नई दिल्ली: भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका (Supreme Court) ने पारदर्शिता (Transparency) की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजों की संपत्ति का विवरण (Asset Details) और जजों की नियुक्ति प्रक्रिया (Appointment Process) को सार्वजनिक कर दिया है। यह जानकारी अब कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है, जो न्यायिक प्रणाली में जवाबदेही (Judicial Accountability) और विश्वास को बढ़ाने का एक बड़ा प्रयास है। इसके साथ ही, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए अनुशंसित उम्मीदवारों की जानकारी और नियुक्ति के मानदंड भी ऑनलाइन किए गए हैं। यह कदम भारतीय न्यायपालिका को और अधिक खुला और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।
जजों की संपत्ति का सार्वजनिक खुलासा
1 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ (Full Court) ने फैसला लिया कि सभी जजों की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। कोर्ट की प्रेस रिलीज़ (Press Release) के अनुसार, मौजूदा जजों की संपत्ति की जानकारी पहले ही अपलोड कर दी गई है, और अन्य जजों का विवरण जल्द ही उपलब्ध होगा। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका के शीर्ष स्तर पर कोई भी व्यक्ति जवाबदेही से परे न रहे।
उदाहरण के लिए, मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर देखा जा सकता है। उनके पास फिक्स्ड डिपॉज़िट और बैंक खातों में 55.75 लाख रुपये, साथ ही पीपीएफ खाते में 1.06 करोड़ रुपये हैं। अचल संपत्ति (Immovable Property) में उनके पास दक्षिण दिल्ली में दो बेडरूम का डीडीए फ्लैट, राष्ट्रमंडल खेल गांव में चार बेडरूम का फ्लैट, और गुरुग्राम में चार बेडरूम के फ्लैट में 56% हिस्सेदारी है। उनकी बेटी के पास इस फ्लैट में 44% हिस्सा है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में एक पैतृक घर में भी उनकी हिस्सेदारी है, जो विभाजन से पहले का है।
इसी तरह, 14 मई 2025 को CJI का पद संभालने वाले जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई की संपत्ति में 19.63 लाख रुपये बैंक खातों में और 6.59 लाख रुपये पीपीएफ खाते में हैं। उन्हें महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर, मुंबई और दिल्ली में आवासीय अपार्टमेंट, और अमरावती व नागपुर में कृषि भूमि (Agricultural Land) विरासत में मिली है। उनकी घोषित देनदारियाँ (Liabilities) 1.3 करोड़ रुपये हैं। इन खुलासों से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट अपने वरिष्ठतम जजों से लेकर सभी स्तरों पर पारदर्शिता को गंभीरता से लागू कर रहा है।
नियुक्ति प्रक्रिया का खुला मंच
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है। 9 नवंबर 2022 से 5 मई 2025 के बीच हाई कोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Collegium) की सिफारिशों का ब्यौरा वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसमें उम्मीदवारों के नाम, संबंधित हाई कोर्ट, स्रोत (बार या सेवा), सिफारिश की तारीख, न्याय विभाग (Department of Justice) द्वारा अधिसूचना की तारीख, नियुक्ति की तारीख, और विशेष श्रेणी (SC/ST/OBC/अल्पसंख्यक/महिला) की जानकारी शामिल है। यह डेटा यह भी दर्शाता है कि सरकार ने अनुमोदित उम्मीदवारों की नियुक्ति में कितना समय लिया, जिससे प्रक्रिया में देरी या तेज़ी का विश्लेषण संभव हो सके।
कोर्ट ने हाई कोर्ट कॉलेजियम की भूमिका, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से मिले इनपुट्स, और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के विचारों को भी सार्वजनिक किया है। नियुक्तियों के लिए मूल्यांकन मानदंड (Evaluation Criteria) को ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवारों का चयन निष्पक्ष और योग्यता के आधार पर हो। यह प्रक्रिया जनता को यह समझने में मदद करती है कि जजों की नियुक्ति कैसे और किन आधारों पर की जाती है।
विविधता को बढ़ावा
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता (Diversity) पर विशेष ध्यान दिया है। अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अल्पसंख्यक (Minorities), और महिला उम्मीदवारों की संख्या और उनकी सिफारिशों का डेटा वेबसाइट पर उपलब्ध है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि न्यायपालिका में समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो। इसके अलावा, यह भी खुलासा किया गया है कि क्या कोई उम्मीदवार किसी मौजूदा या रिटायर्ड हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट जज से संबंधित है, जिससे परिवारवाद (Nepotism) के आरोपों को कम करने में मदद मिलती है।
कोर्ट का दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी प्रेस रिलीज़ में कहा, “जजों की संपत्ति और नियुक्ति प्रक्रिया का खुलासा करके हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि न्यायपालिका न केवल निष्पक्ष हो, बल्कि निष्पक्ष दिखे भी।” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यह कदम जनता के बीच न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास बढ़ाने और जवाबदेही को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। यह पहल यह दर्शाती है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लेता है और जनता के प्रति पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
भारतीय न्यायपालिका के लिए नया अध्याय
यह कदम भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है। जजों की संपत्ति का खुलासा और नियुक्ति प्रक्रिया का सार्वजनिक होना न केवल जवाबदेही को बढ़ाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट बदलते समय के साथ कदम मिलाने को तैयार है। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस भूषण गवई जैसे वरिष्ठ जजों की संपत्ति का खुलासा इस बात का प्रतीक है कि न्यायपालिका में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यह पहल अन्य सरकारी संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है, जो पारदर्शिता को अपनाने की दिशा में प्रेरित हो सकते हैं।
भविष्य की उम्मीदें
सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि वह भविष्य में पारदर्शिता को और बढ़ाने के लिए कदम उठाएगा। जजों की संपत्ति के नियमित अपडेट, नियुक्ति प्रक्रिया में और सुधार, और जनता के लिए ज़्यादा जानकारी उपलब्ध कराने की योजना है। यह कदम न केवल भारत की न्यायिक प्रणाली को मज़बूत करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक पारदर्शी और विश्वसनीय संस्थान के रूप में स्थापित करेगा। यह पहल यह सवाल भी उठाती है कि क्या अन्य क्षेत्रों, जैसे विधायिका और कार्यपालिका, भी ऐसी पारदर्शिता अपनाएँगे।