चूरू, राजस्थान: प्यार और परिवार के बीच का फैसला कभी आसान नहीं होता। यह एक ऐसा सवाल है, जो दिल और दिमाग को झकझोर देता है। राजस्थान के चूरू जिले के बीदासर की 20 वर्षीय मीना लोहार के सामने भी यही सवाल आ खड़ा हुआ। परिवार ने उसे प्यार और अपनों में से किसी एक को चुनने की शर्त रखी। मीना ने अपने दिल की सुनी और प्यार को चुना, लेकिन इस फैसले का अंजाम इतना दर्दनाक होगा, इसका उसे अंदाजा नहीं था। परिवार ने उसे साफ शब्दों में कह दिया, “तुम हमारे लिए मर चुकी हो। अब कभी हमसे संपर्क मत करना।” यह कहानी न केवल प्यार और बलिदान की है, बल्कि सामाजिक मान्यताओं और व्यक्तिगत फैसलों के टकराव की भी है।
प्यार की शुरुआत: पड़ोस से दिल तक का सफर
मीना लोहार और रोहित राजपूत (22) की प्रेम कहानी चूरू के रतनगढ़ के एक मोहल्ले से शुरू हुई। दोनों पड़ोसी थे और एक ही गली में रहते थे। मीना, जिसने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की है, अपने परिवार के साथ पिछले आठ साल से रतनगढ़ में रह रही थी। उसके पिता का एल्यूमिनियम का कारखाना है, और परिवार की जिंदगी साधारण मगर स्थिर थी। दूसरी ओर, रोहित दिल्ली में एसी मैकेनिक का काम करता है। रोहित का मीना के घर आना-जाना था, क्योंकि वह मीना के भाई का दोस्त था। यहीं से दोनों की बातचीत शुरू हुई, जो धीरे-धीरे मोबाइल पर लंबी बातों में बदल गई।
समय के साथ उनकी दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई। दोनों एक-दूसरे के बिना जिंदगी की कल्पना तक नहीं कर सकते थे। लेकिन यह प्यार उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि दोनों के परिवारों की सोच और सामाजिक मान्यताएं उनके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़ी थीं।
परिवार का विरोध: शादी की बात ने बढ़ाया तनाव
पांच महीने पहले मीना ने हिम्मत जुटाकर अपने परिवार को रोहित से शादी करने की इच्छा बताई। शुरुआत में परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार करने के संकेत दिए, जिससे मीना को उम्मीद जगी। लेकिन जल्द ही परिवार ने अपना रुख बदल लिया। मीना के परिजनों ने उसकी शादी कहीं और तय करने की बात कही। मीना के लिए यह किसी झटके से कम नहीं था। उसने साफ मना कर दिया और रोहित के साथ अपने रिश्ते को लेकर अडिग रही।
इसके बाद घर में तनाव बढ़ने लगा। परिवार का दबाव और मीना की जिद ने माहौल को और गरम कर दिया। मीना का कहना है कि परिवार ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह अपने प्यार पर अटल थी। आखिरकार, जब बात नहीं बनी, तो मीना और रोहित ने एक बड़ा फैसला लिया। 17 अप्रैल 2024 को दोनों ने घर छोड़ दिया और दिल्ली की ओर रुख किया। अगले ही दिन, 18 अप्रैल को, उन्होंने दिल्ली के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली।
परिवार की नाराजगी: धमकियों का सिलसिला
News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, शादी की खबर जैसे ही दोनों के परिवारों तक पहुंची, माहौल और तनावपूर्ण हो गया। मीना के परिजनों ने रतनगढ़ थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। साथ ही, दोनों को जान से मारने की धमकियां भी मिलने लगीं। रोहित के परिवार ने भी इस शादी को स्वीकार नहीं किया और अपनी नाराजगी जाहिर की। डर और असुरक्षा के बीच मीना और रोहित ने चूरू के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय में सुरक्षा की गुहार लगाई।
एसपी कार्यालय से दोनों को चूरू के सदर थाने भेजा गया, जहां रतनगढ़ थाना पुलिस ने मीना के बयान दर्ज किए। इस दौरान मीना के परिजन भी चूरू पहुंचे और उसे समझाने की आखिरी कोशिश की। उन्होंने मीना के सामने साफ शब्दों में कहा, “या तो रोहित को चुनो, या हमें।” मीना ने अपने प्यार को चुना और परिवार को छोड़ने का फैसला किया।
