बिहार: विधवा के साथ संदिग्ध हालत में पकड़े गए स्कूल प्रिंसिपल, ग्रामीणों ने पीटा और कराई शादी!

Saharsa News: सहरसा के मैना गांव में प्रिंसिपल भुवनेश्वर पासवान को एक विधवा के साथ संदिग्ध हालत में पकड़ा गया। गुस्साए ग्रामीणों ने उनकी पिटाई की और जबरन शादी करा दी। दोनों पहले से शादीशुदा और पाँच-पाँच बच्चों के माता-पिता हैं।

Samvadika Desk
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ग्रामीणों ने स्कूल प्रिंसिपल की विधवा के साथ कराई शादी!
Highlights
  • सहरसा के मैना गांव में प्रिंसिपल को विधवा के साथ पकड़ा, ग्रामीणों ने की पिटाई!
  • ग्रामीणों ने प्रिंसिपल और विधवा की रात में कराई शादी!
  • सहरसा पुलिस जाँच में जुटी, प्रिंसिपल और विधवा का मामला चर्चा में!

सहरसा, बिहार: बिहार के सहरसा जिले के मैना गांव में एक सनसनीखेज घटना ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। मध्य विद्यालय पड़रिया के 55 वर्षीय प्रिंसिपल भुवनेश्वर पासवान को एक विधवा महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े जाने के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने उनकी पिटाई की और दबाव डालकर दोनों की शादी करा दी। दोनों पहले से शादीशुदा और पाँच-पाँच बच्चों के माता-पिता हैं, जिसने इस मामले को और विवादास्पद बना दिया है। यह घटना सामाजिक, नैतिक और कानूनी सवाल खड़े कर रही है।

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मैना गांव में क्या हुआ?

घटना 25 जून 2025 की रात सोनवर्षा अंचल के मैना गांव में हुई। सासाराम निवासी भुवनेश्वर पासवान, जो मध्य विद्यालय पड़रिया के प्रिंसिपल हैं, को ग्रामीणों ने एक विधवा महिला के घर में संदिग्ध अवस्था में पकड़ा। महिला के पति पलीन पासवान, जो उसी स्कूल में शिक्षक थे, दो साल पहले चुनाव ड्यूटी के दौरान हृदयगति रुकने से मृत्यु हो गई थी। ग्रामीणों को लंबे समय से प्रिंसिपल की गतिविधियों पर शक था। बुधवार रात को अचानक छापेमारी के दौरान उन्हें महिला के साथ रंगे हाथ पकड़ा गया।

ग्रामीणों का गुस्सा और त्वरित फैसला

जानकारी के अनुसार, भुवनेश्वर पासवान पहले पलीन पासवान के पड़ोसी थे और मैना गांव में किराए के मकान में रहते थे। इस दौरान उनकी मृतक शिक्षक के परिवार से नजदीकियाँ बढ़ गई थीं। ट्रांसफर के बाद भी उनका महिला से संपर्क बना रहा। ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें दोनों के बीच अनुचित संबंधों का शक था। छापेमारी के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने प्रिंसिपल की पिटाई की और सामाजिक दबाव बनाकर उसी रात दोनों की शादी करा दी। यह तथ्य कि दोनों पहले से शादीशुदा हैं और उनके पाँच-पाँच बच्चे हैं, ने इस घटना को और जटिल बना दिया।

पुलिस की भूमिका और जाँच

सहरसा पुलिस को इस घटना की जानकारी मिली है, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि वे मामले की जाँच कर रहे हैं और तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे। एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया रिपोर्टर को बताया, “हमें इस मामले की सूचना मिली है। जाँच चल रही है, और अगर कोई शिकायत आती है, तो कानूनी कदम उठाए जाएँगे।” भुवनेश्वर पासवान ने इस मामले पर कोई बयान देने से इनकार कर दिया है। इलाके में इस घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएँ हो रही हैं, और यह स्थानीय स्तर पर तनाव का कारण बनी हुई है।

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सामाजिक और नैतिक सवाल

यह घटना सामाजिक नैतिकता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और ग्रामीण न्याय व्यवस्था पर कई सवाल उठाती है। ग्रामीणों द्वारा त्वरित शादी कराने का फैसला क्या सामाजिक दबाव का परिणाम था, या यह नैतिकता की रक्षा का प्रयास था? क्या इस तरह की कार्रवाइयाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करती हैं? क्या प्रशासन को ऐसी घटनाओं में तुरंत हस्तक्षेप कर कानूनी प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहिए? यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था की चुनौती है, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता और जागरूकता की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

क्षेत्र में चर्चा का विषय

मैना गांव की इस घटना ने सहरसा और आसपास के इलाकों में सनसनी फैला दी है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस मामले पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ लोग ग्रामीणों के फैसले को सामाजिक न्याय का उदाहरण मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप का मामला बता रहे हैं। यह घटना समाज में नैतिकता, विश्वास और सामुदायिक दबाव के बीच टकराव को उजागर करती है।

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