बरेली की राधा और एक माँ-बेटी की करुणा: खंडहर में मिली मासूम को नया जीवन

Bareilly News: बरेली में सेना की पूर्व अधिकारी खुशबू पटानी और उनकी माँ ने एक खंडहर से लावारिस नवजात बच्ची को बचाया। बच्ची को ‘राधा’ नाम दिया गया और उनकी कहानी का (Virul Video) वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह घटना समाज को आईना दिखाती है और इंसानियत की सच्ची मिसाल बन गई है।

Samvadika Desk
9 Min Read
Image - Khushbu Patani/Instagram | Saved the child
Highlights
  • बरेली के खंडहर में रोती बच्ची ने एक माँ की संवेदना को जगा दिया।
  • खुशबू पटानी और उनकी माँ ने नवजात को बचाकर मिसाल कायम की।
  • वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया को भावुक कर दिया।
  • बच्ची का नाम 'राधा' रखा गया — एक नई शुरुआत की उम्मीद।
  • पुलिस जाँच में अब अपहरण या लापरवाही के एंगल की पुष्टि हो रही है।
  • इस घटना ने समाज से कड़े सवाल पूछे हैं।

बरेली, यूपी: एक खंडहर, जिसमें एक बच्ची की रुलाई। और एक माँ की संवेदनशीलता, जिसने उस रुलाई को सुना। यह कहानी बरेली की गलियों से शुरू होती है, जहाँ खुशबू पटानी, भारतीय सेना की पूर्व लेफ्टिनेंट और दिशा पटानी की बहन, और उनकी माँ ने एक लावारिस नवजात को न केवल बचाया, बल्कि उसे राधा नाम देकर समाज के सामने एक सवाल रखा: हम अपने बच्चों को कब तक यूँ छोड़ते रहेंगे? 20 अप्रैल 2025 की सुबह हुई इस घटना ने न सिर्फ़ एक मासूम की जिंदगी बदली, बल्कि लाखों दिलों को झकझोर दिया। एक 2 मिनट 44 सेकंड का वीडियो, जो X और इंस्टाग्राम पर वायरल हो गया, इस माँ-बेटी की जोड़ी की करुणा और साहस की गवाही देता है।

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रुलाई जो सिर्फ़ एक माँ ने सुनी

20 अप्रैल की सुबह, बरेली की शांत गलियों में खुशबू की माँ अपने घर के पास थीं। अचानक, एक खंडहर से बच्ची की रोने की आवाज़ उनके कानों में पड़ी। बाद में खुशबू को बताते हुए उन्होंने कहा, “बहुत देर से बच्चा रो रहा था, तो मैंने सोचा बच्चा कौन रो रहा है। मैंने आवाज़ दी—कौन है, कोई है, कोई है… किसका बच्चा रो रहा है—लेकिन कोई बोला ही नहीं। फिर मैं गई अपनी कामवाली को लेकर, इतने में तुम आ गईं।”

खुशबू, जो सेना में थीं और अपने साहस के लिए जानी जाती हैं, ने माँ की बात सुनते ही खंडहर की ओर दौड़ लगाई। वहाँ का दृश्य किसी का भी दिल दहला देता—ज़मीन पर एक नवजात बच्ची पड़ी थी, जिसके नन्हे शरीर पर चोट के निशान थे और चेहरा आँसुओं से भीगा था। सर्कल ऑफिसर (सिटी-I) पंकज श्रीवास्तव ने बताया, “खंडहर तक कोई सीधा रास्ता नहीं था, इसलिए खुशबू ने दीवार फाँदकर साहसिक कदम उठाया। अंदर उन्हें ज़मीन पर एक नवजात बच्ची मिली, जो रो रही थी और उसके चेहरे पर चोट के निशान थे।” (NDTV)

खुशबू ने बच्ची को अपनी बाहों में उठाया, जैसे वह उनकी अपनी बेटी हो। वह उसे घर ले गईं, जहाँ उनकी माँ ने ममता भरे हाथों से बच्ची को दूध पिलाया। खुशबू ने बच्ची की साफ-सफाई की, उसके घावों को सँभाला, और उसे प्यार से सहलाया। खुशबू ने बाद में कहा, “कहते हैं ना, ‘जाको राखे साइयाँ, मार सके ना कोय।’ पूरे हमारे इलाके में सिर्फ़ मेरी माँ को उस बच्ची की आवाज़ सुनाई दी।” खुशबू के पिता, एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी, ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।

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वायरल वीडियो: एक अपील, एक सवाल

खुशबू ने इस घटना का लगभग 2 मिनट का एक वीडियो बनाया और इंस्टाग्राम पर शेयर किया, जो देखते-देखते X पर भी वायरल हो गया। वीडियो में वह बच्ची को गोद में लिए दिखती हैं, जो उनकी बाहों में शांत हो चुकी है। वह गंभीर लेकिन भावुक लहजे में कहती हैं, “एक बार बच्ची की शक्ल दिखा देते हैं। देखिए, अगर आपको लगता है कि ये बरेली से है, अगर आपका बच्चा है, तो प्लीज़ बताइए। खंडहर में माँ-बाप बच्चे को छोड़कर जा रहे हैं, धिक्कार है ऐसे माँ-बाप पर।”

