छपरा, बिहार: बिहार के छपरा जिले में एक शिक्षक की क्रूरता ने मानवता को शर्मसार कर दिया। गड़खा के आदर्श बोर्ड मिडिल स्कूल के हेडमास्टर मनोज कुमार सिंह ने शनिवार, 5 जुलाई 2025 को डेढ़ दर्जन छात्र-छात्राओं की बेरहमी से पिटाई कर दी। इस अमानवीय कृत्य से घायल छात्राओं को तुरंत गड़खा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने स्कूल पर ताला जड़ दिया, और पुलिस ने हेडमास्टर को हिरासत में ले लिया। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैला दिया है।
पिटाई से घायल छात्र-छात्राएँ
हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, हेडमास्टर ने मामूली बात पर छात्र-छात्राओं पर बेरहमी से प्रहार किया। घायल छात्राओं में नताशा कुमारी, नफीसा खातून, शाहा परवीन, काजल कुमारी, निधि कुमारी, सहिस्ता नाज, खुशबू खातून, खुशी कुमारी, अंजुम आरा, नंदनी कुमारी, फरजाना (गड़खा गाँव), आरोही कुमारी (मरीचा गाँव), जूली कुमारी (फुर्सतपुर गाँव), फातमा खातून (हसनपुरा गाँव), मधु कुमारी (हकमा गाँव), और रिंटू कुमारी (जाफरपुर गाँव) शामिल हैं। इनमें से कई छात्राओं की हालत गंभीर बताई जा रही है।
परिजनों का आक्रोश और तालाबंदी
पिटाई की खबर फैलते ही छात्र-छात्राओं के परिजन और गाँव वाले स्कूल पहुँच गए। आक्रोशित भीड़ ने स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया। हेडमास्टर मनोज कुमार सिंह पास के अपने घर में छिप गया, लेकिन पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। घटना की सूचना पर बीडीओ रत्नेश रवि, सीओ नीली यादव, थानाध्यक्ष शशि रंजन कुमार, और एसआई अमान अशरफ मौके पर पहुँचे और लोगों को शांत करने की कोशिश की। लेकिन गुस्साए ग्रामीण कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। बाद में एसडीपीओ राजकिशोर सिंह और शिक्षा विभाग के डीपीओ ने स्थिति को नियंत्रित किया और अन्य शिक्षकों को स्कूल से सुरक्षित निकाला।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस ने हेडमास्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जाँच में यह पता लगाया जा रहा है कि पिटाई का कारण क्या था और क्या अन्य शिक्षकों की इसमें कोई भूमिका थी। प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लिया है, और सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। हेडमास्टर को हिरासत में लेकर थाने लाया गया है, और मामले की गहन छानबीन जारी है।
शिक्षा और नैतिकता पर सवाल
यह घटना शिक्षा के मंदिर में हिंसा और शिक्षकों की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल उठाती है। यह समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में सख्त निगरानी और शिक्षक प्रशिक्षण की जरूरत है। यह प्रशासन से ऐसी घटनाओं पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की माँग करती है, ताकि भविष्य में बच्चे ऐसी बर्बरता से सुरक्षित रहें।