इंजीनियर दूल्हे ने बिना दहेज की शादी, बैलगाड़ी से कराई शिक्षिका दुल्हन की विदाई, वीडियो वायरल

UP News: झांसी के एक इंजीनियर दूल्हे ने बिना दहेज की शादी कर समाज को नई राह दिखाई। खास बात यह रही कि शिक्षिका दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी से की गई, जो ग्रामीण परंपरा का सुंदर प्रतीक बन गया। यह विवाह समारोह सादगी, परंपरा और सामाजिक सुधार का प्रेरणास्रोत बनकर सामने आया है।

Samvadika Desk
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इंजीनियर दूल्हे ने बैलगाड़ी से करायी शिक्षिका दुल्हन की विदाई (इमेज - सोशल मीडिया)
Highlights
  • झांसी में बिना दहेज की शादी बनी चर्चा का विषय!
  • इंजीनियर दूल्हे ने बैलगाड़ी से कराई दुल्हन की विदाई!
  • लग्जरी गाड़ियों की जगह ग्रामीण परंपरा का सम्मान
  • झांसी की शादी बनी सोशल मीडिया पर वायरल स्टोरी
  • शादी के बाद बैलगाड़ी पर बैठी दुल्हन, हर कोई देखता रह गया

झांसी, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक विवाह समारोह ने सभी का ध्यान खींचा, जब एक इंजीनियर दूल्हे ने न केवल बिना दान-दहेज के शादी रचाई, बल्कि अपनी शिक्षिका दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी से की। यह दृश्य आधुनिक युग में, जहां लोग लग्जरी कारों और हेलीकॉप्टर से विदाई कराते हैं, सभी के लिए आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक था। दूल्हे का कहना है कि वह भारत की कृषि-प्रधान संस्कृति को जीवित रखना चाहता है, और इस अनोखे कदम से उन्होंने परंपराओं को सम्मान दिया है। यह आयोजन न केवल एक शादी थी, बल्कि सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत उदाहरण भी बन गया।

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सादगी से शुरू हुई शादी की कहानी

जानकारी के मुताबिक, यह अनोखा विवाह समारोह झांसी के वीरांगना नगर में मंगलवार को संपन्न हुआ। झांसी जिले के जरयाई चिरगांव गाँव के निवासी संतोष कुमार विश्वकर्मा के बेटे अभिजीत विश्वकर्मा, जो पेशे से इंजीनियर हैं, ने मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के मुनावली गाँव की बबली विश्वकर्मा से शादी की। बबली स्वयं एक शिक्षिका हैं और उनके पिता रामगोपाल विश्वकर्मा भी शिक्षक हैं।

शादी की खास बात यह थी कि इसे बिना किसी दान-दहेज के संपन्न किया गया। अभिजीत और उनके परिवार ने सामाजिक कुरीतियों को नकारते हुए सादगी और समानता के साथ यह विवाह रचाया। संतोष कुमार ने बताया कि उनका बेटा शुरू से ही दहेज जैसी प्रथाओं के खिलाफ रहा है, और पूरे परिवार ने इस फैसले में उसका साथ दिया। यह शादी न केवल दो लोगों का मिलन थी, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी थी कि रिश्ते प्यार और विश्वास पर टिकते हैं, न कि पैसे के लेन-देन पर।

बैलगाड़ी से विदाई: परंपरा का सम्मान

शादी के बाद बुधवार को दुल्हन की विदाई का समय आया। सभी रिश्तेदार और बाराती विदाई की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन जब फूलों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजी एक बैलगाड़ी सामने आई, तो हर कोई हैरान रह गया। आधुनिक समय में, जब लोग लग्जरी कारों, SUVs या यहाँ तक कि हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई कराते हैं, अभिजीत ने बैलगाड़ी को चुना। यह नजारा न केवल अनोखा था, बल्कि यह भारतीय ग्रामीण संस्कृति की सादगी और सुंदरता को दर्शा रहा था।

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जब मेहमानों ने इस अनोखे तरीके पर सवाल उठाए, तो अभिजीत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मैं एक कृषि-प्रधान देश का नागरिक हूँ। मशीनरी के इस युग में भी हमारी पुरानी संस्कृति और परंपराएँ जीवित रहनी चाहिए। बैलगाड़ी हमारी जड़ों का प्रतीक है, और मैं इसे सम्मान देना चाहता हूँ।” उनके इस जवाब ने सभी का दिल जीत लिया। परिवार और बारातियों ने उत्साह के साथ बैलगाड़ी से दुल्हन की विदाई का स्वागत किया, और यह क्षण धूमधाम के साथ संपन्न हुआ।

शिक्षिका दुल्हन और इंजीनियर दूल्हे की जोड़ी

अभिजीत और बबली की जोड़ी न केवल शैक्षिक और पेशेवर दृष्टिकोण से प्रेरणादायक है, बल्कि उनकी सोच और मूल्य भी समाज के लिए एक मिसाल हैं। अभिजीत, जो एक इंजीनियर हैं, ने अपनी शिक्षा और आधुनिकता को परंपराओं के साथ जोड़ा, जबकि बबली, जो एक शिक्षिका हैं, ने इस सादगी भरे विवाह में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। दोनों ने यह दिखाया कि आधुनिकता और परंपरा का मेल संभव है, बशर्ते इरादे मजबूत हों।

बबली के परिवार ने भी इस शादी और विदाई के तरीके की सराहना की। उनके पिता रामगोपाल ने कहा कि यह शादी उनकी बेटी के लिए न केवल एक नई शुरुआत है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक है। बिना दहेज की शादी और बैलगाड़ी से विदाई ने इस समारोह को यादगार बना दिया।

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सामाजिक संदेश: दहेज और दिखावे के खिलाफ

यह शादी और विदाई का तरीका समाज के लिए कई संदेश देता है। सबसे पहला संदेश है दहेज प्रथा के खिलाफ। भारत में दहेज आज भी कई परिवारों के लिए एक बोझ बना हुआ है, और यह प्रथा सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है। अभिजीत और उनके परिवार ने बिना दहेज की शादी करके यह दिखाया कि सच्चा रिश्ता प्यार और सम्मान पर आधारित होता है, न कि धन पर।

दूसरा संदेश है भारतीय संस्कृति और ग्रामीण परंपराओं का सम्मान। आधुनिकता के दौर में, जब लोग विदेशी संस्कृति और दिखावे की ओर आकर्षित हो रहे हैं, अभिजीत ने बैलगाड़ी जैसे साधारण साधन को चुनकर यह साबित किया कि हमारी जड़ें ही हमारी ताकत हैं। बैलगाड़ी, जो कभी ग्रामीण भारत में परिवहन का प्रमुख साधन थी, आज भी हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

स्थानीय लोगों में चर्चा का विषय

झांसी के इस अनोखे विवाह समारोह ने स्थानीय लोगों के बीच खासी चर्चा बटोरी है। गाँववासी और रिश्तेदार इस शादी की सादगी और अनोखेपन की तारीफ करते नहीं थक रहे। कई लोगों ने इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया, जो युवाओं को दहेज और दिखावे के खिलाफ जागरूक कर सकता है। सोशल मीडिया पर भी इस शादी की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं, और लोग अभिजीत और बबली की जोड़ी की सराहना कर रहे हैं।

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एक शादी, जो बन गई मिसाल

झांसी की यह शादी केवल दो लोगों का मिलन नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश थी। इंजीनियर अभिजीत और शिक्षिका बबली ने अपनी शादी को सादगी, परंपरा और सामाजिक सुधार का प्रतीक बनाया। बिना दहेज की शादी और बैलगाड़ी से विदाई ने न केवल मेहमानों को हैरान किया, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर किया कि शादियाँ दिखावे का नहीं, बल्कि प्यार और संस्कृति का उत्सव होनी चाहिए।

यह शादी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं। अभिजीत का यह कदम न केवल उनकी सांस्कृतिक जड़ों के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि छोटे-छोटे प्रयास समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। झांसी का यह विवाह समारोह लंबे समय तक लोगों के दिलों में याद रहेगा, और शायद यह दूसरों को भी ऐसी सादगी भरी शादियों के लिए प्रेरित करेगा।

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