रामायण ने बदल दी जिंदगी, इस्लाम छोड़कर सानिया बनीं सती, शिव मंदिर में निखिल के साथ लिए सात फेरे

Ghar Wapasi in Khandwa: खंडवा की सानिया ने रामायण और गीता पढ़कर इस्लाम छोड़ा, बनारस-मथुरा में 3 महीने अध्ययन किया। महादेवगढ़ शिव मंदिर में शुद्धिकरण कर नाम रखा सती और प्रेमी निखिल से वैदिक विवाह किया। परिवार ने स्वीकारा, मंदिर ने रामायण भेंट की।

Samvadika Desk
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मंदिर में लिए सात फेरे (इमेज - सोशल मीडिया)
Highlights
  • रामायण ने बदल दी जिंदगी: सानिया बनीं सती!
  • इस्लाम छोड़ा, महादेवगढ़ में लिए वैदिक सात फेरे!
  • “राम-सीता का प्रेम देखा, मन बदल गया”: सती

खंडवा (महादेवगढ़), मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में मंगलवार को एक ऐसी घटना हुई जो पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई। गुड़ी क्षेत्र की रहने वाली सानिया ने इस्लाम धर्म छोड़ सनातन धर्म अपना लिया और महादेवगढ़ शिव मंदिर में अपना नया नाम “सती” रखकर खंडवा के ही निखिल से वैदिक रीति-रिवाज से सात फेरे ले लिए। सती का कहना है – “रामायण पढ़कर मुझे लगा कि सच्चा प्रेम त्याग, समर्पण और आत्मिक जुड़ाव है, जो मुझे सनातन धर्म में ही मिला।”

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तीन महीने बनारस-मथुरा में किया गहन अध्ययन

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सती (पूर्व नाम सानिया) ने बताया कि वह बचपन से ही इस्लाम में पली-बढ़ीं, लेकिन पिछले कुछ समय से सनातन धर्म की ओर आकर्षित हो रही थीं। सच्चाई जानने के लिए उन्होंने तीन महीने बनारस में बाबा विश्वनाथ की नगरी में गुजारे। वहां रामायण, गीता और अन्य ग्रंथों का अध्ययन किया। फिर मथुरा-वृंदावन गईं, जहां राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम और राम-सीता के त्याग को समझा।

सती ने कहा, “मैं प्रेम को सिर्फ आकर्षण नहीं, दो आत्माओं का मिलन समझना चाहती थी। रामायण ने मुझे सिखाया कि सच्चा प्रेम बलिदान और धर्म पर टिका होता है। इसके बाद मेरा मन पूरी तरह बदल गया।”

निखिल से प्रेम, लेकिन पहले धर्म समझना चाहा

सती लंबे समय से खंडवा के निखिल से प्रेम करती थीं। लेकिन शादी से पहले उन्होंने प्रेम को धर्म और जीवन मूल्यों की कसौटी पर परखना चाहा। अध्ययन पूरा होने और मन को शांति मिलने के बाद वे महादेवगढ़ पहुंचीं और मंदिर संचालक अशोक पालीवाल को अपनी पूरी कहानी सुनाई।

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यज्ञ-हवन के साथ हुई घरवापसी, नाम पड़ा “सती”

पालीवाल ने तुरंत पंडितों को बुलाया। यज्ञ, हवन, मंत्रोच्चार और विधि-विधान से सती का शुद्धिकरण और घरवापसी संस्कार पूरा किया गया। नया नाम रखा गया – “सती”। इसके तुरंत बाद मंदिर परिसर में भगवान शिव को साक्षी मानकर सती और निखिल की वैदिक शादी हुई। वरमाला, कन्यादान, सात फेरे – सब कुछ पारंपरिक तरीके से संपन्न हुआ।

मंदिर प्रबंधन ने नवदंपति को रामायण की प्रति भेंट की और आशीर्वाद दिया कि “जैसे राम-सीता ने जीवन की हर परीक्षा पास की, वैसे ही आप भी पार करें।”

परिवार ने भी स्वीकार किया, निखिल के परिजन रहे मौजूद

निखिल के परिवार वाले पूरी शादी में मौजूद रहे और सती को बेटी की तरह अपनाया। उन्होंने कहा, “जो दिल से हमारा हो गया, उसे हमने पूरा सम्मान दिया।” सती ने भी कहा, “मुझे नया परिवार और नई जिंदगी मिल गई।”

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महादेवगढ़ मंदिर में इस साल यह दर्जन भर से ज्यादा “घरवापसी” का मामला है। पिछले कुछ महीनों में कई युवक-युवतियां दूसरे धर्मों से सनातन में लौटकर वैदिक विवाह कर चुके हैं। सती और निखिल की यह प्रेम कहानी अब खंडवा ही नहीं, पूरे क्षेत्र में “रामायण की प्रेरणा से बदली जिंदगी” के रूप में चर्चित हो गई है।

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