मथुरा, उत्तर प्रदेश: मथुरा-बरेली हाईवे पर राया से हाथरस के मेंडू तक 33 किलोमीटर का फोरलेन निर्माण पूरा हो गया है, जिससे यात्रियों ने राहत की साँस ली है। अब इस रूट पर वाहन फर्राटा भर रहे हैं, लेकिन हाथरस के जवाहर गाँव के पास शुरू हुए टोल प्लाजा ने यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है। जल्द ही बाद से राया तक का हिस्सा भी शुरू हो जाएगा, जबकि हाथरस से कासगंज तक का काम अगले साल तक पूरा होने की उम्मीद है।
हाईवे का सपना, राहत की शुरुआत
मथुरा से बरेली तक 218 किलोमीटर लंबे इस हाईवे का निर्माण 7500 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है, जो मथुरा, हाथरस, कासगंज, बदायूं, और बरेली को जोड़ेगा। राया से हाथरस तक का 33 किलोमीटर का हिस्सा अब तैयार है, और वाहनों के लिए खोल दिया गया है। इस रूट पर सफर अब सुगम हो गया है, लेकिन टोल प्लाजा शुरू होने से यात्रियों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। एनएचएआई के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर अमित भाटिया ने बताया कि बाद से माइलस्टोन 33 तक कुछ छोटे-मोटे काम बाकी हैं, जो कुछ महीनों में पूरे हो जाएंगे। इससे आगरा से आने वाले वाहन आसानी से हाईवे पर चढ़ सकेंगे।
मथुरा में कहाँ से मिलेगी एंट्री?
हाईवे पर यात्रियों की सुविधा के लिए मथुरा जिले में कई एंट्री पॉइंट बनाए गए हैं। अमित भाटिया के अनुसार, बाद, कोयला अलीपुर, महावन, और राया से वाहन हाईवे पर प्रवेश कर सकेंगे। यह व्यवस्था स्थानीय और बाहरी यात्रियों के लिए सफर को और आसान बनाएगी।
कासगंज तक का इंतजार, 2027 में पूरा होगा प्रोजेक्ट
हाईवे का दूसरा चरण, जो हाथरस से कासगंज (माइलस्टोन 66 से 123) को जोड़ता है, अभी निर्माणाधीन है। एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक उत्कर्ष शुक्ला ने अमर उजाला के रिपोर्टर को बताया कि इस हिस्से को पूरा होने में एक साल लगेगा, और 2026 तक कासगंज तक का सफर सुहाना हो जाएगा। वहीं, कासगंज से बरेली तक का काम जल्द शुरू होगा, जो 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है।
बरेली में रिंग रोड से जुड़ेगा हाईवे
पहले इस हाईवे को बरेली में लखनऊ हाईवे से जोड़ने की योजना थी, जिसकी लंबाई 228 किलोमीटर थी। लेकिन अब बरेली की रिंग रोड परियोजना के चलते इसे रिंग रोड से जोड़ा जाएगा, जिससे हाईवे की लंबाई 218 किलोमीटर रह गई है। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि यह बदलाव प्रोजेक्ट को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बनाएगा।
यात्रियों की राह आसान, लेकिन टोल की मार
हाईवे के इस हिस्से के शुरू होने से मथुरा, हाथरस, और आसपास के लोग उत्साहित हैं। यह न केवल समय बचाएगा, बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, टोल शुल्क ने कुछ यात्रियों को नाराज किया है। गाँव वालों का कहना है कि सुविधा के साथ-साथ लागत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। अब सबकी निगाहें बाकी हिस्सों के जल्द पूरा होने पर टिकी हैं, ताकि मथुरा से बरेली तक का सफर पूरी तरह सुगम हो सके।