सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक शादी समारोह में उस समय हड़कंप मच गया, जब दुल्हन ने सोने का हार न मिलने पर फेरे लेने से साफ मना कर दिया। जौनपुर से बारात लेकर आए दूल्हे के साथ सारी रस्में पूरी होने को थीं, लेकिन दुल्हन की इस जिद ने शादी को मंडप में ही तोड़ दिया। रातभर पंचायत और पुलिस की मध्यस्थता के बावजूद कोई हल न निकला, और आखिरकार बारात को बिना दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बन गई है।
कसईपुर में शादी का टूटा सपना
जानकारी के अनुसार, यह हैरान करने वाला वाकया 23 मई 2025 को सुल्तानपुर के चांदा कोतवाली क्षेत्र के कसईपुर गांव में हुआ। गांव की पार्वती की शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं। नाते-रिश्तेदार जमा थे, और माहौल खुशी से भरा था। जौनपुर के महराजगंज क्षेत्र के बनकट लोदी से दूल्हा अभिषेक अपनी बारात लेकर पहुंचा। रात में द्वार पूजा की रस्म हंसी-खुशी के साथ पूरी हुई, और दोनों पक्ष उत्साह में डूबे थे।
मंडप में शादी की अन्य रस्में शुरू हुईं। इसी दौरान वर पक्ष ने डाल (दहेज के गहने) में लाए गए सामान को दिखाया। इसमें कपड़े, गहने, और अन्य चीजें थीं, लेकिन कन्या पक्ष की नजरें सोने के हार की तलाश में थीं। जब हार नहीं दिखा, तो माहौल तनावपूर्ण हो गया। दुल्हन पार्वती ने साफ कह दिया, “बिना सोने के हार के मैं शादी नहीं करूंगी।” यह सुनते ही वहां सन्नाटा छा गया।
रातभर पंचायत, फिर पुलिस की एंट्री
दुल्हन की जिद से दोनों पक्षों में हड़कंप मच गया। वर पक्ष ने समझाने की कोशिश की कि हार बाद में ला देंगे, लेकिन पार्वती टस से मस न हुई। रातभर दोनों परिवारों और रिश्तेदारों की पंचायत चली। कन्या पक्ष का कहना था कि सोने का हार शादी की अहम शर्त थी, जिसे वर पक्ष ने नजरअंदाज किया। वहीं, वर पक्ष ने इसे छोटी बात बताकर शादी आगे बढ़ाने की गुहार लगाई। लेकिन कोई सहमति न बन सकी।
सुबह तक बात बिगड़ गई, और मामला कोइरीपुर पुलिस चौकी तक पहुंचा। पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता कराने की कोशिश की। घंटों बातचीत चली, लेकिन दुल्हन अपनी जिद पर अड़ी रही। आखिरकार, कोई रास्ता न निकलने पर वर पक्ष को बिना शादी के वापस लौटना पड़ा। दूल्हा अभिषेक और उसका परिवार टूटे दिल के साथ जौनपुर रवाना हो गया।
पुलिस का बयान और समझौता
कोइरीपुर चौकी प्रभारी वेद प्रकाश शर्मा ने मीडिया रिपोर्टर को बताया कि दोनों पक्षों को बुलाकर लंबी बातचीत की गई, लेकिन दुल्हन ने शादी के लिए साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से मामला खत्म किया और अपने-अपने घर लौट गए। कोई कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ी।” पुलिस ने दोनों पक्षों को शांतिपूर्ण ढंग से अलग होने की सलाह दी, और मामला बिना FIR के सुलझ गया।
गांव में चर्चा का माहौल
शादी टूटने की खबर कसईपुर और आसपास के गांवों में आग की तरह फैल गई। लोग इस घटना को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। कुछ लोग दुल्हन की जिद को सही ठहरा रहे हैं, उनका कहना है कि अगर हार शादी की शर्त थी, तो वर पक्ष को उसे पूरा करना चाहिए था। वहीं, कुछ लोग इसे गलत मानते हैं, उनका कहना है कि एक हार की वजह से रिश्ता तोड़ना ठीक नहीं। यह मामला स्थानीय लोगों के बीच कौतूहल और बहस का विषय बना हुआ है।
शादी की शर्तों का असर
यह घटना शादी में दहेज और गहनों की शर्तों पर गंभीर सवाल उठाती है। सोने का हार न लाने की वजह से एक रिश्ता टूट गया, और दोनों परिवारों को अपमान और दुख झेलना पड़ा। यह मामला दिखाता है कि शादी जैसे पवित्र बंधन में सामाजिक और आर्थिक अपेक्षाएँ कितनी अहम भूमिका निभाती हैं। दुल्हन की जिद ने न केवल दूल्हे के अरमान तोड़े, बल्कि दोनों परिवारों के बीच तनाव भी पैदा कर दिया।
क्या कहती है यह घटना?
सुल्तानपुर की इस घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या शादी में गहनों और दहेज की शर्तें रिश्तों से ज्यादा अहम हैं? क्या एक हार की कमी इतने बड़े फैसले का आधार बन सकती है? यह मामला समाज को यह भी बताता है कि शादी से पहले दोनों पक्षों को अपनी अपेक्षाएँ स्पष्ट कर लेनी चाहिए, ताकि ऐसी नौबत न आए। बहरहाल, यह घटना कसईपुर में लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी।