बरेली, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के बरेली में एक प्रेम कहानी (Love Story) ने न सिर्फ सामाजिक और धार्मिक बंधनों को चुनौती दी, बल्कि कानूनी और पारिवारिक विवाद को भी जन्म दे दिया। हजियापुर की मुस्लिम युवती मंतशा बेग ने अपने हिंदू प्रेमी हरिशंकर के साथ मंदिर में धर्म परिवर्तन (Religion Conversion) कर शादी रचा ली। लेकिन यह प्रेम कहानी अब खतरे की छाया में है, क्योंकि मनतशा के परिजनों ने हरिशंकर पर अपहरण का आरोप लगाया है, जबकि मनतशा ने खुद को बालिग बताते हुए अपनी मर्जी से शादी करने का दावा किया है। अब वह बरेली के एसएसपी (Senior Superintendent of Police) से सुरक्षा की गुहार लगा रही है।
प्रेम की शुरुआत और मंदिर में शादी
बरेली के थाना बारादरी क्षेत्र में रहने वाली मंतशा बेग और हरिशंकर पड़ोसी थे। दोनों के बीच प्यार की शुरुआत धीरे-धीरे हुई, जो सामाजिक और धार्मिक दीवारों को पार कर एक गहरे रिश्ते में बदल गई। मनतशा ने बताया कि वह अपने घर के कट्टर धार्मिक माहौल और चाचा-चाची के दबाव से तंग आ चुकी थी। उसके चाचा-चाची उसकी शादी एक बुजुर्ग व्यक्ति से कराने पर अड़े थे, जो पढ़ी-लिखी मनतशा को मंज़ूर नहीं था। अपनी ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की चाह में उसने हरिशंकर के साथ मंदिर में जाकर धर्म परिवर्तन किया और शादी (Marriage) कर ली। यह कदम न केवल उनके प्यार की जीत था, बल्कि सामाजिक परंपराओं के खिलाफ एक साहसिक फैसला भी।
परिजनों का आरोप और पुलिस की कार्रवाई
मनतशा बेग के पिता महबूब बेग ने हरिशंकर और उसके परिवार के खिलाफ अपहरण (Kidnapping) की शिकायत दर्ज की। इसके बाद पुलिस ने हरिशंकर के ससुराल वालों से पूछताछ शुरू की, जिसे मनतशा ने प्रताड़ना करार दिया। अपने पति और ससुराल वालों को बचाने के लिए मनतशा ने सोशल मीडिया (Social Media) पर एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में उसने साफ कहा, “मैंने अपनी मर्जी से हरिशंकर के साथ शादी की है। उन्होंने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला। मैं बालिग (Adult) हूँ और अपनी ज़िंदगी का फैसला खुद ले सकती हूँ।” उसने बरेली के एसएसपी से गुहार लगाई कि पुलिस उसके पति और ससुराल वालों को परेशान न करे।
मनतशा की डर और सुरक्षा की माँग
मंतशा ने वीडियो में अपनी जान को खतरा बताया। उसने कहा, “मेरे चाचा-चाची मुझे जान से मार देंगे। अगर मैं पुलिस स्टेशन गई, तो वे मुझे रास्ते में ही मार सकते हैं। मैं जहाँ हूँ, सुरक्षित (Safe) हूँ, लेकिन डर की वजह से सामने नहीं आ रही।” उसने एसएसपी से सुरक्षा (Protection) की माँग की, ताकि वह और उसका पति बिना डर के अपनी ज़िंदगी जी सकें। मनतशा का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों के बीच गर्मागर्म बहस का विषय बन गया।
प्रेम, धर्म और समाज के सवाल
मनतशा और हरिशंकर की यह प्रेम कहानी न केवल प्यार की ताकत को दिखाती है, बल्कि भारतीय समाज में धर्म, परिवार, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Freedom) के बीच टकराव को भी उजागर करती है। मनतशा ने कट्टर धार्मिक माहौल से बाहर निकलकर अपनी पसंद की ज़िंदगी चुनी, लेकिन इसके लिए उसे अपने ही परिवार के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। यह मामला कई सवाल उठाता है—क्या एक बालिग व्यक्ति को अपनी शादी और धर्म चुनने का हक नहीं? क्या परिवार और समाज का दबाव कानून से ऊपर है? और सबसे ज़रूरी, क्या मनतशा को अपनी सुरक्षा के लिए इतना डरना चाहिए?
सोशल मीडिया पर दो धड़े
मंतशा के वीडियो ने सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ उकसाईं। कुछ लोग उनके साहस की तारीफ कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा, “मनतशा ने प्यार के लिए इतना बड़ा कदम उठाया, पुलिस को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।” वहीं, कुछ लोग उनके धर्म परिवर्तन और परिवार के खिलाफ जाने को गलत बता रहे हैं। एक अन्य यूज़र ने लिखा, “परिवार की मर्जी के बिना ऐसी शादी समाज में तनाव बढ़ाती है।” यह बहस दर्शाती है कि भारत में प्रेम और धर्म के मुद्दे कितने जटिल हैं।
पुलिस की भूमिका और अगला कदम
मनतशा की गुहार के बाद अब सबकी निगाहें बरेली पुलिस पर हैं। क्या पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जाँच (Impartial Investigation) करेगी और मनतशा की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी? या फिर परिवार और सामाजिक दबाव के आगे कोई और रास्ता अपनाया जाएगा? मनतशा ने साफ कर दिया है कि वह अपनी शादी को लेकर किसी दबाव में नहीं झुकेगी, लेकिन उनकी सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। यह मामला न केवल बरेली की चर्चा का केंद्र है, बल्कि पूरे देश में प्रेम, धर्म, और कानून के बीच संतुलन पर बहस छेड़ रहा है।
एक प्रेरणादायक कहानी
मंतशा और हरिशंकर की कहानी उन तमाम जोड़ों के लिए प्रेरणा है, जो प्यार के लिए सामाजिक बंधनों को तोड़ने की हिम्मत रखते हैं। लेकिन यह कहानी यह भी बताती है कि भारत में ऐसी प्रेम कहानियों को स्वीकार करना अभी भी आसान नहीं है। मनतशा का साहस और उसकी सुरक्षा की माँग इस बात की याद दिलाती है कि प्यार की जीत के लिए न सिर्फ हिम्मत, बल्कि समाज और कानून का साथ भी ज़रूरी है।