Man Mum New Trend in China: आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में तनाव और अकेलापन कई लोगों के लिए रोज़मर्रा की बात हो गई है। ऐसे में, चीन से उभरा एक अनोखा ट्रेंड दुनिया भर में सुर्खियाँ बटोर रहा है—मैन मम्स (Man Mums)। इस ट्रेंड में युवा लड़कियाँ और महिलाएँ अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए 5 मिनट की एक गर्मजोशी भरी झप्पी के लिए 250 से 600 रुपये तक खर्च कर रही हैं। ये झप्पी कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं, बल्कि खासतौर पर चुने गए मैन मम (Man Mum) देता है—एक ऐसा शख्स, जो मज़बूत कद-काठी के साथ-साथ माँ की तरह संवेदनशील और देखभाल करने वाला हो। सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड छाया हुआ है, और लोग पूछ रहे हैं—आखिर ये मैन मम है क्या? आइए, इसकी पूरी कहानी जानते हैं और देखते हैं कि क्या भारत में भी ऐसा कुछ मुमकिन है।
मैन मम क्या है? (What is Man Mum)
तनाव भरे दिन के बाद जब आप थके-हारे घर लौटते हैं, तो मन करता है कि कोई बिना जज किए, बिना सवाल पूछे, बस आपको गले लगाए और सारी चिंताएँ छूमंतर हो जाएँ। Man Mum ऐसा ही एक कॉन्सेप्ट है। इसमें एक फिट, दयालु, और भावनात्मक रूप से संवेदनशील पुरुष 5 मिनट की झप्पी देता है, जिसके लिए वह 250 से 600 रुपये चार्ज करता है। ये पल पूरी तरह प्रोफेशनल होते हैं—न कोई रोमांटिक मंशा, न कोई लंबी बातचीत। बस एक साधारण, सुकून भरा स्पर्श, जो आपको रिलैक्स कर दे।
पहले मैन मम्स का मतलब जिम में पसीना बहाने वाले मस्कुलर पुरुषों से था, लेकिन अब ये शब्द उन पुरुषों के लिए इस्तेमाल होता है, जो शारीरिक ताकत के साथ-साथ भावनात्मक गर्मजोशी भी रखते हैं। ये लोग खासतौर पर महिलाओं को स्ट्रेस रिलीफ का एक अनोखा तरीका दे रहे हैं, जो आज के डिजिटल और अकेलेपन भरे दौर में बेहद जरूरी हो गया है।
कैसे शुरू हुआ ये ट्रेंड?
कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले चीन के एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हुई। एक युवा महिला, जो अपनी थीसिस और पढ़ाई के दबाव से परेशान थी, ने ऑनलाइन लिखा कि वह किसी दयालु और फिट पुरुष से गले लगवाने के लिए पैसे देने को तैयार है। उसने बताया कि स्कूल के दिनों में एक झप्पी ने उसे कितना सुरक्षित और हल्का महसूस कराया था। उसका सुझाव था कि किसी मेट्रो स्टेशन पर 5 मिनट की मुलाकात हो सकती है। South China Morning Post की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पोस्ट ने तहलका मचा दिया, और जल्द ही चीन के बड़े शहरों में Man Mums की डिमांड बढ़ने लगी।
ये ट्रेंड अब एक तरह का अनौपचारिक मार्केट बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी प्रोफाइल बनाते हैं, जहाँ वे अपनी कद-काठी, व्यक्तित्व, और उपलब्धता की जानकारी शेयर करते हैं। महिलाएँ इन प्रोफाइल्स को देखकर अपनी पसंद का Man Mum चुनती हैं, और फिर एक छोटी, प्रोफेशनल मुलाकात होती है।

हग थेरपी का प्रोसेस: सादगी में सुकून