उन्होंने बच्ची का नाम राधा रखा—एक नाम जो इस मासूम को नई पहचान और उम्मीद देता है। वीडियो में उनकी अपील साफ थी: इस बच्ची के माता-पिता सामने आएँ, और अगर कोई उन्हें जानता हो, तो बताए। खुशबू ने लिखा, “मुझे उम्मीद है कि बच्ची को उचित देखभाल मिलेगी। मैं यह सुनिश्चित करूँगी कि वह सही हाथों में जाए और उसका जीवन समृद्ध हो।” उनकी यह अपील काम आई। बाद में खुशबू ने अपडेट दिया कि बच्ची के माता-पिता मिल गए। माँ ने बताया कि बच्ची को किसी ने यात्रा के दौरान ले लिया था और खंडहर में छोड़ दिया।

समाज का आलम: प्रशंसा और आत्ममंथन

वीडियो ने सोशल मीडिया को हिला दिया। लाखों लोगों ने इसे देखा, शेयर किया, और खुशबू और उनकी माँ की तारीफ में कसीदे पढ़े। एक यूज़र ने लिखा, “खुशबू और उनकी माँ ने जो किया, वह हर इंसान के लिए सबक है। राधा को आपने नया जीवन दिया।” दूसरों ने बच्ची की तस्वीरें शेयर कर उसकी पहचान में मदद की। सेलिब्रिटीज़ ने भी दिल खोलकर तारीफ की। खुशबू की बहन, दिशा पटानी, ने लिखा, “तुमने जो किया, वह अनमोल है। राधा को आशीर्वाद।” एक अन्य अभिनेत्री ने कमेंट किया, “यह देखकर दिल रो पड़ा। खुशबू, तुम एक सच्ची योद्धा हो।”

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लेकिन यह वीडियो सिर्फ़ तारीफों की कहानी नहीं है। इसने समाज के सामने एक कड़वा सच भी रखा: एक बच्ची खंडहर में क्यों पड़ी थी? माता-पिता उसे क्यों छोड़ गए? क्या यह गरीबी थी, सामाजिक दबाव था, या कुछ और? खुशबू की आवाज़ में गुस्सा और दर्द साफ झलकता था जब उन्होंने कहा, “धिक्कार है ऐसे माँ-बाप पर।” यह गुस्सा सिर्फ़ उनका नहीं, हर उस शख्स का था जो यह वीडियो देखकर सिहर उठा।

पुलिस की कार्रवाई: सवालों का पीछा

पुलिस ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। माता-पिता के मिलने के बाद जाँच अब इस सवाल पर टिकी है: बच्ची खंडहर तक कैसे पहुँची? क्या यह अपहरण था, या माता-पिता की लापरवाही? पुलिस का कहना है कि वह हर कोण से जाँच कर रही है। माता-पिता की कहानी—कि बच्ची को किसी ने यात्रा के दौरान ले लिया—कई सवाल खड़े करती है। क्या यह सच है, या बचाव का बहाना? यह जाँच का विषय है।

समाज के सामने सवाल

राधा की कहानी कोई अकेली घटना नहीं है। भारत में हर साल हज़ारों बच्चे लावारिस छोड़ दिए जाते हैं। कभी कूड़ेदान में, कभी सड़क किनारे, तो कभी खंडहर में। क्यों? क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो चुका है कि एक मासूम की रुलाई उसे सुनने वालों तक नहीं पहुँचती? खुशबू की माँ ने वह रुलाई सुनी, लेकिन बाकी लोग कहाँ थे? यह सिर्फ़ माता-पिता की गलती नहीं, बल्कि हमारे सिस्टम की नाकामी भी है। बेटी बचाओ जैसे नारे तो गूँजते हैं, लेकिन ज़मीन पर कितने राधा बच पाते हैं?

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खुशबू और उनकी माँ ने न सिर्फ़ एक बच्ची को बचाया, बल्कि समाज को आईना दिखाया। उनकी कहानी हमें पूछने पर मजबूर करती है: हम अपने बच्चों के लिए कितने ज़िम्मेदार हैं? क्या हमारी संवेदनशीलता सिर्फ़ सोशल मीडिया के कमेंट्स तक सीमित है, या हम भी उस माँ की तरह एक रुलाई सुनने की हिम्मत रखते हैं?

राधा का भविष्य: एक वादा

खुशबू ने वादा किया है कि वह राधा के मामले को फॉलो करेंगी। वह यह सुनिश्चित करेंगी कि बच्ची को सुरक्षित आश्रय और बेहतर भविष्य मिले। उनकी यह प्रतिबद्धता सिर्फ़ एक सैन्य अधिकारी की ड्यूटी नहीं, बल्कि एक इंसान की ज़िम्मेदारी है। राधा अब अकेली नहीं है—उसके पीछे खुशबू, उनकी माँ, और लाखों लोग हैं जो इस कहानी से जुड़ चुके हैं।

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अंत में: करुणा की जीत

यह कहानी एक खंडहर से शुरू हुई, लेकिन यह वहाँ खत्म नहीं होती। यह एक माँ की संवेदनशीलता, एक बेटी के साहस, और एक समाज की उम्मीद की कहानी है। खुशबू और उनकी माँ ने राधा को न सिर्फ़ खंडहर से निकाला, बल्कि उसे एक नाम, एक पहचान, और एक भविष्य दिया। जब खुशबू ने कहा, “जाको राखे साइयाँ, मार सके ना कोय,” तो वह सिर्फ़ राधा की बात नहीं कर रही थीं—वह हर उस मासूम की बात कर रही थीं जो दुनिया की बेरुखी में भी जीने का हक रखता है।

राधा की रुलाई अब खामोश है, लेकिन उसकी गूँज बरेली की गलियों से निकलकर हर उस दिल तक पहुँची है जो इंसानियत में यकीन रखता है। सवाल यह है: अगली राधा के लिए क्या हम तैयार हैं?

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