बरेली, उत्तर प्रदेश: बरेली के फरीदपुर तहसील में तैनात एक महिला लेखपाल ने नवाबगंज कस्बे में फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश की, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। गुरुवार, 3 जुलाई 2025 को यह घटना उस समय सामने आई, जब वह ड्यूटी के लिए घर से निकली, लेकिन तहसील नहीं पहुँची। पुलिस ने तलाश की तो वह एक अस्पताल में भर्ती मिली, जहाँ उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। उसके प्रेमी ने उसे फंदे से उतारकर अस्पताल पहुँचाया था, और पुलिस ने प्रेमी को हिरासत में ले लिया है। मामले की जाँच जारी है।
ड्यूटी पर नहीं पहुँची, लोकेशन से खुला राज
जानकारी के मुताबिक, महिला लेखपाल, जो नवाबगंज के एक गाँव की रहने वाली है, की शादी बरेली के एक मोहल्ले में हुई थी। वह वर्तमान में फरीदपुर तहसील में तैनात थी और पहले पीलीभीत के जहानाबाद में काम कर चुकी थी। जहानाबाद में ही उसका एक युवक के साथ प्रेम संबंध शुरू हुआ, जिसके साथ वह नवाबगंज में एक मकान में अक्सर रुकती थी। गुरुवार को वह ड्यूटी के लिए घर से निकली, लेकिन तहसील नहीं पहुँची। सहकर्मियों ने उसे कई बार फोन किया, पर उसने कॉल नहीं उठाया। तहसील प्रशासन ने उसकी लोकेशन ट्रेस की, जो नवाबगंज में मिली। पुलिस ने तलाश शुरू की तो वह एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती पाई गई।
प्रेमी ने बचाई जान, फिर भी सवालों में
पुलिस जाँच में पता चला कि महिला ने नवाबगंज के एक मकान में फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी। वहाँ मौजूद उसके प्रेमी ने उसे फंदे से उतारा और अस्पताल पहुँचाया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। महिला की हालत चिंताजनक है। पति ने नवाबगंज थाने में तहरीर दी, जिसके बाद पुलिस ने प्रेमी को हिरासत में लिया। नवाबगंज सीओ गौरव सिंह ने स्थानीय रिपोर्टर को बताया कि प्रारंभिक जाँच में आत्महत्या की कोशिश की पुष्टि हुई है, और प्रेमी से पूछताछ की जा रही है। यह भी जाँच का विषय है कि आत्महत्या के पीछे की वजह क्या थी।
परिवार और समाज में हलचल
इस घटना ने परिवार और स्थानीय समुदाय में सनसनी फैला दी है। महिला के पति और परिजनों का दुख और गुस्सा सामने आया है, जबकि प्रेमी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला प्रेम, पारिवारिक रिश्तों, और मानसिक दबाव की जटिलताओं को उजागर करता है। पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या इस कदम के पीछे कोई मानसिक या पारिवारिक दबाव था।
मानसिक स्वास्थ्य और संवेदनशीलता की जरूरत
यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि व्यक्तिगत और पारिवारिक दबावों को समय रहते समझना कितना जरूरी है। यह प्रशासन और समाज से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सहायता की माँग करती है, ताकि ऐसी त्रासदियाँ रोकी जा सकें।