वाराणसी, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) ने वाराणसी से पकड़े गए ISI जासूस मोहम्मद तुफैल की पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। तुफैल, जो खुद को ‘गजवा-ए-हिंद’ और हदीस का सिपाही मानता था, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के हनी ट्रैप में फंसकर भारत की संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था। पाकिस्तान की महिला हैंडलर नफीसा ने उसे भावनात्मक जाल में फंसाया और वाराणसी, दिल्ली जैसे संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें और वीडियो के साथ जीपीएस लोकेशन तक ISI को भेजवाए। इसके साथ ही दिल्ली से गिरफ्तार हारून के जरिए ISI के फंडिंग नेटवर्क का भी पर्दाफाश हुआ है। यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को उजागर करता है।
नफीसा का हनी ट्रैप और तुफैल की जासूसी
ATS की शुरुआती पूछताछ में मोहम्मद तुफैल ने चौंकाने वाले खुलासे किए। वह पाकिस्तान के फैसलाबाद की एक महिला नफीसा के संपर्क में था, जो ISI की प्रमुख हैंडलर बताई जा रही है। नफीसा ने अपना असली नाम तक तुफैल से छिपाया और उसे भावनात्मक बातों में उलझाकर जासूसी के लिए इस्तेमाल किया। नफीसा तुफैल से कहती थी, “जहां भी जाओ, वहां की फोटो भेजो। तुम्हें दिन में जितनी बार देखती हूं, मन नहीं भरता।” इस बहाने तुफैल ने वाराणसी, दिल्ली, और अन्य संवेदनशील स्थलों की तस्वीरें और वीडियो नफीसा को भेजे।
हैरानी की बात यह है कि तुफैल ने नफीसा के कहने पर अपने मोबाइल की जीपीएस लोकेशन ऑन कर रखी थी, जिससे हर तस्वीर के साथ सटीक लोकेशन की जानकारी भी पाकिस्तान पहुंच रही थी। यह जानकारी ISI के लिए महत्वपूर्ण स्थलों की निगरानी और संभावित हमलों की साजिश में मददगार हो सकती थी। तुफैल ने कई चैट्स डिलीट कर दिए थे, जिन्हें ATS अब रिकवर करने की कोशिश कर रही है।
कट्टरपंथी गतिविधियां और ‘गजवा-ए-हिंद’ का प्रचार
तुफैल की गतिविधियां सिर्फ जासूसी तक सीमित नहीं थीं। वह पांच साल पहले एक मजलिस के दौरान पाकिस्तान के कट्टरपंथी संगठन ‘तहरीक-ए-लब्बैक’ के मौलाना शाह रिजवी के संपर्क में आया था। इसके बाद उसने उत्तर प्रदेश के कन्नौज, हैदराबाद, और पंजाब में कट्टरपंथी बैठकों में हिस्सा लिया। तुफैल कई व्हाट्सएप ग्रुप्स चलाता था, जिनमें ज्यादातर सदस्य वाराणसी और आजमगढ़ के थे। इन ग्रुप्स के जरिए वह मौलाना साद और शाह रिजवी के कट्टरपंथी वीडियो साझा करता था।
इन वीडियो में ‘गजवा-ए-हिंद’, बाबरी मस्जिद विध्वंस का बदला, और भारत में शरीयत लागू करने जैसे भड़काऊ संदेश थे। तुफैल इन संदेशों के जरिए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित करने की कोशिश करता था। उसकी ये गतिविधियां न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचाने वाली थीं।
हारून, शहजाद और ISI का फंडिंग नेटवर्क
तुफैल की गिरफ्तारी के साथ-साथ दिल्ली से पकड़े गए हारून ने भी ATS को चौंकाने वाली जानकारी दी है। हारून पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत अधिकारी मुजम्मिल हुसैन के लिए फर्जी बैंक खातों की व्यवस्था करता था। इन खातों के जरिए पाकिस्तान का वीजा लेने वालों से पैसे ट्रांसफर किए जाते थे, जो बाद में हारून के माध्यम से अन्य लोगों तक पहुंचते थे। ATS को शक है कि यह रकम भारत में सक्रिय ISI एजेंटों को फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही थी।
