नयी दिल्ली: पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल असिम मुनीर ने एक बार फिर दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) को हवा दे दी है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच जियोपॉलिटिक्स में तनाव को और गहरा सकता है। बुधवार को इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन में अपने संबोधन में मुनीर ने जोर देकर कहा कि भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, जिनकी संस्कृति, परंपराएं, और महत्वाकांक्षाएं एक-दूसरे से भिन्न हैं। यह बयान न सिर्फ ऐतिहासिक बहस को जिंदा करता है, बल्कि दक्षिण एशिया के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) की वापसी
मुनीर ने अपने भाषण में कहा, “हमारे पूर्वजों ने सोचा कि हम हिंदुओं से हर पहलू में अलग हैं। हमारा धर्म अलग है, हमारी परंपराएं अलग हैं, हमारे विचार अलग हैं, और हमारी महत्वाकांक्षाएं भी अलग हैं। यहीं से दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) की नींव पड़ी। हम दो राष्ट्र हैं, एक नहीं।” यह बयान 1947 के विभाजन की उस सोच को दोहराता है, जिसने भारत और पाकिस्तान को अलग-अलग देश बनाया। मुनीर ने जोड़ा कि पाकिस्तान की रचना के लिए पूर्वजों ने भारी कुर्बानियां दीं, और मौजूदा पीढ़ी इसे बचाने के लिए तैयार है। उनका यह रुख नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़े रखने की अपील के साथ आया, जिसमें उन्होंने कहा कि बच्चों को पाकिस्तान की कहानी बताई जानी चाहिए ताकि उनकी देश से निष्ठा कम न हो।
जियोपॉलिटिक्स का संदेश
यह बयान उस वक्त आया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर तनाव है। मुनीर का जोर इस बात पर था कि पाकिस्तान की पहचान हिंदू बहुल भारत से अलग है, जो जियोपॉलिटिक्स में एक स्पष्ट रेखा खींचता है। इसके अलावा, उन्होंने बलूचिस्तान में आतंकवाद से निपटने की कसम खाई। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दावा किया, “1500 आतंकवादी, चाहे वे BLA, BLF, या BRA से हों, बलूचिस्तान को हमसे नहीं छीन सकते। दस पीढ़ियों के आतंकवादी भी पाकिस्तान को नुकसान नहीं पहुंचा सकते।” यह बयान न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता दिखाता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर पाकिस्तान की रणनीति का भी संकेत देता है।
असीम मुनीर के बयान का Geopolitics पर असर
इस बयान का असर दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स पर पड़ सकता है। भारत ने ऐतिहासिक रूप से दो-राष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) को स्वीकार करने से इनकार किया है, और इस बयान से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका है। ओवरसीज पाकिस्तानियों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ मुनीर ने आतंकवाद के खिलाफ सेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जो क्षेत्र में उनकी सैन्य शक्ति को मजबूत करने का प्रयास हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान घरेलू राजनीति को मजबूत करने के लिए भी हो सकता है, जहां सेना की भूमिका पहले से ही प्रभावशाली है।
आगे का रास्ता – भारत-पाक संबंध
असिम मुनीर का यह बयान भारत-पाक रिश्तों में एक नया मोड़ ला सकता है। सवाल उठता है कि यह बयान घरेलू सियासत को मज़बूत करने की रणनीति है या भारत के प्रति सख्त रुख दिखाने का संकेत? अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें भी इस बयान के असर पर होंगी, क्योंकि दक्षिण एशिया में स्थिरता और सहयोग की संभावनाएं इससे प्रभावित हो सकती हैं। आने वाले समय में दोनों देशों की प्रतिक्रिया इस उभरते तनाव को दिशा देगी।