शादी के तीसरे दिन ही देश का बुलावा! फौजी को विदा कर बोली दुल्हन – “देश से बड़ा कुछ नहीं”

India-Pakistan War: जलगांव के मनोज पाटील की शादी के तीन दिन बाद ही उन्हें 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सीमा पर ड्यूटी के लिए बुला लिया गया। उनकी नई दुल्हन यामिनी ने नम आंखों से विदा करते हुए कहा – “देश से बड़ा कुछ नहीं।” यह कहानी फौजी परिवारों के बलिदान और देशभक्ति की सच्ची मिसाल है।

Samvadika Desk
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नयी नवेली दुल्हन ने भावुक होकर फ़ौजी पति को देश की रक्षा के लिए विदा किया।
Highlights
  • शादी के तीसरे दिन ही सीमा का बुलावा!
  • नई नवेली दुल्हन की आंखें नम, दिल देशभक्त
  • 'देश से बड़ा कुछ नहीं' – यामिनी की गर्जना
  • फौजी परिवारों के बलिदान की मिसाल बनी कहानी

जलगांव, महाराष्ट्र: भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच एक नवविवाहिता की कहानी ने पूरे देश का दिल जीत लिया है। महाराष्ट्र के जलगांव जिले के पाचोरा निवासी सेना के जवान मनोज ज्ञानेश्वर पाटील की शादी 5 मई, 2025 को यामिनी पाटील के साथ हुई थी। शादी की रस्में अभी पूरी भी नहीं हुई थीं, दुल्हन के हाथों की मेहंदी भी पूरी तरह सूखी नहीं थी, लेकिन देश की पुकार ने इस नवविवाहित जोड़े के सपनों को कुछ समय के लिए विराम दे दिया। शादी के महज तीन दिन बाद, 8 मई को मनोज को तुरंत सीमा पर ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश मिला। नम आंखों के साथ यामिनी ने अपने पति को विदा किया, लेकिन उनके शब्दों ने हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया: “मुझे गर्व है कि मेरे पति देश की रक्षा के लिए सीमा पर जा रहे हैं। देश से बड़ा कुछ नहीं है।”

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शादी की खुशियां और देश का बुलावा

जानकारी के मुताबिक, मनोज और यामिनी की शादी पूरे रीति-रिवाजों के साथ जलगांव के पाचोरा में संपन्न हुई थी। नवदंपति ने एक साथ नई जिंदगी की शुरुआत के सपने संजोने शुरू ही किए थे कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव ने उनकी योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं, और मनोज को तुरंत ड्यूटी पर लौटने का फरमान जारी हुआ।

मनोज ने देशसेवा को सर्वोपरि मानते हुए बिना किसी हिचक के आदेश का पालन किया। 8 मई को वह अपने घर से ड्यूटी के लिए निकल पड़े। इस दौरान उनके परिवार और नई-नवेली दुल्हन यामिनी का दिल भारी था, लेकिन दोनों ने इस कठिन घड़ी में देशभक्ति का जज्बा दिखाया। मनोज ने कहा, “देश से बड़ा कुछ भी नहीं होता। यह मेरा कर्तव्य है, और मैं इसे पूरी शिद्दत से निभाऊंगा।”

यामिनी का प्रेरणादायी साहस

मनोज को विदा करने के लिए यामिनी पाचोरा रेलवे स्टेशन पहुंचीं। उनकी आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर गर्व और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। अपने फौजी पति को अलविदा कहते हुए यामिनी ने कहा, “मुझे गर्व है कि मेरे पति सीमा पर देश की रक्षा के लिए जा रहे हैं। देश से बड़ा कुछ नहीं है।” उनके ये शब्द न केवल उनके प्यार और बलिदान की गहराई को दर्शाते हैं, बल्कि देश के हर नागरिक के लिए एक प्रेरणा भी हैं।

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यामिनी का यह भावुक लेकिन दृढ़ बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग उनके साहस और देशभक्ति की भावना की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “यामिनी जैसी महिलाएं देश की असली ताकत हैं। उनके पति और वो दोनों सलाम के हकदार हैं।”

देशसेवा से ऊपर कुछ नहीं

मनोज और यामिनी की कहानी उस त्याग और समर्पण की मिसाल है, जो भारतीय सेना और उनके परिवारों का अभिन्न हिस्सा है। शादी जैसे जीवन के सबसे खास मौके को भी देशसेवा के सामने छोटा मानने की उनकी भावना हर भारतीय को गौरवान्वित करती है। मनोज ने ड्यूटी पर रवाना होने से पहले अपने परिवार से कहा, “मेरी जिम्मेदारी देश के प्रति है। मैं जल्द लौटूंगा, लेकिन पहले मुझे अपना कर्तव्य निभाना है।”

यामिनी ने भी इस मुश्किल वक्त में अपने पति का हौसला बढ़ाया। उन्होंने परिवार और समाज के सामने एक मिसाल पेश की कि देश की सुरक्षा और सम्मान हर व्यक्तिगत खुशी से ऊपर है। उनकी इस भावना ने न केवल उनके गांव पाचोरा, बल्कि पूरे देश में लोगों के दिलों को छू लिया।

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भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते छुट्टियां रद्द

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव हाल के दिनों में बढ़ा है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सेना ने सभी जवानों को तुरंत ड्यूटी पर बुला लिया है, जिसके चलते कई सैनिकों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं। इस ऑपरेशन का मकसद सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना है। ऐसे में मनोज जैसे सैनिक देश की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात हैं, और उनके परिवार उनके बलिदान और समर्पण में बराबर के भागीदार हैं।

एक प्रेरणादायी कहानी

मनोज और यामिनी की यह कहानी सिर्फ एक जोड़े की नहीं, बल्कि भारतीय सेना और उनके परिवारों के अटूट समर्पण की कहानी है। यामिनी का साहस और मनोज का कर्तव्यनिष्ठा हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए कितने लोग अपनी व्यक्तिगत खुशियों को पीछे छोड़ देते हैं।

यह कहानी उन तमाम सैनिकों और उनके परिवारों को भी समर्पित है, जो हर दिन देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं। यामिनी के शब्द, “देश से बड़ा कुछ नहीं,” न केवल एक नारा हैं, बल्कि एक ऐसी भावना है जो भारत के हर कोने में गूंजती है।

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