प्रयागराज में मामा-भांजी की शादी ने छेड़ी बहस: मंदिर में रचाया ब्याह, क्या कहता है कानून?

मध्य प्रदेश के एक मामा भांजी ने रिश्तों की मर्यादा तोड़ते हुए प्रयागराज में शादी कर ली। यह मामला कानून और समाज दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

Samvadika Desk
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Highlights
  • मामा-भांजी की शादी: प्रयागराज के मंदिर में रचाया ब्याह, सोशल मीडिया पर हंगामा
  • प्रयागराज में अनोखा विवाह: मामा-भांजी ने तोड़े रिश्तों के बंधन
  • मामा-भांजी की शादी विवाद: कानून और समाज के बीच फंसी प्रेम कहानी
  • वायरल प्रेम कहानी: मध्य प्रदेश से प्रयागराज तक मामा-भांजी का विवाह चर्चा में

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक ऐसी घटना ने सबको चौंका दिया, जिसने रिश्तों की परिभाषा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के रहने वाले अवनीश कुशवाह और उनकी भांजी पूजा कुशवाह ने अपने दो साल पुराने प्यार को शादी का रूप दे दिया। दोनों ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर प्रयागराज के हनुमान मंदिर में सात फेरे लिए। इस घटना की खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई और अब यह कानूनी और सामाजिक बहस का केंद्र बन चुकी है।

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प्यार का ऐसा रंग, जो समाज को रास नहीं आया

अवनीश, जो शिवपुरी के रामनगर गाँव के रहने वाले हैं, और पूजा, जो भितरवार थाना क्षेत्र की निवासी हैं, रिश्ते में मामा-भांजी हैं। दोनों की मुलाकातें धीरे-धीरे प्यार में बदल गईं, और पिछले दो सालों से वे एक-दूसरे के करीब आते गए। लेकिन दोनों को अहसास था कि उनका यह रिश्ता न तो परिवार और न ही समाज स्वीकार करेगा। फिर भी, उन्होंने हिम्मत जुटाई और 30 मार्च 2025 को अपने घरों से भाग गए। उनका ठिकाना बना प्रयागराज, जहाँ उन्होंने अपने रिश्ते को एक नया नाम देने का फैसला किया।

पुलिस की तलाश और थाने में हाजिरी

जब पूजा घर से गायब हुई, तो उसके परिजनों ने भितरवार थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत तलाश शुरू की, लेकिन इससे पहले कि कोई सुराग मिलता, 3 अप्रैल को अवनीश और पूजा खुद थाने पहुँच गए। उन्होंने अपनी प्रेम कहानी पुलिस को बताई और साबित किया कि वे दोनों बालिग हैं। उनके पास अपने दस्तावेज थे, और उन्होंने साफ कहा कि वे अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रहना चाहते हैं। पुलिस ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, क्योंकि कोई जबरदस्ती का सबूत नहीं था।

परिवार की हामी और मंदिर में शादी

शुरुआत में अवनीश और पूजा के परिवार ने उनके रिश्ते को सिरे से खारिज कर दिया। लेकिन जब दोनों ने साफ कर दिया कि वे किसी भी कीमत पर अलग नहीं होंगे, तो परिजनों को झुकना पड़ा। इसके बाद, प्रयागराज के हनुमान मंदिर में दोनों का विवाह संपन्न हुआ। इस समारोह में सिर्फ कुछ करीबी लोग ही शामिल हुए।

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सोशल मीडिया पर चर्चा और वायरल वीडियो

मामा-भांजी की शादी की खबर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। X पर जर्नलिस्ट कविश अज़ीज़ (@azizkavish) ने 5 अप्रैल 2025 को एक मिनट का वीडियो शेयर किया, जिसमें अवनीश और पूजा मंदिर में एक-दूसरे को माला पहनाते दिख रहे हैं। यह वीडियो तेज़ी से वायरल हो गया, और कई लोगों ने इस पर अपनी राय दी। आप नीचे वह वीडियो देख सकते हैं:

मामा-भांजी की शादी को लेकर कानूनी पेंच और विशेषज्ञों की राय

यह शादी कानूनी रूप से कई सवाल खड़े करती है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 के अनुसार, नज़दीकी रिश्तेदारों (सपिंड संबंध) के बीच विवाह निषिद्ध है। दिल्ली के वकील संजय मिश्रा कहते हैं, “यह शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं है। अगर कोई पक्ष कोर्ट में जाता है, तो इसे रद्द किया जा सकता है। साथ ही, ऐसे रिश्तों से सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है।”

सामाजिक और सांस्कृतिक नज़रिया

भारत में रिश्तों की पवित्रता को बहुत अहमियत दी जाती है, खासकर उत्तर भारत में। यहाँ मामा-भांजी का रिश्ता एक संरक्षक और संरक्षित का होता है, जिसे प्रेम के रूप में देखना समाज के लिए अस्वीकार्य है। सामाजिक वैज्ञानिक डॉ. रेखा वर्मा बताती हैं, “उत्तर भारत में ऐसी शादियाँ सामाजिक बहिष्कार का कारण बन सकती हैं। हालाँकि, दक्षिण भारत में कुछ समुदायों में मामा-भांजी की शादी की प्रथा रही है, लेकिन वह भी अब कम हो रही है।”

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ऐतिहासिक संदर्भ

ऐतिहासिक रूप से, भारत के कुछ हिस्सों में नज़दीकी रिश्तेदारों में शादी की प्रथा रही है। दक्षिण भारत में, खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में, मामा-भांजी की शादी को “मामनार-मरुमकन” के रूप में जाना जाता था। यह प्रथा संपत्ति को परिवार में रखने के लिए की जाती थी। लेकिन आधुनिक समय में, खासकर शहरी और उत्तर भारतीय समाज में, यह प्रथा लगभग खत्म हो चुकी है और इसे अनैतिक माना जाता है।

भविष्य की चुनौतियाँ

अवनीश और पूजा की यह शादी भविष्य में कई चुनौतियों का सामना कर सकती है। अगर परिवार या कोई तीसरा पक्ष कोर्ट में जाता है, तो इस शादी को रद्द किया जा सकता है। साथ ही, सामाजिक दबाव के कारण दोनों को अपने गाँव में रहना मुश्किल हो सकता है। यह घटना समाज में रिश्तों और व्यक्तिगत आज़ादी पर एक नई बहस को जन्म दे रही है।

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