बरेली में बेबस पिता का दर्द: बेटी की मौत के बाद भी कट्टरपंथियों ने नहीं दी ‘दो गज ज़मीन’

Bareilly News: बरेली के थाना किला क्षेत्र में एक मुस्लिम युवती, जिसने हिंदू युवक से प्रेम विवाह किया था, की 1 जून 2025 को बीमारी से मौत हो गई। कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने जनाजे की नमाज और कब्रिस्तान में जगह देने से इनकार कर दिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद युवती को बिना नमाज के दफनाया गया।

Samvadika Desk
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प्रतीकात्मक इमेज
Highlights
  • बरेली में प्रेम विवाह की सजा: मुस्लिम युवती की मौत के बाद जनाजे की नमाज से इनकार!
  • कट्टरपंथी मुस्लिम धर्मगुरुओं ने कब्रिस्तान में दो गज ज़मीन देने से मना किया!
  • हिंदू युवक से शादी करने वाली युवती को जीते-जी और मरने के बाद बहिष्कार!
  • जखीरा मोहल्ले में युवती के पिता का दर्द, बेटी को नहीं मिला सम्मान!

बरेली, उत्तर प्रदेश: बरेली के थाना किला क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने प्रेम और कट्टरता के बीच की खाई को उजागर किया है। एक मुस्लिम युवती, जिसने दो साल पहले हिंदू युवक से प्रेम विवाह किया था, की बीमारी से मौत हो गई। लेकिन मृत्यु के बाद भी उसे सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं मिला। कट्टरपंथी धर्मगुरुओं ने न तो उसके जनाजे की नमाज पढ़ी और न ही कब्रिस्तान में दफनाने के लिए ज़मीन दी। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद युवती को 1 जून 2025 को बिना जनाजे की नमाज के कब्रिस्तान में दफनाया गया।

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प्रेम विवाह और सामाजिक बहिष्कार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जखीरा मोहल्ले की इस युवती ने दो साल पहले एक हिंदू युवक से प्रेम विवाह किया था। शादी के लिए युवक ने इस्लाम अपनाकर निकाह किया, लेकिन इसके बावजूद युवती के परिवार और समुदाय ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। युवती को जीते-जी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा। दो साल तक दोनों ने प्रेम और विश्वास के साथ ज़िंदगी बिताई, लेकिन बीमारी ने युवती को छीन लिया। रविवार, 1 जून 2025 को उसकी मौत हो गई।

कट्टरपंथी धर्मगुरुओं का अमानवीय रवैया

युवती के पिता ने कट्टरपंथी मुस्लिम धर्मगुरुओं पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि मस्जिद के इमाम ने जनाजे की नमाज पढ़ने से इनकार कर दिया, क्योंकि युवती ने गैर-धर्म के युवक से शादी की थी। मस्जिद का खटोला (जनाजे के लिए ताबूत) देने से भी मना कर दिया गया। इतना ही नहीं, कब्रिस्तान समिति ने कब्र के लिए दो गज ज़मीन देने से भी इनकार कर दिया। पिता ने बताया कि उनकी बेटी को मृत्यु के बाद भी अपमान सहना पड़ा।

पुलिस का हस्तक्षेप

परिवार पहले से ही बेटी की मौत के गम में डूबा था, और धर्मगुरुओं के रवैये ने उनकी पीड़ा को दोगुना कर दिया। युवती के पिता ने कहा, “हमारी बेटी को जीते-जी बहिष्कार मिला, और मरने के बाद भी उसे सम्मान नहीं मिला।” आखिरकार, स्थानीय पुलिस ने मामले में दखल दिया। पुलिस के प्रयासों से युवती को कब्रिस्तान में दफन किया गया, लेकिन यह प्रक्रिया बिना जनाजे की नमाज के पूरी हुई।

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इलाके में चर्चा

यह घटना बरेली के जखीरा मोहल्ले और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गई है। लोग इस कट्टरता पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक मृत आत्मा को भी मजहब के नाम पर सजा क्यों दी गई। युवती के पिता का दर्द इलाके में सहानुभूति बटोर रहा है, और यह मामला धर्म और प्रेम के बीच की जटिलताओं को उजागर करता है।

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