पहलगाम आतंकी हमला: पाकिस्तानी प्रोफेसर ने सेना प्रमुख आसिम मुनीर को ठहराया जिम्मेदार, बोले- अब नुकसान हमारा ही होगा

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने जनरल आसिम मुनीर के भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मुनीर की धार्मिक विभाजनकारी सोच ने आतंकियों को उकसाया। साथ ही, सिंधु जल समझौते और टू नेशन थ्योरी पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान को अपने आंतरिक संकटों पर ध्यान देने की सलाह दी।

Samvadika Desk
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Image - ISPR OFFICIAL/YOUTUBE | Pakistan Army chief Asim Munir
Highlights
  • पाकिस्तानी प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने जनरल आसिम मुनीर को बताया जिम्मेदार।
  • मुनीर के भड़काऊ बयानों ने आतंकियों को हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया।
  • प्रोफेसर ने सिंधु जल समझौते को लेकर भारत की सख्ती पर जताई चिंता।
  • उन्होंने टू नेशन थ्योरी को बताया पाकिस्तान के लिए विनाशकारी विचार।
  • उन्होंने पाकिस्तान को व्यापार और शांति की राह पर लौटने की सलाह दी।

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया है, बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी हलचल मचा दी है। इस हमले के बाद पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने अपने ही देश के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर (Asim Munir) को कटघरे में खड़ा किया है। प्रोफेसर अहमद ने पहलगाम आतंकी हमला (Pahalgam Terror Attack) के लिए आसिम मुनीर के भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उनकी बातों ने आतंकियों को उकसाया। साथ ही, उन्होंने सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) पर भारत के संभावित कदमों को लेकर चिंता जताई और टू नेशन थ्योरी (Two Nation Theory) की भी तीखी आलोचना की। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

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आसिम मुनीर के बयान और पहलगाम हमले का कनेक्शन

प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने कहा कि जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में एक कार्यक्रम में हिंदू-मुसलमान को अलग-अलग बताते हुए भड़काऊ बयान दिया था। उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “गर्दन की नस (jugular vein)” करार दिया और टू नेशन थ्योरी का समर्थन किया। इस बयान के महज एक हफ्ते बाद ही पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर निशाना बनाया। प्रोफेसर अहमद ने सवाल उठाया कि क्या यह महज संयोग है? उन्होंने कहा, “आसिम मुनीर को ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए थीं। उनके बयान ने आतंकियों को हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए प्रेरित किया। आतंकियों ने हमले से पहले लोगों से उनका धर्म पूछा, जो मुनीर की हिंदू-मुसलमान वाली बात से मेल खाता है।”

प्रोफेसर ने जोर देकर कहा कि इस तरह की बयानबाजी न केवल दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाती है, बल्कि पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बदनाम भी करती है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान पहले ही आतंकवाद को समर्थन देने वाले देश के रूप में बदनाम है। अब आसिम मुनीर के बयानों के बाद यह बदनामी और बढ़ेगी। हमारी विश्वसनीयता पहले से ही शून्य है, और अब यह शून्य से भी नीचे जाएगी।”

सिंधु जल समझौता: भारत का बड़प्पन और पाकिस्तान की चिंता

पहलगाम आतंकी हमला के बाद भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौता पर कड़ा कदम उठाने के संकेत दिए हैं। प्रोफेसर अहमद ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने अपने दोस्त लियाकत अली के एक लेख का हवाला देते हुए बताया कि 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुए इस समझौते से पहले नदियों के पानी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तीखा विवाद था। 1947 के विभाजन के बाद अधिकांश नहरें और नदियाँ भारत के हिस्से में चली गई थीं, जिससे पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हो गई थी।

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उन्होंने कहा, “विभाजन के बाद भारत के पास मजबूत तर्क और अंतरराष्ट्रीय समर्थन था। फिर भी, भारत ने उदारता दिखाते हुए सिंधु जल समझौता को मंजूरी दी। यह भारत का बड़प्पन था।” इस समझौते के तहत सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलज नदियों का पानी बाँटा गया। कश्मीर से होकर बहने वाली चिनाब, झेलम, और सिंधु नदियों का पानी पाकिस्तान को मिला, जबकि भारत ने कभी इसका प्रवाह नहीं रोका। प्रोफेसर ने बताया कि तीन-चार युद्धों और कई तनावपूर्ण दौर के बावजूद यह समझौता अटल रहा।

