चुनाव आयोग का SIR पर बड़ा फैसला: यूपी को 15 दिन की छूट, एमपी-छत्तीसगढ़ में 7 दिन अतिरिक्त, लेकिन बंगाल को कोई राहत नहीं – जानिए क्यों?

SIR date Extended in Some States: चुनाव आयोग ने SIR की समयसीमा बढ़ाई: UP को 15 दिन (एन्यूमरेशन 26 दिसंबर तक), MP-छत्तीसगढ़-अंडमान को 7 दिन, तमिलनाडु-पुडुचेरी को 3 दिन की छूट। बंगाल को कोई एक्सटेंशन नहीं, TMC ने BJP की साजिश बताया। CEO की मांग पर फैसला, पात्र वोटरों को चूकने से बचाने के लिए। अंतिम सूची फरवरी 2026 में।

Samvadika Desk
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प्रतीकात्मक इमेज
Highlights
  • चुनाव आयोग ने SIR में UP को 15 दिन की छूट दी!
  • MP-छत्तीसगढ़ को 7 दिन अतिरिक्त, बंगाल को जीरो!
  • TMC का आरोप – BJP का वोट कटाई टूल SIR!

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने 11 दिसंबर 2025 को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की समयसीमा में बदलाव करते हुए छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राहत दी है। उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा 15 दिनों की मोहलत मिली है, जबकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह को 7 दिनों की अतिरिक्त छूट दी गई। तमिलनाडु और पुडुचेरी को 3 दिनों की बढ़ोतरी का फायदा हुआ है। लेकिन पश्चिम बंगाल को कोई एक्सटेंशन नहीं मिला। यह फैसला मतदाता सूची को शुद्ध और अपडेट रखने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि सभी पात्र वोटरों के नाम शामिल हो सकें।

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SIR क्या है और क्यों बढ़ाई गई समयसीमा?

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चुनाव आयोग की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो मतदाता सूची को 100% शुद्ध बनाने के लिए चलाई जा रही है। इसका पहला चरण बिहार में सितंबर 2025 में पूरा हो चुका था। अब दूसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – अंडमान एवं निकोबार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल – में यह अभियान चल रहा है।

आयोग ने समयसीमा बढ़ाने का फैसला संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) की मांग पर लिया। कारण? BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) पर काम का बोझ, फॉर्म जमा करने में देरी और पात्र वोटरों को चूकने का खतरा। इससे ड्राफ्ट मतदाता सूची (ड्राफ्ट रोल) जारी करने की तारीखें भी आगे खिसक गई हैं। अंतिम सूची फरवरी 2026 में प्रकाशित होगी।

राज्यवार एक्सटेंशन: यूपी को सबसे ज्यादा राहत

चुनाव आयोग ने 11 दिसंबर को जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, नई समयसीमा इस प्रकार है:

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  • उत्तर प्रदेश: सबसे लंबी छूट – एन्यूमरेशन (गणना) की आखिरी तारीख 26 दिसंबर 2025 (पहले 11 दिसंबर)। ड्राफ्ट रोल 31 दिसंबर 2025 को जारी। (15 दिनों की बढ़ोतरी)
  • मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान एवं निकोबार: एन्यूमरेशन 18 दिसंबर 2025 (पहले 11 दिसंबर) तक। ड्राफ्ट रोल 23 दिसंबर 2025 को। (7 दिनों की बढ़ोतरी)
  • तमिलनाडु और पुडुचेरी: एन्यूमरेशन 14 दिसंबर 2025 (पहले 11 दिसंबर) तक। ड्राफ्ट रोल 19 दिसंबर 2025 को। (3 दिनों की बढ़ोतरी)

ये बदलाव सिर्फ फॉर्म जमा करने और गणना की समयसीमा पर लागू हैं। क्लेम्स और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि (16 दिसंबर 2025 से 7 फरवरी 2026) वही रहेगी। आयोग का कहना है कि यह कदम इसलिए जरूरी था ताकि कोई पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे।

बंगाल को क्यों नहीं मिली कोई राहत? राजनीतिक दबाव या तैयारियां?

पश्चिम बंगाल में SIR की समयसीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ। एन्यूमरेशन 11 दिसंबर 2025 को ही खत्म होगी और ड्राफ्ट रोल 16 दिसंबर को जारी होगा। आयोग के अधिकारियों ने इसे “राज्यों की तैयारियों और मांगों पर आधारित” बताया। लेकिन पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है।

  • राजनीतिक हंगामा: TMC ने SIR को “वोटर सुप्रेशन टूल” करार दिया है। ममता बनर्जी सरकार का आरोप है कि यह BJP का “वोट कटाई” का हथियार है। आयोग पर पक्षपात का इल्जाम लगाते हुए TMC ने कई FIR दर्ज कराई हैं। BLO (ज्यादातर स्कूल टीचर) पर दबाव और FIR के कारण काम प्रभावित हुआ, लेकिन आयोग ने कोई छूट नहीं दी।
  • विपक्ष का विरोध: BJP ने इसे TMC की “घुसपैठियों को बचाने की साजिश” बताया। आयोग का फैसला बंगाल में तनाव बढ़ा सकता है, क्योंकि वहां SIR में 80 लाख नए वोटर जोड़े गए हैं, लेकिन घुसपैठियों के नाम हटाने पर विवाद है।
  • आयोग का रुख: आयोग ने स्पष्ट किया कि बंगाल सहित गोवा, लक्षद्वीप, राजस्थान जैसे राज्यों में मूल शेड्यूल ही चलेगा। CEO की कोई विशेष मांग न आने पर एक्सटेंशन नहीं दिया गया।

SIR का मकसद और चुनौतियां

SIR का मुख्य उद्देश्य 18-19 साल के नए वोटरों को जोड़ना, डुप्लिकेट नाम हटाना और घुसपैठियों को चिन्हित करना है। लेकिन कई राज्यों में BLO पर दबाव, फॉर्म जमा करने में देरी और राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकायतें आईं। यूपी में 60 BLO के खिलाफ FIR तक हो चुकी हैं। आयोग ने समय बढ़ाकर इन चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश की है, लेकिन बंगाल जैसे संवेदनशील राज्यों में तनाव बरकरार है।

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अंतिम मतदाता सूची फरवरी 2026 में तैयार होगी, जो 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए आधार बनेगी। यह फैसला लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम है, लेकिन राजनीतिक बहस को और हवा दे सकता है।

( ये जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।)

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