रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में धर्मांतरण का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। माधव राव सप्रे स्कूल के बाहर तीन महिलाओं ने 9वीं-10वीं कक्षा के छात्रों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया। घटना की सूचना पर हिंदू संगठनों ने हंगामा किया, और पुलिस ने तीनों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। यह मामला धर्मांतरण की कोशिशों और धार्मिक संवेदनशीलता पर गहरी बहस छेड़ रहा है।
स्कूल के बाहर बच्चों को बरगलाने की कोशिश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना 28 जून 2025 की है, जब स्कूल की छुट्टी के बाद तीन महिलाएँ, जिन्होंने अपना नाम ममता चौहान, नम्रता चौहान, और विभा मसीह बताया, एक ऑटो से उतरकर छात्रों के पास पहुँचीं। उन्होंने 9वीं और 10वीं के कुछ छात्रों से बात शुरू की और पूछा, “क्या तुम चर्च जाते हो? क्या तुम ईसाई धर्म मानते हो?” जब बच्चों ने बताया कि वे हिंदू हैं, तो महिलाओं ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिए। उन्होंने कहा, “चर्च जाओ, पढ़ाई में होशियार बनोगे, बीमारियाँ दूर होंगी। अपने परिवार को भी बताओ, उनकी बीमारियाँ भी ठीक हो जाएँगी।” साथ ही, उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। बच्चों ने विरोध किया और पीछा करने पर डर गए।
हिंदू संगठनों का हंगामा
छात्रों ने इस घटना की जानकारी अपने परिजनों और स्थानीय लोगों को दी। जल्द ही हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मौके पर पहुँचे और कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज की। संगठनों ने आरोप लगाया कि महिलाएँ सुनियोजित तरीके से बच्चों को धर्म परिवर्तन के लिए बरगला रही थीं। कोतवाली थाने के सीएसपी केसरी नंदन नायक ने स्थानीय रिपोर्टर को बताया कि शिकायत के आधार पर तीनों महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने उनके खिलाफ धर्मांतरण के प्रयास और धार्मिक भावनाएँ भड़काने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
पुलिस जाँच और विवाद
पुलिस ने तीनों महिलाओं से पूछताछ शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह कोई सुनियोजित धर्मांतरण की साजिश थी। सीएसपी नायक ने कहा, “मामले की गहन जाँच की जा रही है। उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।” इस घटना ने रायपुर में धार्मिक तनाव को बढ़ा दिया है, और स्थानीय लोग इसे हिंदू समुदाय की भावनाओं पर हमला बता रहे हैं।
धार्मिक संवेदनशीलता और जागरूकता की जरूरत
यह घटना छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चल रहे धर्मांतरण विवाद को और हवा देती है। स्कूल के बाहर बच्चों को निशाना बनाना और धार्मिक अपमान न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी खतरा है। क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून और सामुदायिक जागरूकता की जरूरत है? यह मामला समाज से धार्मिक सहिष्णुता और बच्चों की सुरक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है।