बरेली, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के गंगापुर गांव में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को नकाबपोश उपद्रवियों द्वारा क्षतिग्रस्त करने की घटना ने सामाजिक तनाव को जन्म दे दिया है। यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जिसके वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। तनाव के बीच पथराव और विवाद की स्थिति बनी, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने भारी बल तैनात किया है।
क्या हुआ गंगापुर में?
नवाबगंज थाना क्षेत्र के गंगापुर गाँव में सरकारी जमीन पर स्थापित बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा को देर रात नकाबपोश उपद्रवियों ने हथौड़े और लाठी-डंडों से तोड़ने की कोशिश की। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कि आरोपियों ने पहले मूर्ति पर लगी माला हटाई और फिर उसे क्षतिग्रस्त किया। सुबह जब ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली, तो मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई। आक्रोशित लोगों ने उपद्रवियों पर हमला किया, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ गया और पथराव शुरू हो गया। यह घटना बुधवार, 25 जून 2025 की रात को हुई, जिसने गाँव में जातीय तनाव को भड़का दिया।
तनाव का कारण
जानकारी के अनुसार, गंगापुर में कुछ समय से एक ही समुदाय की दो जातियों के बीच अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर विवाद चल रहा था। इस तनाव के बीच एक पक्ष के कुछ असामाजिक तत्वों ने रात के अंधेरे में मूर्ति को नुकसान पहुँचाया। सीसीटीवी फुटेज के सोशल मीडिया पर वायरल होने से मामला और गरमा गया। स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा, और स्थिति हिंसक हो गई। ग्रामीणों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। भीड़ को शांत कर घर भेजा गया, और गाँव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तनाव को देखते हुए इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
बरेली पुलिस ने ट्विटर पर अपडेट साझा करते हुए बताया, “स्थानीय पुलिस बल मौके पर मौजूद है। संदर्भित प्रकरण में प्राप्त तहरीर के आधार पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर 05 आरोपियों को हिरासत में लिया गया है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।”
सामाजिक संदेश और सवाल
डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुँचाना न केवल एक आपराधिक कृत्य है, बल्कि सामाजिक समरसता और समानता के सिद्धांतों पर हमला है। यह घटना समाज में गहरे बैठे जातीय तनाव को उजागर करती है। सवाल उठता है कि क्या ऐसी घटनाएँ सामाजिक एकता को कमजोर नहीं करतीं? बाबा साहब के विचारों को अपमानित करने की कोशिश समाज को पीछे ले जाती है। क्या प्रशासन और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएँगे? यह मामला सामाजिक चेतना और एकजुटता की जरूरत को रेखांकित करता है।