वाराणसी, उत्तर प्रदेश: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में वाराणसी के मोहम्मद तुफैल की गिरफ्तारी ने एक सनसनीखेज हनी ट्रैप की कहानी उजागर की है। उत्तर प्रदेश की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने तुफैल को 22 मई, 2025 को आदमपुर इलाके से गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि तुफैल पाकिस्तानी महिला नफीसा के जाल में फंस गया था, जिसका पति पाकिस्तानी सेना में कार्यरत है। नफीसा ने सोशल मीडिया के जरिए तुफैल को भावनात्मक और धार्मिक जाल में फंसाकर भारत की संवेदनशील जानकारी जुटाने के लिए इस्तेमाल किया। तुफैल ने न केवल कट्टरपंथी संदेशों का प्रचार किया, बल्कि देश के महत्वपूर्ण स्थलों की तस्वीरें और जानकारियां पाकिस्तानी नंबरों पर भेजीं। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को उजागर करता है।
हनी ट्रैप में फंसा तुफैल
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, एटीएस की जांच में सामने आया कि तुफैल का संपर्क फेसबुक के जरिए पाकिस्तानी महिला नफीसा से हुआ था। नफीसा ने धीरे-धीरे भावनात्मक और मजहबी संवादों के जरिए तुफैल को अपने जाल में फंसाया। व्हाट्सएप ग्रुप्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए उसने तुफैल को भारत की संवेदनशील जानकारी, जैसे राजघाट, नमोघाट, ज्ञानवापी, लाल किला, जामा मस्जिद, और निजामुद्दीन औलिया जैसे स्थलों की तस्वीरें और विवरण, पाकिस्तानी नंबरों पर भेजने के लिए उकसाया।
जांच से पता चला कि नफीसा का पति पाकिस्तानी सेना में है, जिससे यह साफ होता है कि यह हनी ट्रैप एक सुनियोजित रणनीति थी। तुफैल पूरी तरह नफीसा के झांसे में फंस गया और बिना सोचे-समझे भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गया। उसने करीब 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों के साथ संपर्क बनाए और कई लोगों को पाकिस्तान से संचालित व्हाट्सएप ग्रुप्स के लिंक भेजे।
कट्टरपंथी संदेश और ‘गजवा-ए-हिंद’ का प्रचार
तुफैल की गतिविधियां सिर्फ जासूसी तक सीमित नहीं थीं। उसने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ के नेता मौलाना शाद रिजवी के वीडियो और संदेश व्हाट्सएप ग्रुप्स में साझा किए। इसके अलावा, वह ‘गजवा-ए-हिंद’, बाबरी मस्जिद का बदला, और भारत में शरीयत लागू करने जैसे कट्टरपंथी संदेशों का प्रचार करता था। ये गतिविधियां न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी बिगाड़ने की कोशिश थीं।
एटीएस ने पाया कि तुफैल ने वाराणसी के कई धार्मिक और संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें और जानकारियां पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेजीं। उसने स्थानीय लोगों को भी इन गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश की, जिससे यह साजिश और गंभीर हो गई।
तुफैल की पृष्ठभूमि और मजहबी रुझान
तुफैल के परिजनों और ननिहाल के लोगों ने बताया कि वह बेहद मजहबी प्रवृत्ति का था। वह उर्स, जलसों, और तकरीरों में नियमित रूप से हिस्सा लेता था और मौलवियों व मौलानाओं के साथ उसका करीबी संपर्क था। तुफैल तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ा था और 2014 में अपने माता-पिता के तलाक के बाद अपनी मां जाहिदा बीबी के साथ ननिहाल नवापुरा, हनुमान फाटक, आदमपुर में रहने लगा था। उसकी मां की खराब तबीयत के कारण परिजनों ने उससे मिलना बंद कर दिया था।
तुफैल के पिता मकसूद आलम दोषीपुरा, जैतपुरा में रहते हैं, लेकिन तलाक के बाद उनका अपने बच्चों और पत्नी से कोई संपर्क नहीं रहा। पढ़ाई छोड़ने के बाद तुफैल ने बुनकारी का काम शुरू किया, और बाद में पीवीसी का काम करने लगा। उसके मामा के बेटे मोहम्मद शकलेन ने बताया कि तुफैल की दिनचर्या अनियमित थी और वह देर रात तक बाहर रहता था, जिससे उसकी गतिविधियां संदिग्ध लगने लगी थीं।
परिवार में सन्नाटा, रिश्तेदारों को भरोसा नहीं
तुफैल की गिरफ्तारी ने उसके परिवार और रिश्तेदारों को सदमे में डाल दिया है। शकलेन का कहना है कि तुफैल को किसी ने बहकाया होगा, क्योंकि वह इतना गंभीर अपराध करने वाला व्यक्ति नहीं था। उन्होंने कहा, “वह मजहबी था और मौलवियों के साथ समय बिताता था। हमें यकीन नहीं कि वह देश के खिलाफ जाएगा।” हालांकि, जांच में तुफैल की गतिविधियां साफ तौर पर भारत विरोधी साबित हुई हैं, जिसने परिवार के दावों पर सवाल उठाए हैं।
एटीएस की कार्रवाई और जांच
उत्तर प्रदेश एटीएस को खुफिया इनपुट मिला था कि वाराणसी का एक व्यक्ति भारत की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान को भेज रहा है। इसके बाद एटीएस वाराणसी यूनिट ने तुफैल की गतिविधियों पर नजर रखी और पूरी पड़ताल के बाद उसे 22 मई को आदमपुर से गिरफ्तार किया। उसके खिलाफ थाना एटीएस लखनऊ में केस दर्ज किया गया है।
जांच में नफीसा की भूमिका सबसे अहम निकली। उसने तुफैल को हनी ट्रैप में फंसाकर न केवल खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उकसाया, बल्कि कट्टरपंथी विचारधारा को भी बढ़ावा दिया। एटीएस अब तुफैल के संपर्क में रहे 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों और व्हाट्सएप ग्रुप्स की जांच कर रही है। साथ ही, वाराणसी के उन लोगों की भी पड़ताल की जा रही है, जिन्हें तुफैल ने इन ग्रुप्स में जोड़ा था।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा और सोशल मीडिया का दुरुपयोग
तुफैल का मामला सोशल मीडिया के दुरुपयोग और हनी ट्रैप जैसे खतरों को उजागर करता है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां भारतीय नागरिकों को भावनात्मक और धार्मिक जाल में फंसाकर जासूसी और कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। तुफैल जैसे लोग, जो सामान्य पृष्ठभूमि से आते हैं, आसानी से ऐसे जाल में फंस जाते हैं।
यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक और व्हाट्सएप, खुफिया जानकारी लीक करने और कट्टरपंथी प्रचार के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं। तुफैल की मजहबी प्रवृत्ति और मौलवियों से करीबी ने उसे और आसान टारगेट बना दिया।
हनी ट्रैप की साजिश और सतर्कता की जरूरत
तुफैल की गिरफ्तारी और नफीसा की भूमिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। यह मामला हनी ट्रैप के जरिए जासूसी के बढ़ते खतरे को रेखांकित करता है। तुफैल का कट्टरपंथी संदेशों का प्रचार और संवेदनशील स्थलों की जानकारी लीक करना देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा था।
एटीएस की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया, लेकिन यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल सावधानी से करना और संदिग्ध संपर्कों से बचना आज के समय की जरूरत है। तुफैल की कहानी यह सिखाती है कि भावनात्मक और धार्मिक उकसावे में आकर लिए गए कदम देश के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं।