प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के सगरासुंदरपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने इलाके को स्तब्ध कर दिया। गुरुवार सुबह एक घर की पहली मंजिल पर आशा देवी (48), उनके बेटे अंकित पटवा (26) और बहू रिया (22) मृत पाए गए। उनका छह महीने का मासूम बेटा मां के शव से लिपटकर रो रहा था। प्रारंभिक जाँच में जहरीले पदार्थ के सेवन से मौत की आशंका जताई जा रही है। पुलिस ने पड़ोसी समेत चार लोगों को हिरासत में लिया है और गहन तहकीकात शुरू कर दी है।
क्या हुआ सगरासुंदरपुर में?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी-लखनऊ हाईवे के किनारे लीलापुर थाना क्षेत्र के सगरासुंदरपुर बाजार में यशोदा देवी (70) अपने परिवार के साथ रहती थीं। उनकी बेटी आशा देवी, जो पति रमेश कुमार पटवा से अलगाव के बाद मायके में रह रही थीं, बेटे अंकित, बहू रिया और उनके छह महीने के बच्चे के साथ थीं। अंकित घर के निचले हिस्से में जनरल स्टोर चलाता था।
बुधवार रात, 25 जून 2025 को, आशा, अंकित और रिया पहली मंजिल पर सोने गए, जबकि यशोदा नीचे सो रही थीं। गुरुवार सुबह करीब 7 बजे दूधवाले ने दुकान का शटर आंशिक रूप से खुला देखा। आवाज देने पर कोई जवाब नहीं मिला। उसने पड़ोसी अशोक जायसवाल को सूचना दी। दोनों ने घर में प्रवेश किया तो बेडरूम में तीनों के शव पड़े मिले, और मासूम मां के शव से लिपटकर रो रहा था।
पुलिस और फॉरेंसिक जाँच
सूचना मिलते ही सगरासुंदरपुर चौकी प्रभारी मौके पर पहुँचे और घर की तलाशी ली। मृतकों के मुँह और नाक से झाग निकल रहा था, जिससे जहर की आशंका जताई गई। एसपी डॉ. अनिल कुमार, सीओ रामसूरत सोनकर, और एएसपी संजय राय फॉरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुँचे। फॉरेंसिक टीम ने मिठाई का डिब्बा और अन्य संदिग्ध वस्तुएँ कब्जे में लीं। पड़ोसी से जमीन विवाद की बात भी सामने आई। चिकित्सकों ने वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया और विसरा लैब भेजा। शाम को शवों को अंतिम संस्कार के लिए ऋंग्वेरपुर ले जाया गया। पुलिस ने चार लोगों, जिसमें पड़ोसी भी शामिल है, को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है।
रहस्यमयी मौत और सवाल
एसपी डॉ. अनिल कुमार ने कहा, “मामले की गहन जाँच हो रही है। परिवार और आसपास के लोगों के बयान, पीएम रिपोर्ट, और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई होगी।” इस घटना ने इलाके में दहशत और शोक की लहर पैदा कर दी है। आशंका है कि यह हत्या, आत्महत्या, या दुर्घटना हो सकती है। जमीन विवाद और मिठाई के डिब्बे की जाँच इस रहस्य को सुलझाने की कुंजी हो सकती है।
सामाजिक और मानवीय चिंता
यह दर्दनाक हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के सामने कई गहरे सवाल खड़ा करता है। एक मासूम बच्चे का अपनी मां की लाश से लिपटकर रोना — ऐसी तस्वीर है जो किसी को भी अंदर से झकझोर सकती है। क्या पारिवारिक कलह, संपत्ति विवाद, या सामाजिक उपेक्षा इतनी भयावह परिणति तक पहुंचा सकती है? ज़रूरत है कि हम ऐसे संकेतों को समय रहते पहचानें और संवेदनशील मुद्दों को गंभीरता से लें। प्रशासनिक सजगता के साथ-साथ समाज को भी आत्ममंथन करना होगा कि हम कहाँ चूक रहे हैं — ताकि अगली बार कोई मासूम इस तरह अकेला न रह जाए।