हमीरपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहाँ मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुई शादी के बाद वधू पक्ष ने कथित तौर पर सरकारी अनुदान हड़पने के लिए दुल्हन का रिश्ता दूसरे लड़के से तय कर दिया। 2 जून 2025 को एक बारात घर में शादी का आयोजन था, लेकिन न दूल्हा आया, न दुल्हन, और न ही बाराती। मेहमान खाना खाकर चुपचाप लौट गए। यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।
सामूहिक विवाह में बंधा रिश्ता
खबरों के मुताबिक, मझगवां गाँव के अवध नरेश का रिश्ता पास के रौरौ गाँव की एक युवती से तय हुआ था। 23 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन में हिंदू रीति-रिवाजों से दोनों की शादी हुई। वधू पक्ष ने दुल्हन की विदाई बाद में करने की बात कही, जिस पर दोनों पक्षों में पंचायत के बाद सहमति बनी। अवध नरेश को भव्य विदाई का भरोसा देकर खाली हाथ लौटा दिया गया।
तीन महीने का इंतज़ार और धोखा
अवध नरेश तीन महीने तक अपनी पत्नी की विदाई का इंतज़ार करता रहा, लेकिन ससुराल वालों ने कोई कदम नहीं उठाया। 19 मई 2025 को उसे एक शादी का कार्ड मिला, जिसमें उसकी पत्नी का नाम था, लेकिन दूल्हे का नाम किसी और का। शादी की तारीख 2 जून 2025 थी। यह देखकर अवध नरेश गुस्से में ससुराल पहुँचा, लेकिन वहाँ उसे धमकाकर भगा दिया गया। उसने शादी रुकवाने के लिए प्रशासन से मदद माँगी।
बारात घर में सन्नाटा
2 जून 2025 को रौरौ के एक बारात घर में दूसरी शादी का आयोजन था। लेकिन अवध नरेश की शिकायत के बाद न तो दुल्हन वहाँ पहुँची, न दूसरा दूल्हा, और न ही बाराती आए। निमंत्रण पर आए मेहमानों ने खाना खाया और चुपचाप लौट गए। इस अनोखी स्थिति ने सभी को हैरान कर दिया।
सरकारी अनुदान के लिए धोखा?
अवध नरेश का आरोप है कि वधू पक्ष ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत मिलने वाले 51,000 रुपये के अनुदान को हड़पने के लिए यह धोखाधड़ी की। उसका कहना है कि ससुराल वालों ने जानबूझकर दुल्हन की विदाई नहीं की और उसका रिश्ता कहीं और तय कर दिया। यह मामला अब प्रशासन के सामने है, और जाँच की माँग उठ रही है।