परिवार का कड़ा रुख: “तुम हमारे लिए मर चुकी हो”
मीना के इस फैसले ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। गुस्से और दुख में डूबे परिजनों ने थाने में ही ऐलान कर दिया कि मीना अब उनके लिए मर चुकी है। उन्होंने उससे सारे रिश्ते तोड़ लिए और भविष्य में कोई संपर्क न करने की चेतावनी दी। यह सुनकर मीना का दिल टूट गया। भले ही वह रोहित के साथ थी, लेकिन अपने माता-पिता और परिवार को खोने का दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था।
मीना ने बताया कि उसने कभी नहीं सोचा था कि प्यार चुनने की कीमत इतनी भारी होगी। जिस परिवार ने उसे पाला-पोसा, उससे इस तरह का बर्ताव उसके लिए असहनीय था। दूसरी ओर, रोहित भी परिवार की नाराजगी और सामाजिक दबाव का सामना कर रहा है। दोनों के लिए यह नया जीवन आसान नहीं है, क्योंकि उनके पास न तो परिवार का साथ है और न ही समाज की स्वीकार्यता।
सामाजिक और भावनात्मक पहलू
चूरू का यह मामला केवल एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह प्यार और परिवार के बीच के टकराव को उजागर करता है। भारतीय समाज में प्यार और शादी को लेकर परिवार की सहमति अक्सर निर्णायक होती है। जब कोई युवा अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर प्यार को चुनता है, तो उसे सामाजिक बहिष्कार और भावनात्मक दूरी का सामना करना पड़ता है। मीना और रोहित की कहानी भी इसका एक उदाहरण है।
मीना के सामने जो सवाल था – प्यार या परिवार – वह आज भी कई युवाओं के सामने आता है। इस तरह के फैसले न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करते हैं, बल्कि परिवार और समाज के रिश्तों पर भी गहरा असर डालते हैं। मीना का दर्द इस बात का सबूत है कि प्यार की राह चुनना आसान नहीं होता, खासकर जब इसके लिए परिवार को खोना पड़े।
कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण
कानूनी रूप से, मीना और रोहित की शादी वैध है, क्योंकि दोनों बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से आर्य समाज मंदिर में विवाह किया। हालांकि, परिवार की धमकियों के कारण उनकी सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। पुलिस ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन यह देखना बाकी है कि उन्हें कितनी सुरक्षा मिल पाएगी।
सामाजिक दृष्टिकोण से, यह मामला समाज में बदलते मूल्यों और प्रेम विवाह की स्वीकार्यता पर सवाल उठाता है। जहां एक ओर युवा अपनी पसंद को प्राथमिकता दे रहे हैं, वहीं परिवार और समाज अभी भी पारंपरिक मान्यताओं से बंधे हैं। इस टकराव में अक्सर युवा जोड़े ही सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
प्यार की जीत या परिवार का दर्द?
मीना और रोहित की प्रेम कहानी प्यार की जीत तो है, लेकिन इस जीत की कीमत बेहद भारी है। मीना ने अपने दिल की सुनी और रोहित के साथ नई जिंदगी शुरू की, लेकिन परिवार को खोने का दर्द उसके दिल में हमेशा रहेगा। दूसरी ओर, परिवार का गुस्सा और दुख भी कम नहीं है, जिसने अपनी बेटी को हमेशा के लिए खो दिया।
यह कहानी समाज के लिए एक आईना है, जो यह सवाल उठाती है कि क्या प्यार और परिवार को एक साथ नहीं रखा जा सकता? क्या हर बार एक को चुनने के लिए दूसरे को खोना जरूरी है? मीना और रोहित का भविष्य अब उनकी हिम्मत और एक-दूसरे के सहारे पर टिका है। पुलिस की जांच और समाज की प्रतिक्रिया इस कहानी को आगे ले जाएगी, लेकिन यह सवाल हमेशा बना रहेगा कि प्यार की कीमत इतनी भारी क्यों होती है?