अलीगढ़, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश और हरियाणा को जोड़ने वाला अलीगढ़-पलवल हाईवे (Aligarh-Palwal Highway) जल्द ही और सुगम व आधुनिक होने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण मार्ग के चौड़ीकरण और बाइपास निर्माण की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। प्रशासन ने प्रभावित गांवों के किसानों को मुआवजा वितरण के लिए 30 जून 2025 तक की समय-सीमा तय की है। इसके लिए विभिन्न गांवों में शिविर लगाए जा रहे हैं, ताकि भू-स्वामियों को उनकी जमीन के बदले उचित मुआवजा मिल सके। साथ ही, निर्माण एजेंसी सीडीएस इंफ्रा ने खैर बाइपास पर तेजी से काम शुरू कर दिया है, जिससे क्षेत्रवासियों को जाम की समस्या से जल्द राहत मिलने की उम्मीद है।
मुआवजा वितरण: शिविरों के जरिए तेजी से प्रक्रिया
अलीगढ़-पलवल मार्ग के चौड़ीकरण के लिए तहसील कोल और खैर के 31 गांवों में भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) प्रशासन पंकज कुमार ने अमर उजाला को बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 334 के इस सेक्शन के लिए प्रभावित भू-स्वामियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब तक 21 गांवों के लिए मुआवजा अवार्ड घोषित हो चुका है, जिसमें लगभग 600 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जाएगी।
मुआवजा वितरण के लिए जून 2025 में कई तारीखों पर गांवों में शिविर आयोजित होंगे। इनमें रेसरी, गनेशपुर, और अर्राना में 12 जून, घरबरा, टप्पल, और स्यारोल में 13 और 16 जून, सोतीपुरा, फाजिलपुर कलां, और खंडेहा में 17 और 18 जून, उसरह रसूलपुर, जलालपुर, और इतवारपुर में 19 और 20 जून, बुलाकीपुर, हीरपुरा, और करसुआ में 21 और 23 जून, घरबरा, खंडेहा, और ल्हासैरा विसावन में 24 और 25 जून, तथा पड़ियावली, बैरमगढ़ी, पड़ील, कनौरा, असरोई, और मुकंदपुर में 27, 28, और 30 जून को शिविर लगाए जाएंगे।
एडीएम ने क्षेत्रीय लेखपालों, भूमि अध्याप्ति अमीन, और सहायकों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी प्रभावित किसानों से फॉर्म-सीसी भरवाएँ और औपचारिकताएँ पूरी करें। खास तौर पर उन किसानों से भी संपर्क किया जाए जो गांव से बाहर रहते हैं। साथ ही, मुआवजा वितरण की दैनिक प्रगति रिपोर्ट डीएम कार्यालय को भेजना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध रहे।
खैर बाइपास: जाम से राहत की उम्मीद
अलीगढ़-पलवल मार्ग (Aligarh-Palwal Highway) पर खैर और जट्टारी में लंबे समय से जाम की समस्या बनी हुई है। इस समस्या से निपटने के लिए खैर में 10 किमी और जट्टारी में 5.5 किमी लंबे बाइपास का निर्माण प्रस्तावित है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इन बाइपास के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर मंजूरी प्राप्त कर ली है, और निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत हो चुका है।
निर्माण एजेंसी सीडीएस इंफ्रा ने खैर बाइपास पर काम शुरू कर दिया है। भूमि समतलीकरण और अन्य प्रारंभिक कार्य पूरे हो चुके हैं। एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक प्रमोद कौशिक ने बताया कि बाइपास का निर्माण पूरा होने के बाद खैर और जट्टारी में घंटों जाम की समस्या से स्थानीय लोगों और यात्रियों को निजात मिलेगी। यह बाइपास हाईवे को टप्पल में यमुना एक्सप्रेसवे और पलवल में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा, जिससे दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, और हरियाणा तक का सफर और सुगम हो जाएगा।
अलीगढ़-पलवल हाईवे का महत्व: क्षेत्रीय विकास की धुरी
