नवसारी, गुजरात: गुजरात के नवसारी जिले के खानपुर गांव में एक अनोखी शादी चर्चा का केंद्र बनी है, जहाँ 36 वर्षीय मेघराजभाई देशमुख एक ही मंडप में दो दुल्हनों, काजल गावित और रेखाबेन गाइन, से विवाह करेंगे। इस शादी का कार्ड सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो गया, क्योंकि इसमें एक दूल्हे के साथ दो दुल्हनों के नाम हैं। खास बात यह है कि मेघराजभाई के तीन बच्चे—दो काजल से और एक रेखा से—भी इस समारोह का हिस्सा होंगे। यह शादी आदिवासी परंपरा “चांदला विधि” (Chandla Vidhi) से जुड़ी है, जो इसे और भी खास बनाती है।
एक दूल्हा की दो दुल्हन: शादी का कार्ड बना चर्चा का विषय
ख़बरों के मुताबिक, वांसदा तालुका के खानपुर गांव में होने वाली इस शादी का निमंत्रण पत्र लोगों के बीच कौतूहल का कारण बना। कार्ड में मेघराजभाई के नाम के साथ काजल और रेखा के नाम देखकर लोग हैरान रह गए। यह कार्ड व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर तेज़ी से फैला, जिसने इसे पूरे गुजरात में चर्चा का विषय बना दिया। कई लोग इसे प्रेम और सहमति की अनोखी मिसाल मान रहे हैं, जबकि कुछ आदिवासी परंपराओं के बारे में जानने को उत्सुक हैं। मेघराजभाई को नवसारी और गुजरात के अन्य हिस्सों से बधाई संदेश और कॉल्स मिल रहे हैं।
मेघराजभाई की प्रेम कहानी
मेघराजभाई खानपुर गांव के पारसी फलिया में रहते हैं। उनकी कहानी 2010 में शुरू हुई, जब उन्होंने खांडा गांव की काजल गावित से सगाई की। कुछ साल बाद, 2013 में, उनकी मुलाकात केलिया गांव की रेखाबेन गाइन से हुई, और उनसे भी सगाई हो गई। इसके बाद, मेघराजभाई दोनों के साथ लिव-इन रिलेशनशिप (Live-In Relationship) में रहने लगे। इस दौरान काजल से उनके दो बच्चे हुए, और रेखा से एक बेटा। दोनों परिवारों की सहमति और खुशी के साथ, मेघराजभाई अब 19 मई 2025 को दोनों दुल्हनों के साथ पारंपरिक विवाह रचाने जा रहे हैं। यह शादी उनके रिश्ते को सामाजिक और धार्मिक मान्यता देगी।
चांदला विधि: आदिवासी परंपरा का आधार
यह अनोखी शादी आदिवासी समाज की “चांदला विधि” या “फुलहर” परंपरा का हिस्सा है। इस रिवाज में युवक और युवती शादी से पहले पति-पत्नी की तरह साथ रह सकते हैं। जब वे आर्थिक रूप से सक्षम हो जाते हैं, तब पूरे रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न होता है। मेघराजभाई ने भी इसी परंपरा के तहत काजल और रेखा के साथ वर्षों तक साथ रहने के बाद अब औपचारिक शादी का फैसला लिया। यह परंपरा न केवल उनके रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति देती है, बल्कि आदिवासी संस्कृति (Tribal Culture) की अनूठी पहचान को भी सामने लाती है।
सामाजिक स्वीकृति और परिवारों की सहमति
मेघराजभाई की इस शादी में सबसे खास बात दोनों दुल्हनों और उनके परिवारों की पूर्ण सहमति है। काजल और रेखा, जो वर्षों से मेघराजभाई के साथ रह रही हैं, इस विवाह से खुश हैं। उनके बच्चे भी इस समारोह में शामिल होंगे, जो इस रिश्ते की मज़बूती को दर्शाता है। यह शादी न केवल व्यक्तिगत प्रेम और विश्वास की कहानी है, बल्कि सामाजिक सहमति और पारिवारिक एकता का भी उदाहरण है। स्थानीय समुदाय ने भी इस शादी को स्वीकार किया है, और इसे आदिवासी परंपराओं के सम्मान के रूप में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ

वायरल कार्ड ने सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ जन्म दी हैं। कुछ लोग इसे सच्चे प्यार और खुले विचारों का प्रतीक मान रहे हैं, तो कुछ इसे आदिवासी परंपराओं की अनूठी झलक के रूप में देख रहे हैं। कई यूज़र्स ने इस शादी को “वायरल वेडिंग” (Viral Wedding) का नाम दिया है। इसने न केवल गुजरात, बल्कि देशभर में लोगों का ध्यान खींचा है। कुछ लोग इसकी तुलना अन्य अनोखी शादियों से कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर सुर्खियाँ बटोर चुकी हैं।
प्रेम और परंपरा का अनोखा संगम
मेघराजभाई, काजल, और रेखा की यह शादी गुजरात के नवसारी जिले में एक ऐतिहासिक पल बन गई है। एक दूल्हे और दो दुल्हनों का यह विवाह न केवल आदिवासी परंपरा “चांदला विधि” का जीवंत उदाहरण है, बल्कि प्रेम, सहमति, और पारिवारिक एकता की मिसाल भी है। वायरल शादी का कार्ड और इसकी कहानी ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, जिससे लोग आदिवासी संस्कृति और आधुनिक रिश्तों पर विचार करने को मजबूर हुए हैं। यह शादी साबित करती है कि सच्चा प्यार और सामाजिक स्वीकृति मिलकर किसी भी रिश्ते को खास बना सकते हैं।