लखनऊ, उत्तर प्रदेश: जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना नाम लिए कड़ा हमला बोला – “कुछ लोग लोभ, लालच और दबाव के बल पर भारत की जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) बदलने की साजिश कर रहे हैं। सेवा को सौदा बनाकर, छल-छद्म का सहारा लेकर वे भारत की आत्मा पर प्रहार कर रहे हैं। ऐसे समय में श्रीमद्भगवद्गीता ही सबसे बड़ी प्रेरणा और सबसे मजबूत हथियार है।”
“सेवा को सौदा बनाने वाले भारत की आत्मा पर वार कर रहे”
सीएम योगी ने कहा:
“दुनिया में कुछ लोग सेवा को व्यापार बना रहे हैं। लालच और दबाव से भारत की डेमोग्राफी बदलने का खेल खेल रहे हैं। अपना ताना-बाना बदलकर भारत की हजारों साल पुरानी सनातन आत्मा को घायल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भारत ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘जीयो और जीने दो’ की नीति अपनाई है। हमने कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा, हर आए हुए को शरण दी। इन साजिशों के खिलाफ गीता ही नई ताकत देगी।”
“धर्म क्षेत्र में युद्ध भी कर्तव्य के लिए होता है”
मुख्यमंत्री ने गीता के पहले श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे…’ का जिक्र करते हुए कहा:
“दुनिया में कहीं नहीं होगा कि युद्ध का मैदान भी धर्मक्षेत्र कहलाए। क्योंकि हमारे यहां हर कर्तव्य पवित्र है। अच्छा करेंगे तो पुण्य, गलत करेंगे तो पाप। यही सोचकर सनातन धर्मावलंबी हमेशा अच्छाई की राह चुनता है।”
उन्होंने गीता के अंतिम संदेश का स्मरण दिलाया:
“यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥”
यानी जहां धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं जय निश्चित है। अधर्म की कभी जीत नहीं हो सकती।
निष्काम कर्म की मिसाल है आरएसएस
मुख्य अतिथि सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की मौजूदगी में सीएम ने कहा:
“संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। विदेशी राजदूत मुझसे पूछते हैं – इतना बड़ा संगठन चलाने की फंडिंग कहां से आती है? मैं बताता हूं – न ओपेक से, न चर्च से। समाज की एक-एक पाई से। स्वयंसेवक अपनी गाढ़ी कमाई से गुरु दक्षिणा देता है। सौ साल में संघ ने कभी सेवा के साथ सौदेबाजी नहीं की। बाढ़ हो, भूकंप हो, कोई पीड़ित हो – जाति-मजहब देखे बिना स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंचता है। यह निष्काम कर्म का जीता-जागता उदाहरण है।”
“गीता केवल कैदियों के लिए नहीं, 140 करोड़ भारतीयों के लिए दिव्य मंत्र है”
सीएम ने जियो गीता मिशन के संस्थापक स्वामी ज्ञानानंद महाराज की तारीफ करते हुए कहा:
“उन्होंने गीता को श्रमिक, किसान, महिला, छात्र, डॉक्टर, वकील, सैनिक – हर वर्ग के लिए छोटी-छोटी पुस्तकों में उतारा है। गीता केवल जेल के कैदियों के लिए नहीं, 140 करोड़ भारतवासियों के लिए जीवन का दिव्य मंत्र है। यह सफलता का रास्ता भी दिखाती है और जीवन जीने की कला भी सिखाती है।”
“स्वधर्मे निधनं श्रेयः” – अपने कर्तव्य पर मर जाना बेहतर
सीएम ने दो श्लोकों से आज के समय का संदेश दिया:
- “स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः”
→ अपने कर्तव्य पर मर जाना बेहतर है, स्वार्थ के लिए कर्तव्य छोड़ना पतन का कारण है। - “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”
→ फल की चिंता मत करो, सिर्फ निष्काम कर्म करो।
कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, स्वामी ज्ञानानंद, सतुआ बाबा, राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा समेत कई संत-महंत और हजारों श्रोता मौजूद रहे।
सीएम योगी का यह संदेश सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर सीधा और सशक्त प्रहार था। गीता को हथियार बनाकर उन्होंने छल-कपट की साजिशों को चुनौती दी और निष्काम कर्म की राह पर चलने का आह्वान किया।

