कौशांबी, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में रिश्तों को कलंकित करने वाली एक शर्मनाक घटना ने समाज को झकझोर दिया। एक चचिया ससुर ने अपनी बहू के साथ दुष्कर्म जैसा जघन्य अपराध किया, जिसके चलते वह सात महीने की गर्भवती हो गई। पति, जो रोजी-रोटी के लिए कर्नाटक गया था, लौटने पर अपनी पत्नी की हालत देखकर सन्न रह गया। पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए ससुर की करतूत उजागर की, और पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। यह घटना 29 जून 2025 को सामने आई और पूरे क्षेत्र में हंगामा मचा हुआ है।
विश्वासघात की दर्दनाक कहानी
जानकारी के अनुसार, करारी कोतवाली क्षेत्र के एक गाँव में रहने वाले युवक की शादी 14 महीने पहले हुई थी। शादी के कुछ समय बाद ही वह रोजगार की तलाश में कर्नाटक चला गया, और पत्नी को परिवार की देखरेख में छोड़ गया। उसे क्या पता था कि उसका विश्वास तोड़ने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका चचिया ससुर शिव रतन विश्वकर्मा होगा।
पति के लौटने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी सात महीने की गर्भवती है। हैरान और आक्रोशित पति ने जब पत्नी से सच्चाई पूछी, तो उसने बताया कि घर में अकेले रहने के दौरान ससुर ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। विरोध करने पर ससुर ने उसे जान से मारने की धमकी दी, जिसके डर से वह चुप रही।
पत्नी की हिम्मत और पुलिस की कार्रवाई
पत्नी ने अपने पति के साथ मिलकर करारी थाने में जाकर ससुर के खिलाफ शिकायत दर्ज की। उसने साफ-साफ बताया कि ससुर की धमकियों के कारण वह पहले डर के मारे चुप थी, लेकिन अब वह इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना चाहती है। कोतवाली प्रभारी विनीत सिंह ने बताया कि विवाहिता की तहरीर के आधार पर शिव रतन विश्वकर्मा के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है, और जल्द ही आरोपी को हिरासत में लेने की कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने गाँव में गुस्से और शर्मिंदगी का माहौल पैदा कर दिया है। लोग इस बात से स्तब्ध हैं कि परिवार का एक सदस्य ही इतना घिनौना अपराध कर सकता है। यह मामला रिश्तों की पवित्रता पर धब्बा है और समाज में विश्वास की नींव को हिलाने वाला है।
रिश्तों पर सवाल और जिम्मेदारी की पुकार
यह घटना परिवार और समाज में विश्वास के टूटने की दुखद तस्वीर पेश करती है। क्या आर्थिक मजबूरी में परदेस जाने वाले पुरुषों की अनुपस्थिति में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समाज को और जागरूक होना होगा? क्या परिवार के भीतर ही ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर सामाजिक और कानूनी उपायों की जरूरत है? यह मामला न केवल पीड़िता की हिम्मत को दर्शाता है, बल्कि समाज से एकजुट होकर महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करने की अपील भी करता है।