ATS अब हारून के मोबाइल डेटा और उसके नाम पर खोले गए बैंक खातों की गहन जांच कर रही है। पिछले तीन सालों में इन खातों में जमा और ट्रांसफर की गई रकम का उद्देश्य और प्राप्तकर्ताओं की पहचान की जा रही है। यह जांच ISI के फंडिंग नेटवर्क को उजागर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
हाल ही में मुरादाबाद से गिरफ्तार ISI जासूस शहजाद ने भी इस नेटवर्क की गहरी परतें उजागर की हैं। रामपुर का यह व्यापारी तस्करी और हवाला के जरिए ISI को फंडिंग पहुँचाता था, साथ ही सैन्य ठिकानों की जानकारी लीक करता था। ATS की जाँच में उसके 400 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों से संपर्क सामने आए, जो ISI के जासूसी तंत्र का हिस्सा थे। यह मामला तस्करी के बहाने देश-विरोधी गतिविधियों को दर्शाता है।
मोहम्मद तुफैल की पृष्ठभूमि और गिरफ्तारी
तुफैल को ATS ने 22 मई, 2025 को वाराणसी के आदमपुर इलाके से गिरफ्तार किया था। खुफिया इनपुट के आधार पर उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। जांच में पता चला कि तुफैल 600 से अधिक पाकिस्तानी मोबाइल नंबरों के संपर्क में था और ISI के इशारे पर संवेदनशील जानकारी लीक कर रहा था। ATS जल्द ही तुफैल की रिमांड के लिए लखनऊ कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगी, ताकि इस जासूसी नेटवर्क की और परतें खोली जा सकें।
तुफैल की धार्मिक प्रवृत्ति और कट्टरपंथी विचारधारा ने उसे ISI के लिए आसान शिकार बना दिया। उसने न केवल जासूसी की, बल्कि स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की ओर उकसाने की कोशिश भी की। उसकी गतिविधियों ने वाराणसी जैसे संवेदनशील शहर में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा और सोशल मीडिया का दुरुपयोग
तुफैल और हारून का मामला सोशल मीडिया के दुरुपयोग और हनी ट्रैप के खतरों को उजागर करता है। नफीसा जैसे हैंडलर्स भारतीय नागरिकों को भावनात्मक और धार्मिक जाल में फंसाकर जासूसी और कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। तुफैल के कई व्हाट्सएप ग्रुप्स और 600 से अधिक पाकिस्तानी नंबरों से संपर्क इस बात का सबूत हैं कि ISI का नेटवर्क भारत में गहरे तक फैला हुआ है।
यह मामला यह भी दर्शाता है कि कैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल संवेदनशील जानकारी लीक करने और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए किया जा रहा है। तुफैल की जीपीएस लोकेशन ऑन रखने की गलती ने ISI को भारत के महत्वपूर्ण स्थलों की सटीक जानकारी दी, जो संभावित आतंकी साजिशों के लिए इस्तेमाल हो सकती थी।
सतर्कता और सुरक्षा की जरूरत
तुफैल, हारून और शहजाद की गिरफ्तारी ने ISI के जासूसी और फंडिंग नेटवर्क को उजागर किया है, लेकिन यह मामला समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी है। सोशल मीडिया पर संदिग्ध संपर्कों से सावधान रहना और कट्टरपंथी विचारधारा से दूरी बनाना आज के समय की जरूरत है। ATS की त्वरित कार्रवाई ने इस साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया, लेकिन यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती है कि ऐसे नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं।
तुफैल की कहानी यह सिखाती है कि भावनात्मक और मजहबी उकसावे में आकर लिए गए कदम देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं। यह मामला न केवल जासूसी की साजिश को उजागर करता है, बल्कि समाज को एकजुट होकर ऐसी गतिविधियों के खिलाफ खड़े होने का संदेश भी देता है।