आपातकाल: कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’, अमित शाह ने इंदिरा गांधी पर साधा निशाना

Amit Shah on Emergency: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपातकाल को ‘अन्यायकाल’ और लोकतंत्र पर काला धब्बा बताया। उन्होंने इंदिरा गांधी पर सत्ता की भूख का आरोप लगाया। 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया गया। यह बयान लोकतंत्र की रक्षा की अपील करता है।

Samvadika Desk
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अमित शाह भाषण देते हुए! (इमेज - स्क्रीन-ग्रैब)
Highlights
  • अमित शाह ने आपातकाल को ‘अन्यायकाल’ बताया, इंदिरा पर साधा निशाना!
  • 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित, लोकतंत्र पर जोर!
  • इंदिरा गांधी पर हमला, शाह बोले- सत्ता की भूख थी आपातकाल!

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 25 जून 2025 को आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए इसे लोकतंत्र पर काला धब्बा करार दिया। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि 25 जून 1975 को लागू आपातकाल कोई राष्ट्रीय जरूरत नहीं, बल्कि कांग्रेस की सत्ता की भूख और तानाशाही मानसिकता का प्रतीक था। शाह ने इसे ‘अन्यायकाल’ बताते हुए कहा कि यह दिन याद दिलाता है कि जनता में तानाशाही सत्ता को उखाड़ फेंकने की ताकत है।

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‘संविधान हत्या दिवस’ की घोषणा

अमित शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा कि आपातकाल के दौरान देशवासियों ने जो यातनाएँ सहीं, उसे नई पीढ़ी को जानना चाहिए। इसीलिए मोदी सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया। पिछले साल इसकी घोषणा करते हुए शाह ने कहा था कि यह दिन प्रत्येक भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की भावना को जीवित रखेगा, ताकि कांग्रेस जैसी ‘तानाशाही ताकतें’ फिर से ऐसी भयावहता न दोहरा सकें। उन्होंने इस मौके पर आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

आपातकाल का ‘अंधेरा दौर’

शाह ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल लागू कर प्रेस की आजादी छीन ली, न्यायपालिका को बंधन में जकड़ा, और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया। यह कांग्रेस की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का खुला प्रदर्शन था। उन्होंने बताया कि उस दौर में देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का नारा बुलंद किया और तानाशाह कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया। शाह ने इसे जनता की जीत और लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक बताया।

नई पीढ़ी के लिए सबक

गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि आपातकाल का इतिहास नई पीढ़ी के लिए एक सबक है। यह दिखाता है कि सत्ता की लालच में कोई भी दल लोकतंत्र को कुचल सकता है, लेकिन जनता की एकजुटता उसे हरा सकती है। उन्होंने कहा कि ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का मकसद उस अमानवीय पीड़ा को याद रखना है, जो आपातकाल के दौरान देशवासियों ने सही। यह दिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रेरणा देता है।

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लोकतंत्र और स्वतंत्रता का सवाल

आपातकाल की 50वीं वर्षगाँठ पर अमित शाह का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का केंद्र बन गया है। यह न केवल कांग्रेस पर हमला है, बल्कि लोकतंत्र की कीमत को समझने की अपील भी है। सवाल उठता है कि क्या आज के दौर में भी ऐसी तानाशाही ताकतें उभर सकती हैं? और क्या जनता अब भी उतनी ही सजग है? यह बयान नई पीढ़ी को इतिहास से सीखने और लोकतंत्र की रक्षा करने की प्रेरणा देता है।

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