मैन मम्स सर्विस लेने की प्रक्रिया बेहद साधारण, लेकिन सोची-समझी है। कोई भी महिला अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से पुरुष चुन सकती है। वो पुरुष का व्यवहार, धैर्य, शारीरिक बनावट, और कभी-कभी लुक्स को भी ध्यान में रखती है। मुलाकात से पहले दोनों चैट के जरिए बातचीत करते हैं, ताकि दोनों को एक-दूसरे की उम्मीदों का अंदाज़ा हो।
हग आमतौर पर मेट्रो स्टेशन, शॉपिंग मॉल, या कॉफी शॉप जैसे सार्वजनिक स्थानों पर होता है। ये जगहें इसलिए चुनी जाती हैं, ताकि दोनों पक्ष सुरक्षित महसूस करें। एक हग की अवधि 3 से 5 मिनट की होती है, और इसकी कीमत 20 से 50 युआन (250-600 रुपये) के बीच होती है। कुछ महिलाएँ इस अनुभव को और खास बनाने के लिए छोटे-मोटे तोहफे, जैसे कॉफी या चॉकलेट, भी देती हैं। जरूरी नहीं कि सिर्फ पुरुष ही इस सर्विस को दें—कभी-कभी लंबी और फिट महिलाएँ भी हग ऑफर करती हैं, अगर क्लाइंट की ऐसी पसंद हो।
हग थेरपी का अनुभव: छोटा पल, बड़ा सुकून
इस ट्रेंड की सबसे खास बात है इसका असर। महिलाएँ बताती हैं कि Man Mums से मिलने वाली झप्पी उन्हें तनाव से तुरंत राहत देती है। एक 26 साल की मार्केटिंग प्रोफेशनल ने बताया कि एक लंबे और तनाव भरे मीटिंग के बाद उसने एक Man Mum से मुलाकात की। उसने कहा, “वो 5 मिनट जैसे जादू थे। उसने मुझे गले लगाया, मेरे कंधे थपथपाए, और बिना कुछ बोले मेरी सारी थकान गायब हो गई।”
एक अन्य स्टूडेंट ने शेयर किया कि एग्ज़ाम की टेंशन और रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स के बीच उसने इस सर्विस को आज़माया। “मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे दुख को बिना जज किए सुन रहा हो। हग के बाद मैं हल्का महसूस कर रही थी, जैसे कोई बोझ उतर गया हो।” ये अनुभव दिखाते हैं कि ये ट्रेंड सिर्फ शारीरिक स्पर्श नहीं, बल्कि भावनात्मक देखभाल का एक जरिया है।
पैसे का लेन-देन: प्रोफेशनल दूरी का राज
इस सर्विस में पैसे का लेन-देन क्यों? ये सवाल कई लोगों के मन में आता है। दरअसल, पैसे लेने से रिश्ता पूरी तरह प्रोफेशनल बना रहता है। एक 30 साल के मैन मम ने मीडिया पत्रकार को बताया, “मैं इसे फुल-टाइम जॉब की तरह नहीं करता। मेरे लिए ये दूसरों की मदद करने का एक तरीका है। पैसे लेने से कोई भावनात्मक उलझन नहीं होती, और क्लाइंट भी सहज रहती हैं।”
महिलाएँ भी मानती हैं कि पैसे देने से वो ज्यादा सुरक्षित और कंफर्टेबल फील करती हैं। एक महिला ने कहा, “जब आप पैसे देते हैं, तो सीमाएँ साफ हो जाती हैं। मुझे पता है कि ये सिर्फ एक सर्विस है, और इसमें कोई गलत मंशा नहीं है।” ये सिस्टम दोनों पक्षों के लिए एक सुरक्षित और सहमति-आधारित माहौल बनाता है।

सोशल मीडिया पर हलचल: तारीफें और आलोचनाएँ
सोशल मीडिया पर Man Mums और Man Mum की खूब चर्चा है। कुछ लोग इसे स्ट्रेस रिलीफ का क्रिएटिव और ज़रूरी तरीका मानते हैं। एक यूज़र ने लिखा, “आज की ज़िंदगी में अगर 5 मिनट की झप्पी से सुकून मिलता है, तो इसमें क्या गलत है?” वहीं, कुछ इसे अजीब या महँगा मानते हैं। एक कमेंट था, “600 रुपये 5 मिनट के लिए? इतने में तो मैं अपने दोस्तों के साथ कॉफी पी लूँ!”
