नई दिल्ली: केंद्र सरकार देश के करोड़ों मेहनतकश श्रमिकों के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। जल्द ही एक ऐसी पेंशन योजना शुरू हो सकती है, जिसमें मजदूरों को अपनी जेब से एक भी पैसा नहीं देना होगा, और 60 साल की उम्र के बाद उन्हें नियमित पेंशन मिलेगी। इस योजना का नाम है ‘एकीकृत पेंशन योजना’ (Integrated Pension Scheme), जिसका लक्ष्य 6 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देना है। इस स्कीम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें श्रमिकों को कोई अंशदान नहीं देना पड़ेगा, जैसा कि अटल पेंशन योजना या अन्य योजनाओं में होता है। अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो जल्द से जल्द अपना ई-श्रम कार्ड बनवा लें।
क्या है एकीकृत पेंशन योजना? (What is Integrated Pension Scheme)
केंद्र सरकार की इस नई योजना का मकसद असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को बुढ़ापे में आर्थिक सहारा देना है। चाहे आप निर्माण मजदूर हों, रेहड़ी-पटरी वाले हों, या किसी अन्य छोटे-मोटे काम में लगे हों, यह योजना आपको कवर करेगी। केंद्रीय श्रम मंत्रालय इस योजना की रूपरेखा तैयार कर रहा है। खास बात यह है कि यह योजना पूरे देश में लागू होगी, यानी आप किसी भी राज्य में रहें, इसका लाभ उठा सकेंगे। अगर कोई श्रमिक अपने गाँव, जिले, या राज्य को छोड़कर कहीं और काम करने जाता है, तब भी उसका पेंशन अंशदान बंद नहीं होगा। 60 साल की उम्र के बाद उसे नियमित पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
ई-श्रम कार्ड: लाभ का पहला कदम
इस पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद श्रमिक को एक ई-श्रम कार्ड और यूनिक आईडी नंबर मिलता है, जो आधार कार्ड से जुड़ा होता है। यह कार्ड सरकार की कई योजनाओं का प्रवेश द्वार है। अभी ई-श्रम कार्ड धारकों को पेंशन सुविधा, पीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान, जीवन बीमा, और अन्य लाभ मिलते हैं। ई-श्रम कार्ड बनवाना आसान है। आप नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या ई-श्रम पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, और बैंक खाता विवरण के साथ यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में पूरी हो जाती है।
पेंशन के लिए पैसे का इंतजाम
आप सोच रहे होंगे कि अगर श्रमिकों को कोई पैसा नहीं देना है, तो पेंशन का खर्च कैसे उठेगा? माना जा रहा है कि सरकार ने इसके लिए निर्माण कार्यों पर लगने वाले सेस (उपकर) के फंड का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। देशभर में इमारतों, सड़कों, और अन्य निर्माण परियोजनाओं पर सेस वसूला जाता है, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा उपयोग नहीं हो पाता। अब सरकार इस फंड को श्रमिकों की पेंशन के लिए इस्तेमाल करेगी। इसके अलावा, राज्य सरकारों के श्रम कल्याण बोर्डों के पास उपलब्ध धनराशि भी इस योजना में योगदान दे सकती है। यह मॉडल पहले से ही गिग वर्कर्स (जैसे ओला, उबर, स्विगी-जोमैटो ड्राइवर) के लिए लागू है, जहाँ कंपनियाँ उनके लिए अंशदान देती हैं।
योजना की खासियतें
- मुफ्त पेंशन: श्रमिकों को कोई अंशदान नहीं देना होगा, जो इसे अटल पेंशन योजना और पीएम श्रम योगी मानधन योजना से अलग बनाता है।
- देशव्यापी कवरेज: यह योजना हर राज्य में लागू होगी, और श्रमिक कहीं भी काम करें, उनकी पेंशन सुरक्षित रहेगी।
- लचीलापन: अगर कोई श्रमिक एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है, तो उसका पेंशन खाता बंद नहीं होगा।
- आधार-आधारित रजिस्ट्रेशन: ई-श्रम कार्ड के जरिए रजिस्ट्रेशन आसान और पारदर्शी होगा।
- सामाजिक सुरक्षा: पेंशन के साथ-साथ अन्य लाभ जैसे बीमा और आवास भी मिल सकते हैं।
सरकार की तैयारी और चुनौतियाँ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय श्रम मंत्रालय इस योजना को जल्द लागू करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। सेस फंड का उपयोग और राज्य सरकारों का सहयोग इस योजना को सफल बनाएगा। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं। पहली, सभी 6 करोड़ श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन एक बड़ी जिम्मेदारी है। दूसरी, सेस फंड का सही प्रबंधन और इसका पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करना होगा। तीसरी, जागरूकता की कमी के कारण कई श्रमिक इस योजना से वंचित रह सकते हैं। सरकार इन समस्याओं से निपटने के लिए जागरूकता अभियान और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रही है।
श्रमिकों के लिए सुनहरा अवसर
यह पेंशन योजना उन करोड़ों श्रमिकों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है, जो मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। बुढ़ापे में आर्थिक तंगी की चिंता के बिना सम्मानजनक जीवन जीने का यह मौका हर श्रमिक का हक है। अगर आप या आपके आसपास कोई श्रमिक है, तो आज ही ई-श्रम कार्ड बनवाएँ और इस योजना का हिस्सा बनें। केंद्र सरकार का यह कदम न केवल श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उनके जीवन में नई उम्मीद भी जगाएगा।

