बरेली, उत्तर प्रदेश: बरेली के जोगी नवादा में रविवार को मुहर्रम 2025 का तख्त जुलूस निकला। मौर्य गली, जहाँ हिंदू समुदाय की बहुलता है, वहाँ लोगों ने जुलूस पर फूल बरसाए और गले मिलकर सौहार्द का परिचय दिया। 32 साल पुराना विवाद, जो हर साल तनाव का कारण बनता था, आखिरकार खत्म हो गया। पुलिस और स्थानीय लोगों की मेहनत ने इस बार इतिहास रच दिया। आइए, इस भाईचारे की कहानी को थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
क्या था विवाद?
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, जोगी नवादा की मौर्य गली में एक पीपल का पेड़ सालों से झगड़े की जड़ था। इसकी डाल राकेश नाम के शख्स की छत पर लटकती थी, जिससे सड़क पर ऊँचे ताजिए या वाहन निकालना मुश्किल था। ताजियेदार ताजियों की ऊँचाई कम नहीं करते थे, तो सड़क को छह फुट गहरा खोदकर जुलूस निकाला जाता था। इससे कांवड़ यात्रा के दौरान तनाव होता था। 2023 में यह विवाद इतना बढ़ा कि तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी का तबादला हो गया और कई पुलिसकर्मी निलंबित हुए।
पुलिस ने कैसे सुलझाया?
एसएसपी अनुराग आर्य ने इस बार कमर कस ली। सीओ पंकज श्रीवास्तव ने डेढ़ महीने में दोनों समुदायों के साथ 18 बैठकें कीं। कोई बाहरी नेता नहीं, सिर्फ स्थानीय लोग शामिल हुए। दो दिन पहले जोगी नवादा चौकी पर हुई सभा में दोनों पक्ष गले मिले और पुरानी कड़वाहट भूलने का वादा किया। रविवार को जब तख्त जुलूस निकला, तो महंत राकेश कश्यप, बनवारी लाल शर्मा, और संजीव दद्दा जैसे लोगों ने शाहनूरी मस्जिद के इमाम और अन्य को फूलमालाएँ पहनाईं। हिंदू पक्ष ने तख्त पर फूल बरसाए।
जुलूस में क्या हुआ?
जुलूस के दौरान माहौल देखने लायक था। मौर्य गली में भारी पुलिस बल तैनात था। एसपी सिटी मानुष पारीक, एडीएम सिटी सौरभ दुबे, और सीओ पंकज मौके पर थे। आरएएफ भी तैयार थी, लेकिन तनाव की जगह खुशी का माहौल रहा। एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा, “पेड़ की डाल कटने के बाद माहौल बदला। कुछ खुराफाती तत्वों ने विवाद बढ़ाया था, लेकिन अब लोग एकजुट हैं। कांवड़ और वारावफात के जुलूस भी शांति से निकलेंगे।”
भाईचारे की मिसाल
यह जुलूस सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बन गया। बरेली पुलिस की पहल की तारीफ हो रही है। एआईएमआईएम के नदीम कुरैशी ने कहा, “बातचीत से 32 साल पुराना विवाद हल करना पूरे प्रदेश के लिए नजीर है। बरेली पुलिस ने शानदार काम किया।” यह घटना दिखाती है कि आपसी समझ और पुलिस की मध्यस्थता से बड़े से बड़ा झगड़ा खत्म हो सकता है।
अब कांवड़ यात्रा की बारी
अब मौर्य गली में न मुहर्रम का जुलूस रुकेगा, न कांवड़ यात्रा। बरेली ने साबित कर दिया कि शांति और भाईचारा हर मुश्किल को हल कर सकता है। यह कहानी न सिर्फ जोगी नवादा, बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है।