगी से उम्मीद
कपिल ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पुराने दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के बयान सुनकर उन्होंने हिम्मत जुटाई और दिल्ली से संभल आए। उन्होंने डीएम से पुरानी सभी रिपोर्ट्स, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी और परिवार को संभल में फिर से बसाने के लिए आर्थिक सहायता की भी मांग की।
डीएम का आश्वासन
डीएम डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने परिवार की शिकायत गंभीरता से ली। उन्होंने बताया कि शिकायत के आधार पर कुएं को खोदने का काम शुरू कर दिया गया है। सभी प्राप्त शिकायतों की जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रशासन हर संभव कदम उठाएगा।
संभल में पुराने जख्म हरे
यह मामला 1978 के सांप्रदायिक दंगे, न्याय में देरी, और अवैध कब्जे जैसे गंभीर मुद्दों को फिर से उजागर कर रहा है। कपिल रस्तोगी का दिल्ली से संभल आना और दादा की हत्या की फाइल दोबारा खोलने की गुहार ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी है। लोग इस पुराने अन्याय पर चर्चा कर रहे हैं और परिवार के साथ सहानुभूति जता रहे हैं। यह प्रकरण न केवल एक परिवार की पीड़ा, बल्कि पुराने दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की लड़ाई का भी प्रतीक बन गया है।

