इटली में बुरका और निकाब पर सख्ती: मेलोनी सरकार का नया बिल, लाखों का जुर्माना, मस्जिदों की फंडिंग पर भी नजर

International News: इटली की मेलोनी सरकार ने बुरका और निकाब पर पूर्ण प्रतिबंध का बिल पेश किया, जिसमें उल्लंघन पर 2.6 लाख तक का जुर्माना और मस्जिदों की विदेशी फंडिंग पर निगरानी का प्रावधान है। सरकार इसे सांस्कृतिक एकता और सुरक्षा के लिए जरूरी बता रही है, जबकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।

Samvadika Desk
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Highlights
  • इटली: मेलोनी सरकार का बिल, सार्वजनिक स्थानों पर बुरका-निकाब बैन!
  • उल्लंघन पर 26,000 से 2.6 लाख रुपये तक का जुर्माना!
  • मस्जिदों और इस्लामी संगठनों की विदेशी फंडिंग पर कड़ी निगरानी!

रोम, इटली: इटली की दक्षिणपंथी सरकार, प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में, एक विवादास्पद विधेयक लेकर आई है, जो सार्वजनिक स्थानों पर बुरका और निकाब जैसे चेहरा ढकने वाले परिधानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है। 8 अक्टूबर को संसद में पेश इस बिल में स्कूल, विश्वविद्यालय, दुकानें, कार्यालय और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा पूरी तरह ढकने वाले कपड़ों पर रोक का प्रावधान है। उल्लंघन करने वालों पर 300 से 3,000 यूरो (लगभग 26,000 से 2.6 लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, मस्जिदों और इस्लामी संगठनों की विदेशी फंडिंग पर भी कड़ी निगरानी की जाएगी। मेलोनी की पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ ने इस कदम को ‘इस्लामी कट्टरवाद’ और ‘सांस्कृतिक अलगाव’ के खिलाफ जरूरी बताया है, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।

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बुरका और निकाब पर प्रतिबंध: क्या है नया बिल?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेलोनी सरकार ने इस विधेयक को ‘धार्मिक कट्टरवाद’ और ‘सांस्कृतिक अलगाव’ से निपटने के लिए पेश किया है। बिल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूलों, विश्वविद्यालयों, कार्यालयों, दुकानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने वाले परिधान, जैसे बुरका (जो पूरे शरीर और चेहरे को ढकता है, आंखों पर जालीदार स्क्रीन के साथ) और निकाब (जो चेहरा ढकता है, लेकिन आंखें खुली रहती हैं), पहनना प्रतिबंधित होगा। इसका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगेगा। मेलोनी सरकार का दावा है कि यह कदम इटली की सामाजिक एकता को मजबूत करेगा और ‘इस्लामी अलगाववाद’ को रोकेगा।

यह पहल फ्रांस के 2011 के बुरका प्रतिबंध से प्रेरित है, जहां चेहरा ढकने वाले परिधानों पर पूर्ण रोक है। मेलोनी के गठबंधन सहयोगी ‘लीग’ पार्टी ने पहले भी इस तरह के सीमित प्रतिबंध की कोशिश की थी, लेकिन अब ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ ने इसे देशव्यापी स्तर पर लागू करने का प्रस्ताव रखा है। मेलोनी की सरकार को संसद में बहुमत प्राप्त है, इसलिए इस बिल के पास होने की संभावना मजबूत मानी जा रही है, हालांकि औपचारिक बहस की तारीख अभी तय नहीं हुई है।

मस्जिदों और इस्लामी संगठनों पर निगरानी

यह विधेयक केवल परिधानों तक सीमित नहीं है। इसमें मस्जिदों और इस्लामी संगठनों की विदेशी फंडिंग पर कड़ी नजर रखने के प्रावधान भी शामिल हैं। बिल के अनुसार, जिन धार्मिक संगठनों का इटली सरकार के साथ औपचारिक समझौता नहीं है, उन्हें अपनी फंडिंग के स्रोतों का खुलासा करना होगा। चूंकि किसी भी मुस्लिम संगठन का ऐसा समझौता नहीं है, इसलिए यह नियम खास तौर पर मस्जिदों और इस्लामी शिक्षा संस्थानों पर लागू होगा। सरकार का कहना है कि इससे ‘इस्लामी कट्टरवाद’ और संभावित आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली फंडिंग पर लगाम लगेगी। बिल में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले संगठनों को फंडिंग रोकी जाएगी।

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मेलोनी का तर्क: सुरक्षा और सांस्कृतिक एकता

प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जो अपनी दक्षिणपंथी विचारधारा के लिए जानी जाती हैं, ने इस विधेयक को ‘इस्लामी अलगाववाद’ के खिलाफ एक मजबूत कदम बताया है। उनका कहना है कि चेहरा ढकने वाले परिधान न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि सामाजिक एकीकरण में बाधा डालते हैं। इटली में मुस्लिम आबादी करीब 5 लाख है, और हाल के वर्षों में प्रवासन और सांस्कृतिक एकीकरण के मुद्दे राजनीतिक बहस का केंद्र रहे हैं। मेलोनी सरकार ने पहले भी प्रवासियों पर सख्त नीतियां अपनाई हैं, जैसे भूमध्य सागर में अवैध नावों को रोकना।

1975 का कानून और नया कदम

इटली में 1975 का एक कानून पहले से मौजूद है, जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर रोक लगाता है, लेकिन उसमें बुरका या निकाब का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। नया विधेयक इस पुराने कानून को और सख्त करता है और इसे स्पष्ट रूप से धार्मिक परिधानों पर लागू करता है। मेलोनी सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय पहचान और एकता की रक्षा के लिए जरूरी है।

तीखी बहस और आलोचना

इस विधेयक ने इटली में तीखी बहस छेड़ दी है। दक्षिणपंथी समूह इसे ‘राष्ट्रीय गौरव’ की रक्षा का कदम बता रहे हैं, जबकि विपक्षी दल और मुस्लिम संगठनों ने इसे ‘इस्लाम-विरोधी’ और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है। इटली के एक प्रमुख मुस्लिम संगठन ने बयान जारी कर कहा, “यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं की स्वतंत्रता पर हमला है। यह न केवल धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक तनाव को भी हवा देगा।”

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सामाजिक और वैश्विक प्रभाव

यह विधेयक न केवल इटली बल्कि यूरोप में भी चर्चा का विषय बन गया है, जहां इस्लाम और सांस्कृतिक एकीकरण के मुद्दे पहले से ही संवेदनशील हैं। फ्रांस, बेल्जियम और ऑस्ट्रिया जैसे देशों में पहले से ही बुरका पर प्रतिबंध हैं, और मेलोनी का यह कदम इटली को इस सूची में शामिल कर सकता है। लेकिन यह कदम मुस्लिम समुदाय के बीच असंतोष पैदा कर सकता है और सामाजिक एकता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।

मेलोनी सरकार का यह बिल न केवल धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों पर बहस को जन्म दे रहा है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या इस तरह के कदम वाकई सामाजिक एकता को मजबूत करेंगे या समाज को और बांट देंगे। अब सभी की नजर इस बात पर है कि यह विधेयक संसद में कब और कैसे पास होगा, और इसका इटली के सामाजिक ताने-बाने पर क्या असर पड़ेगा।

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