Jyoti Malhotra Case Findings: हरियाणा के हिसार की मशहूर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने एक बड़े जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में ज्योति को 15 मई 2025 को गिरफ्तार किया गया, और 17 मई को यह खबर सार्वजनिक हुई। इस मामले में सबसे बड़ा सवाल था कि ज्योति का नाम पुलिस तक कैसे पहुँचा? जाँच में एक नाम बार-बार उभरकर सामने आया—गजाला, जिसने इस जासूसी नेटवर्क की कई कड़ियाँ खोलीं। आइए, इस मामले की परतें खोलते हैं और समझते हैं कि कैसे ज्योति ISI के जाल में फँसी और पुलिस ने इस रैकेट का खुलासा किया।
ज्योति की गिरफ्तारी: शुरुआत कैसे हुई?
ज्योति मल्होत्रा, जो अपने यूट्यूब चैनल ‘ट्रैवल विद जो’ के जरिए लाखों फॉलोअर्स के बीच लोकप्रिय थीं, को हिसार पुलिस ने 15 मई 2025 को न्यू अग्रसेन एक्सटेंशन से हिरासत में लिया। 17 मई को उनकी गिरफ्तारी की खबर सामने आई, और जल्द ही उनके ISI कनेक्शन का खुलासा हुआ। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 152 और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 की धाराओं 3, 4, और 5 के तहत मामला दर्ज किया। ज्योति को कोर्ट ने 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा, और इस दौरान पुलिस ने उनके घर से महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। रविवार (18 मई) की रात पुलिस ज्योति को उनके हिसार स्थित घर ले गई, जहाँ से कुछ कागजात और सबूत बरामद हुए।
ज्योति के मोबाइल, लैपटॉप, और बैंक खातों की जाँच में कई संदिग्ध जानकारियाँ मिलीं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर जम्मू-कश्मीर के टूरिस्ट स्पॉट्स, रेलवे स्टेशनों, और प्रमुख इमारतों के लंबे वीडियो पाए गए, जो घंटों के थे। खास बात यह है कि ज्योति ने दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में कश्मीर घाटी का दौरा किया और इसके तुरंत बाद जनवरी 2025 में पाकिस्तान की यात्रा की। यह संयोग नहीं, बल्कि जाँच एजेंसियों के लिए संदेह का प्रमुख बिंदु बन गया, खासकर क्योंकि अप्रैल 2025 में पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था।
ज्योति मल्होत्रा (Jyoti Malhotra) तक कैसे पहुँची पुलिस?
इस जासूसी रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब पंजाब के मलेरकोटला में 11 मई 2025 को पुलिस ने गजाला नाम की एक महिला को गिरफ्तार किया। गजाला पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का शक था। पंजाब पुलिस ने गजाला से सख्ती से पूछताछ की, जिसमें उसने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास में तैनात दानिश (पूरा नाम: एहसान-उर-रहीम) का नाम लिया। गजाला ने पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम भी उजागर किए, जिनमें ज्योति मल्होत्रा का नाम शामिल था। इस खुलासे के बाद भारत सरकार ने 13 मई 2025 को दानिश को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया।
गजाला की गिरफ्तारी ने इस जासूसी नेटवर्क की कई कड़ियाँ खोल दीं। पुलिस ने जब दानिश से जुड़े लोगों की जाँच शुरू की, तो ज्योति का नाम प्रमुखता से सामने आया। 15 मई को हिसार पुलिस ने ज्योति को हिरासत में लिया, और उसके बाद उसके मोबाइल और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जाँच से जासूसी की पुष्टि हुई। ज्योति के वीडियो, खासकर जम्मू-कश्मीर के रेलवे स्टेशनों और संवेदनशील स्थानों के, ने पुलिस का शक और गहरा कर दिया।
दानिश: जासूसी नेटवर्क का मास्टरमाइंड
दानिश इस जासूसी रैकेट का केंद्रीय किरदार है। दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास में तैनात दानिश ने ज्योति और अन्य संदिग्धों को ISI के जाल में फँसाया। ज्योति ने 2023 में पाकिस्तान का वीजा लेने के लिए दूतावास का दौरा किया था, जहाँ उसकी मुलाकात दानिश से हुई। दानिश ने न केवल ज्योति का वीजा प्रोसेस आसान किया, बल्कि उसे पाकिस्तान में ISI के अधिकारियों—अली अहसान, शाकिर, और राणा शहबाज (ज्योति के फोन में ‘जट्ट रंधावा’ के नाम से सेव)—से मिलवाया। दानिश ने ज्योति को पाकिस्तान की सकारात्मक छवि सोशल मीडिया पर दिखाने और भारत की संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए उकसाया।