हालांकि, पहलगाम आतंकी हमला के बाद भारत का मूड बदला हुआ दिख रहा है। प्रोफेसर अहमद ने चेतावनी दी, “अगर भारत ने समझौते पर कोई कड़ा कदम उठाया, तो नुकसान पाकिस्तान का ही होगा। हमारी अर्थव्यवस्था पहले से कमजोर है, और पानी की कमी हमें और पीछे धकेल देगी।” उन्होंने कहा कि आसिम मुनीर के बयानों ने ऐसी स्थिति पैदा की है, जिसमें पाकिस्तान फंस गया है।

टू नेशन थ्योरी पर सवाल: विभाजन गलत था

प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने आसिम मुनीर के टू नेशन थ्योरी के समर्थन की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “1947 में भारत का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर हुआ, जो गलत था। आज भारत में जितने मुसलमान हैं, उतनी ही पाकिस्तान की आबादी है। फिर इस विभाजन से किसका फायदा हुआ?” उन्होंने तर्क दिया कि 1947 से पहले मुगल, ब्रिटिश, या किसी अन्य शासन में सांप्रदायिक आधार पर देश नहीं बँटा था।

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उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को पहले अपने आंतरिक हालात सुधारने चाहिए। आसिम मुनीर टू नेशन थ्योरी की बात करते हैं, लेकिन चार युद्धों में हम कश्मीर नहीं ले पाए। उलटे, हमने 1971 में अपना देश तुड़वा लिया।” प्रोफेसर ने जोर देकर कहा कि ऐसी बयानबाजी से न तो कश्मीर हासिल होगा और न ही पाकिस्तान का भला होगा।

पाकिस्तान के आंतरिक संकट और आसिम मुनीर की रणनीति

प्रोफेसर अहमद ने पाकिस्तान के अंदरूनी हालात पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सिंध प्रांत में लोग यह शिकायत कर रहे हैं कि उनकी नदियों का पानी पंजाब में रोका जा रहा है। नहरें बनाकर पानी की चोरी हो रही है, जिससे स्थानीय लोग नाराज हैं। उन्होंने कहा, “जब अपने देश में ही पानी का बँटवारा ठीक नहीं है, तो कश्मीर पर बयानबाजी करके क्या हासिल होगा?”

उन्होंने आसिम मुनीर पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके बयान आंतरिक संकटों से ध्यान भटकाने की कोशिश हैं। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में अशांति, आर्थिक तंगी, और राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान को कमजोर कर दिया है। प्रोफेसर ने कहा, “आसिम मुनीर को लगता है कि भारत और हिंदुओं के खिलाफ बोलकर वे जनता का समर्थन हासिल कर लेंगे, लेकिन यह गलत रणनीति है। इससे पाकिस्तान की बदनामी और बढ़ेगी।”

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पाकिस्तान की वैश्विक छवि और भविष्य

प्रोफेसर अहमद ने चेतावनी दी कि आसिम मुनीर जैसे बयानों से पाकिस्तान की वैश्विक छवि और खराब होगी। उन्होंने कहा, “दुनिया पहले ही हमें आतंकवाद का समर्थन करने वाला देश मानती है। अब पहलगाम आतंकी हमला के बाद यह धारणा और मजबूत होगी।” उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को भारत और मध्य पूर्व के देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने चाहिए। उन्होंने कहा, “हमें ट्रेड रूट खोलने चाहिए, न कि युद्ध और आतंकवाद की बात करनी चाहिए। चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की जनता को अब जागना होगा। उन्होंने कहा, “खुदा का खौफ खाओ। निर्दोष लोगों की जान लेने से क्या हासिल होगा? हमें अपने देश को बचाना है, न कि उसे बर्बाद करना है।”

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निष्कर्ष: क्या आसिम मुनीर की बयानबाजी ने पहलगाम हमले को उकसाया?

पहलगाम आतंकी हमला ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है। प्रोफेसर इश्तियाक अहमद का मानना है कि आसिम मुनीर के भड़काऊ बयानों ने इस हमले को प्रेरित किया। उनके हिंदू-मुसलमान को अलग करने और कश्मीर को “गर्दन की नस” बताने वाले बयान ने आतंकियों को हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए उकसाया। साथ ही, सिंधु जल समझौता पर भारत के संभावित कदमों ने पाकिस्तान के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

प्रोफेसर अहमद ने टू नेशन थ्योरी को खारिज करते हुए कहा कि विभाजन एक गलती थी, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने पाकिस्तान से अपने आंतरिक हालात सुधारने और भड़काऊ बयानबाजी से बचने की अपील की। अगर आसिम मुनीर जैसे नेता ऐसी बातें करते रहे, तो पाकिस्तान का नुकसान तय है। यह हमला न केवल एक त्रासदी है, बल्कि एक चेतावनी भी कि शांति और सहयोग ही दोनों देशों के हित में है।

“ये जानकारी हमारी जांच और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है”

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