लखनऊ, उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे संविधान प्रदत्त वोटिंग अधिकार छीनने की सुनियोजित साजिश करार दिया। साथ ही, बिहार चुनाव में राजद पर बने विवादित गानों का हवाला देते हुए कलाकारों और मीडिया से अपील की कि ऐसे गाने न बनाएं और उन्हें सपा का मत न बताएं। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस 30 नवंबर 2025 को सपा मुख्यालय में हुई, जहां अखिलेश ने भाजपा की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाए।
एसआईआर को बताया संवैधानिक अधिकारों पर हमला
अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर के नाम पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग मिलकर लोगों के वोट डालने के मौलिक अधिकार को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा दिए संविधान का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह सोची-समझी रणनीति है, जिससे आरक्षण और पहचान भी छीनी जा सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री ने हाल ही में ब्रेन हेमरेज से मरे बीएलओ विजय कुमार वर्मा का उदाहरण दिया और कहा कि प्रशासन उनके परिवार पर दबाव डाल रहा है कि वह ड्यूटी पर नहीं थे। वर्मा की पत्नी ने बताया कि 14 नवंबर को वह काम पर थे, रात 11 बजे काम करते हुए गिरे और अस्पताल में मौत हो गई, लेकिन प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा और झूठ बोल रहा है।
बिहार चुनाव के गानों से लिया सबक
अखिलेश ने बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए खुद को सावधान किया। उन्होंने कलाकारों से कहा, “बिहार में राजद के लिए जैसे रंगबाजी वाले गाने बने, वैसे हमारे लिए मत बनाना।” मीडिया से अपील की कि कोई भी गाना सपा का आधिकारिक मत न बताए। बता दें कि बिहार में राजद को बदनाम करने वाले कई गाने वायरल हुए थे, जिन्हें पार्टी ने अपनी हार का एक कारण माना। राजद ने 32 गायकों को नोटिस भेजा था, आरोप लगाया कि ये भाजपा से जुड़े हैं और तेजस्वी यादव समेत पार्टी की छवि खराब की गई है।
राजद ने गायकों पर लगाया था मानहानि का आरोप
राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा था कि चुनाव से पहले जानबूझकर ऐसे गीत लॉन्च किए गए, जो पार्टी और नेताओं का नाम लेकर बदनाम करते हैं। अधिकतर गायक भाजपा से जुड़े हैं और सामाजिक न्याय को निशाना बनाया गया। पार्टी ने चेतावनी दी कि बिना अनुमति राजद का नाम, झंडा या नारा इस्तेमाल करना अवैध है, ऐसे में एफआईआर और मानहानि का केस किया जाएगा। अगर जवाब संतोषजनक न मिला तो कानूनी कार्रवाई होगी।
भाजपा की जल्दबाजी पर उठाए सवाल
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि एसआईआर में इतनी हड़बड़ी क्यों? चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में शादियों का सीजन है, लोग व्यस्त हैं, फिर इतने कम समय में पूरे प्रदेश का पुनरीक्षण क्यों? फॉर्म बांटने में भी जल्दबाजी है, सरकार दावा करती है कि सब बांट दिए गए, लेकिन हकीकत अलग है। यहां तक कि सफाईकर्मियों को बीएलओ का सहायक बनाया गया है, जबकि फॉर्म में तकनीकी बातें हैं।
विपक्ष की लगातार हमलावर रणनीति
यूपी में एसआईआर को लेकर विपक्षी दल लगातार भाजपा पर हमले कर रहे हैं। अखिलेश के इन आरोपों से सियासी माहौल गर्माया हुआ है। सपा का मानना है कि यह लोकतंत्र पर खतरा है और जनता को जागरूक रहना चाहिए। आने वाले दिनों में यह मुद्दा चुनावी बहस का केंद्र बन सकता है, जहां विपक्ष संविधान की रक्षा का दावा कर रहा है।