कुछ आलोचक इसे समाज में बढ़ते अकेलेपन का लक्षण मानते हैं। एक यूज़र ने लिखा, “हम इतने डिजिटली कनेक्टेड हैं, फिर भी इतने अकेले कि हमें हग के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। ये दुखद है।” दूसरी ओर, समर्थक इसे मेंटल हेल्थ के लिए एक सकारात्मक कदम कहते हैं, जो बिना किसी जजमेंट के भावनात्मक सपोर्ट देता है।
भारत में क्या है इसकी संभावनाएँ?
चीन में मैन मम्स की लोकप्रियता को देखकर सवाल उठता है—क्या भारत में ऐसा ट्रेंड चल सकता है? भारत में परिवार और दोस्तों का सपोर्ट सिस्टम अभी भी मज़बूत है, लेकिन मेट्रो शहरों में युवा अकेलेपन और स्ट्रेस से जूझ रहे हैं। लंबे काम के घंटे, करियर का दबाव, और रिलेशनशिप की उलझनें यहाँ भी आम हैं।
लेकिन भारत में इस ट्रेंड को अपनाने में कई चुनौतियाँ हैं। सबसे पहले, सांस्कृतिक नज़रिया। सार्वजनिक जगहों पर हगिंग को लेकर लोग अभी भी हिचकिचाते हैं, और ऐसी सर्विस को गलत समझने का खतरा है। दूसरा, जेंडर डायनामिक्स। भारत में पुरुष और महिला के बीच ऐसी प्रोफेशनल सर्विस को लेकर सवाल उठ सकते हैं। फिर भी, मेंटल हेल्थ और इमोशनल वेलनेस की बढ़ती जागरूकता को देखते हुए, भविष्य में शायद इस तरह के इनोवेटिव तरीके आज़माए जाएँ।
शायद भारत में Man Mum का कॉन्सेप्ट थोड़ा अलग रूप ले सकता है—जैसे ग्रुप हगिंग सेशंस, मेंटल हेल्थ वर्कशॉप्स, या कम्युनिटी-बेस्ड इमोशनल सपोर्ट प्रोग्राम्स। ये तरीके भारतीय संस्कृति के साथ ज़्यादा फिट हो सकते हैं।
ट्रेंड से आगे: क्या सिखाता है मैन मम्स?
मैन मम्स सिर्फ एक फैशनेबल ट्रेंड नहीं है; ये आधुनिक समाज की एक गहरी सच्चाई को सामने लाता है। आज हम डिजिटल दुनिया में इतने कनेक्टेड हैं, फिर भी इंसानी स्पर्श और भावनात्मक गर्मजोशी की कमी महसूस करते हैं। ये ट्रेंड हमें याद दिलाता है कि एक साधारण झप्पी कितनी ताकतवर हो सकती है—वो तनाव कम कर सकती है, आत्मविश्वास दे सकती है, और हमें इंसान होने का अहसास करा सकती है।
लेकिन ये ट्रेंड कुछ सवाल भी खड़े करता है। क्या हमें अपनी भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बाज़ार पर निर्भर होना चाहिए? क्या पैसे के बदले सुकून खरीदना सही है? और क्या ये ट्रेंड लंबे समय तक टिक सकता है, या ये सिर्फ एक अस्थायी हल है?
चीन का ये Man Mum ट्रेंड दुनिया को एक नया नज़रिया दे रहा है। ये हमें बताता है कि मेंटल हेल्थ और इमोशनल वेलनेस के लिए नए रास्ते तलाशने की ज़रूरत है। शायद ये वक्त है कि हम अपने आसपास के लोगों से ज़्यादा कनेक्ट करें, एक-दूसरे को बिना जज किए सपोर्ट करें, और उस जादू की झप्पी को फिर से अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएँ—पैसे के बिना, सिर्फ प्यार और देखभाल के साथ।