महाराष्ट्र में गरबा पर विवाद: नितेश राणे का दावा – ‘लव जिहाद का केंद्र बन रहे नवरात्रि आयोजन’, विहिप के समर्थन में बयान

Mumbai News: महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने गरबा आयोजनों को लव जिहाद का केंद्र बताया, विहिप की पहचान पत्र जांच मांग का समर्थन किया। संजय राउत पर भी हमला बोला, जो पाकिस्तानी खिलाड़ी के इशारे पर केंद्र की आलोचना कर रहे थे। नवरात्रि के बीच यह बयान धार्मिक तनाव और सामाजिक बहस को हवा दे रहा है।

Samvadika Desk
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नीतेश राणे (इमेज - सोशल मीडिया)
Highlights
  • नितेश राणे का दावा: नवरात्रि गरबा आयोजन बन रहे लव जिहाद का अड्डा!
  • विहिप की मांग- गरबा में पहचान पत्र जांच, राणे ने दिया समर्थन!
  • राणे बोले- गैर-हिंदू गरबा में आएं तो हिंदू धर्म अपनाएं!

मुंबई, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के फडणवीस सरकार में मंत्री नितेश राणे ने नवरात्रि के गरबा आयोजनों को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है, जो सुर्खियों में छाया हुआ है। उन्होंने दावा किया कि नवरात्रि के दौरान होने वाले गरबा कार्यक्रम ‘लव जिहाद’ का केंद्र बन रहे हैं। राणे ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की उस मांग का समर्थन किया, जिसमें गरबा आयोजकों से प्रतिभागियों के पहचान पत्र जांचने को कहा गया है। इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत पर भी तीखा हमला बोला, जो हाल ही में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के विवादित इशारों पर केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे थे। राणे के बयान ने धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

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गरबा पर राणे का बयान: ‘लव जिहाद का अड्डा’ और विहिप की मांग

नवरात्रि, जो 22 सितंबर से शुरू हो चुकी है, गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य गरबा और मां दुर्गा की पूजा का उत्सव लेकर आती है। लेकिन इस बार महाराष्ट्र में गरबा आयोजनों पर नया विवाद खड़ा हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नितेश राणे, जो राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री हैं, ने कहा, “गरबा आयोजन अब लव जिहाद का केंद्र बनते जा रहे हैं। विहिप की मांग बिल्कुल सही है कि आयोजकों को प्रतिभागियों के पहचान पत्र जांचने चाहिए।”

राणे ने आगे तर्क दिया, “इस्लाम में मूर्ति पूजा की इजाजत नहीं है। फिर भी कुछ लोग झूठी पहचान के साथ गरबा में शामिल होते हैं और हमारी महिलाओं को परेशान करते हैं। मेरे हिसाब से वे लव जिहाद के मकसद से आते हैं। अगर कोई गैर-हिंदू गरबा में आना ही चाहता है, तो उसे हिंदू धर्म अपनाने के लिए तैयार होना चाहिए, क्योंकि वह पहले से ही हिंदू रीति-रिवाजों में हिस्सा ले रहा है।” राणे ने यह भी कहा कि विहिप जैसे संगठनों को धर्मांतरण की प्रक्रिया तैयार करनी चाहिए, क्योंकि “आखिरकार हम सब पहले हिंदू ही थे।”

संजय राउत पर हमला: ‘हमें देशभक्ति न सिखाएं’

नितेश राणे ने अपने बयान में शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत पर भी निशाना साधा। हाल ही में पाकिस्तान के क्रिकेटर साहिबजादा फरहान ने दुबई में एक मैच के दौरान अर्धशतक बनाने के बाद बल्ले से बंदूक चलाने जैसा इशारा किया था, जिसे भड़काऊ माना गया। इस पर राउत ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी की आलोचना की थी। जवाब में राणे ने कहा, “पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने दुबई में आपत्तिजनक इशारा किया। अगर ऐसा यहां होता, तो हम उन्हें सबक सिखाते। संजय राउत को न तो हमें और न ही पीएम मोदी को देशभक्ति का पाठ पढ़ाना चाहिए।”

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राणे ने शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि उद्धव अपने पिता बाल ठाकरे के बनाए राजनीतिक ब्रांड को नष्ट कर रहे हैं। यह बयान दोनों पार्टियों के बीच चल रही तनातनी को और हवा देता है।

गरबा और लव जिहाद का विवाद: पुराना है मुद्दा

‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल दक्षिणपंथी संगठन अक्सर करते हैं, जिसमें आरोप लगाया जाता है कि कुछ मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को शादी या रिश्तों के बहाने धर्म परिवर्तन के लिए लुभाते हैं। नवरात्रि के दौरान गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं की एंट्री को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुका है। विहिप और बजरंग दल जैसे संगठन पहले भी आयोजकों से आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र जांचने की मांग कर चुके हैं। गुजरात और महाराष्ट्र में कई गरबा पंडालों में ‘केवल हिंदुओं’ के लिए प्रवेश का नियम लागू किया गया है, जिसे लेकर बहस छिड़ी हुई है।

राणे का यह बयान उसी कड़ी का हिस्सा है, जहां धार्मिक आधार पर सामाजिक आयोजनों को नियंत्रित करने की मांग जोर पकड़ रही है। हालांकि, इस तरह के बयानों पर सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सांस्कृतिक आयोजनों को सभी के लिए खुला रखना चाहिए, ताकि सामाजिक समरसता बनी रहे।

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नवरात्रि पर बढ़ता तनाव: क्या होगा असर?

नवरात्रि का उत्सव महाराष्ट्र और गुजरात में बड़े जोश के साथ मनाया जाता है। लेकिन राणे के इस बयान ने आयोजकों पर दबाव बढ़ा दिया है। कई गरबा पंडाल पहले ही सख्त नियम लागू कर चुके हैं, जैसे कि पहचान पत्र की जांच और ड्रेस कोड। राणे के समर्थन से अब विहिप जैसे संगठन और आक्रामक हो सकते हैं। यह विवाद न केवल धार्मिक संवेदनशीलता को उजागर करता है, बल्कि सामाजिक एकता के सामने नई चुनौतियां भी खड़ी करता है।

नितेश राणे का बयान जहां उनके समर्थकों के बीच जोश भर रहा है, वहीं विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला करार दिया है। जैसे-जैसे नवरात्रि आगे बढ़ेगी, यह देखना होगा कि गरबा आयोजन सामाजिक उत्सव के रूप में अपनी पहचान बनाए रखते हैं या विवादों की भेंट चढ़ते हैं।

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