ज्योति और दानिश की नजदीकियाँ इतनी थीं कि दोनों ने 2023 में इंडोनेशिया के बाली में एक साथ यात्रा की। ज्योति ने दानिश के साथ पाकिस्तानी दूतावास की इफ्तार पार्टी और नेशनल डे समारोह में भी शिरकत की, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इन वीडियो में दोनों की दोस्ताना बातचीत ने जाँच एजेंसियों का ध्यान खींचा। दानिश के नेटवर्क में ज्योति के अलावा गजाला, यामीन मोहम्मद, और अन्य संदिग्ध शामिल थे, जो सभी एक-दूसरे से जुड़े थे।
जासूसी नेटवर्क के अन्य चेहरे
ज्योति के अलावा पुलिस ने इस रैकेट में शामिल 8 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है:
- गजाला (मलेरकोटला, पंजाब): वीजा प्रोसेस में मदद करने वाली, दानिश के संपर्क में।
- यामीन मोहम्मद (मलेरकोटला, पंजाब): हवाला के जरिए पैसे भेजने में शामिल।
- देविंदर सिंह ढिल्लो (कैथल, हरियाणा): सैन्य ठिकानों की जानकारी और वीडियो भेजने का आरोपी।
- अरमान (नूंह, हरियाणा): भारतीय सिम कार्ड और डिफेंस एक्सपो की जानकारी साझा करने में शामिल।
- नोमान इलाही (कैराना, उत्तर प्रदेश): पाकिस्तान में रिश्तेदारों के जरिए ISI से जुड़ा।
- तारीफ (विवरण सीमित, जाँच जारी): नेटवर्क का हिस्सा।
- सुखप्रीत सिंह (विवरण सीमित, जाँच जारी): दानिश के नेटवर्क में शामिल।
- करनबीर सिंह (विवरण सीमित, जाँच जारी): जासूसी गतिविधियों में सहयोगी।
ये सभी लोग दानिश के जरिए ISI से जुड़े थे और अलग-अलग तरीकों से संवेदनशील जानकारी साझा कर रहे थे। पुलिस ने इनके फोन, लैपटॉप, और बैंक खातों की जाँच शुरू की है ताकि वित्तीय लेनदेन और अन्य सबूत मिल सकें।
ज्योति मल्होत्रा का जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान कनेक्शन
ज्योति की गतिविधियाँ जम्मू-कश्मीर में विशेष रूप से संदिग्ध रहीं। दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में उसने कश्मीर घाटी के कई प्रमुख स्थानों—रेलवे स्टेशनों, इमारतों, और टूरिस्ट स्पॉट्स—के वीडियो बनाए। ये वीडियो घंटों लंबे थे और सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए। जाँच में पता चला कि इनमें से कई वीडियो में सैन्य ठिकानों और संवेदनशील स्थानों की जानकारी थी।
कश्मीर दौरे के तुरंत बाद ज्योति मार्च 2024 में पाकिस्तान गई। अप्रैल 2024 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने इस समयसीमा को और संदिग्ध बना दिया। पुलिस यह जाँच कर रही है कि क्या ज्योति के वीडियो और पाकिस्तान यात्रा का हमले से कोई संबंध था। ज्योति ने व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स के जरिए ISI एजेंट्स से संपर्क बनाए रखा और संवेदनशील डेटा शेयर किया।
ISI जाल का जाल: ज्योति मल्होत्रा कैसे फँसी?
ज्योति की कहानी एक साधारण ट्रैवल व्लॉगर से शुरू हुई, लेकिन वह जल्द ही ISI के जाल में फँस गई। 2023 में दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास में वीजा के लिए गई ज्योति की मुलाकात दानिश से हुई। दानिश ने उसे न केवल वीजा दिलवाया, बल्कि पाकिस्तान में शानदार आतिथ्य और VIP ट्रीटमेंट भी प्रदान किया। ज्योति ने तीन बार पाकिस्तान की यात्रा की—2023 में दो बार और 2024 में एक बार। इन यात्राओं में उसे ISI के अधिकारियों से मिलवाया गया, जिन्होंने उसे भारत की सैन्य और रणनीतिक जानकारी साझा करने के लिए लालच दिया।
ज्योति को न केवल पैसे मिले, बल्कि इंडोनेशिया, थाईलैंड, दुबई, भूटान, बांग्लादेश, और नेपाल जैसे देशों की मुफ्त यात्राएँ भी ऑफर की गईं। पुलिस को शक है कि ज्योति का दानिश और अन्य ISI एजेंट्स के साथ गहरा रिश्ता था, जिसमें प्रेम संबंध की बात भी सामने आई है। ज्योति ने अपने फोन में ISI एजेंट्स के नंबर फर्जी नामों से सेव किए, जैसे ‘जट्ट रंधावा’, ताकि शक न हो।
पुलिस की जाँच और अगले कदम
हिसार पुलिस, दिल्ली, और जम्मू-कश्मीर की जाँच एजेंसियाँ मिलकर इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रही हैं। ज्योति के बैंक खातों में उसकी आय से कहीं ज्यादा खर्च ने भी पुलिस का ध्यान खींचा है। साइबर सेल और आर्थिक अपराध शाखा उसके मोबाइल, लैपटॉप, और सोशल मीडिया अकाउंट्स की फोरेंसिक जाँच कर रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या ज्योति ने अन्य भारतीय यूट्यूबर्स को इस नेटवर्क से जोड़ा था।
इस मामले ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके खतरों को उजागर किया है। ज्योति के 3.77 लाख यूट्यूब सब्सक्राइबर्स और 1.32 लाख इंस्टाग्राम फॉलोअर्स के बीच उसकी छवि एक मस्तमौला ट्रैवलर की थी, लेकिन हकीकत ने सभी को चौंका दिया। पुलिस अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों और इसके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की जाँच कर रही है।