लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले ईद मिलन और रोजा इफ्तार जैसे आयोजन आम थे, लेकिन हिंदू संस्कृति से जुड़े दिवाली और होली मिलन समारोह पहले कभी नहीं देखे गए। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले देश में और 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में सनातन धर्म की विरासत से जुड़े ऐसे समारोहों का आयोजन नहीं होता था। 2017 में उनकी सरकार बनने के बाद अयोध्या में दीपोत्सव के रूप में दिवाली मिलन समारोह की शुरुआत हुई, जो अब सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुका है।
अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले अयोध्या में दिवाली का कोई विशेष आयोजन नहीं होता था। लेकिन उनकी सरकार ने इसकी कमी को महसूस किया और 2017 से अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत की। आज यह आयोजन लाखों दीपकों के साथ एक भव्य उत्सव बन चुका है, जो न केवल सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक मेलजोल को भी बढ़ावा देता है। योगी ने कहा कि यह आयोजन पूरे देश में एकता और समरसता का संदेश देता है।
सांस्कृतिक एकता पर जोर
सीएम योगी ने जोर देकर कहा कि समाज की सोच, आवाज और दृष्टिकोण एक होने चाहिए। उन्होंने कहा, “जब हमारी संस्कृति एक है, तो हमारे संकल्प और विचार भी एक होने चाहिए।” दिवाली और होली जैसे मिलन समारोह एकता और भाईचारे को मजबूत करने का प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि 2017 में जब उनकी सरकार बनी, तो मंत्रियों और अधिकारियों ने उनसे पूछा था कि क्या वे दिवाली पर उनसे मिल सकते हैं। तब योगी ने कहा कि वह आमतौर पर गोरखपुर के गांवों में दिवाली मनाते हैं और वहां मिलन समारोहों में हिस्सा लेते हैं। लेकिन अयोध्या में दीपोत्सव शुरू कर इसे एक नया आयाम दिया गया।
राज्यपाल से मुलाकात, दी शुभकामनाएं
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की और उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं दीं। इस मुलाकात में उन्होंने अयोध्या दीपोत्सव और सांस्कृतिक एकता के महत्व पर भी चर्चा की। योगी ने कहा कि यह आयोजन अब उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुका है और यह समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
मुख्यमंत्री का यह बयान सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता पर उनके जोर को दर्शाता है। अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सनातन धर्म की समावेशी प्रकृति को भी उजागर करती है। योगी ने कहा कि पहले जहां ईद और रोजा इफ्तार जैसे आयोजन प्रमुख थे, वहीं अब दिवाली और होली जैसे समारोह भी समाज में अपनी जगह बना रहे हैं। यह बदलाव उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक जागरूकता और एकता की नई मिसाल पेश कर रहा है।
दीपोत्सव का वैश्विक प्रभाव
अयोध्या का दीपोत्सव अब न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश और विदेशों में भी चर्चा का विषय बन चुका है। लाखों दीपकों की रोशनी और भव्य आयोजन ने इसे एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव का दर्जा दिलाया है। योगी सरकार का यह प्रयास न केवल सनातन धर्म की विरासत को मजबूत कर रहा है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी बन रहा है।
यह बयान और अयोध्या दीपोत्सव की सफलता उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब सभी की नजर इस बात पर है कि इस साल का दीपोत्सव कितना भव्य होगा और यह समाज में एकता का संदेश कितनी गहराई से पहुंचाएगा।