69 किमी लंबा अलीगढ़-पलवल हाईवे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और दिल्ली-एनसीआर को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है। यह हाईवे टप्पल इंटरचेंज के पास यमुना एक्सप्रेसवे से मिलता है, जिससे अलीगढ़ को आगरा, मथुरा, नोएडा, और दिल्ली से जोड़ा जाता है। इस मार्ग पर कई बड़े विकास प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिनमें खेरेश्वरधाम मंदिर, राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, ट्रांसपोर्ट नगर, ग्रेटर अलीगढ़, डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, और इंडियन बॉटलिंग प्लांट शामिल हैं।
हाईवे के चौड़ीकरण से न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि क्षेत्र में औद्योगिक और शहरी विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। गाजियाबाद में बन रहे दुहाई इंटरनेशनल एयरपोर्ट और जेवर एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी में भी इस हाईवे की अहम भूमिका होगी। कुल 2500 करोड़ रुपये के बजट में से 1500 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण पर खर्च होंगे, जो इस प्रोजेक्ट के महत्व को दर्शाता है।
भूमि अधिग्रहण और प्रभावित गांव
जानकारी के मुताबिक, चौड़ीकरण के लिए अलीगढ़ जिले के 31 और हरियाणा के पलवल जिले के 58 गांवों की जमीन अधिग्रहण की जा रही है। अलीगढ़ में अब तक 21 गांवों की 160 हेक्टेयर जमीन के लिए मुआवजा तय हो चुका है। इन गांवों में अर्राना, उदयगढ़ी, बांकनेर, गनेशपुर, नगला अस्सू, उसरह रसूलपुर, बुलाकीपुर, चौधाना, जरारा, ऐंचना, लक्ष्मणगढ़ी, राजपुर, रेसरी, जलालपुर, हीरपुरा, खेड़िया बुजुर्ग, इतवारपुर, डोरपुरी, श्यौराल, हामिदपुर, और रसूलपुर शामिल हैं। शेष 10 गांवों का अवार्ड जल्द घोषित होगा।
प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। एनएचएआई ने प्रभावित गांवों में जमीन के क्रय-विक्रय पर भी रोक लगा दी है, ताकि प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।
अलीगढ़-पलवल मार्ग: चुनौतियाँ और भविष्य
हालांकि प्रोजेक्ट ने रफ्तार पकड़ी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं। खैर और जट्टारी बाइपास का निर्माण वर्षों से लंबित था, जिसके कारण स्थानीय लोग जाम से परेशान थे। 2016 में 552 करोड़ रुपये की लागत से बने इस फोरलेन हाईवे को 2022 में एनएचएआई को सौंपा गया, लेकिन बाइपास के अभाव में इसकी उपयोगिता सीमित थी। अब, नए बजट और प्रशासनिक सक्रियता के साथ, ये समस्याएँ हल होने की दिशा में हैं।
इसके अलावा, यमुना नदी पर मौजूद पुराना टू-लेन पुल, जो अंग्रेजी शासनकाल का है, भी एक चुनौती है। इसे फोरलेन करने की योजना है, जिससे हाईवे की पूरी लंबाई पर एकसमान चौड़ाई सुनिश्चित होगी।
क्षेत्र के लिए नई उम्मीद
अलीगढ़-पलवल मार्ग का चौड़ीकरण और बाइपास निर्माण न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि अलीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास की नई संभावनाएँ भी खोलेगा। मुआवजा वितरण की समयबद्ध प्रक्रिया और सीडीएस इंफ्रा की तेजी से चल रही निर्माण गतिविधियाँ इस बात का सबूत हैं कि प्रशासन इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दे रहा है।
खैर और जट्टारी में जाम से मुक्ति, दिल्ली-एनसीआर और जेवर एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी, और औद्योगिक विकास के नए अवसर—ये सब इस हाईवे के चौड़ीकरण से संभव होंगे। 30 जून 2025 तक मुआवजा वितरण पूरा होने के बाद निर्माण कार्य और तेज होगा, जिससे क्षेत्रवासियों की वर्षों पुरानी माँग पूरी हो सकेगी।