Trump-China Trade War: टैरिफ विवाद (Tariff Dispute) ने वैश्विक जियोपॉलिटिक्स को गरमाया

Trump-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। भारी टैरिफ और प्रतिबंधों के नए दौर ने वैश्विक राजनीति को नई दिशा दे दी है। इस संघर्ष का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और तकनीकी समीकरणों पर भी दिखेगा।

Samvadika Desk
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Image Source - RawPixel | US President Donald Trump in White House
Highlights
  • Geopolitics की नई जंग: Trump-China Trade War ने बढ़ाई चिंता।
  • टैरिफ की जंग ने बदली राजनीति की दिशा।
  • Geopolitics में उबाल: अमेरिका-चीन का Tariff Dispute

नई दिल्ली: दुनिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच एक नई ट्रेड-वॉर (Trump-China Trade War) ने जियोपॉलिटिक्स (Geopolitics) के मैदान को आग लगा दी है। अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में चीन के आयातित सामानों पर 245% तक का टैरिफ विवाद (Tariff Dispute) थोप दिया है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक तनाव को नई ऊंचाई पर ले गया है। यह कदम, जो मंगलवार रात व्हाइट हाउस की ओर से जारी फैक्ट सीट में सामने आया, वैश्विक व्यापार और रणनीतिक संसाधनों की लड़ाई को और तेज कर सकता है।

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ट्रेड का तनाव: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने यह कदम चीन के जवाबी टैरिफ और हाल के निर्यात प्रतिबंधों के जवाब में उठाया है। चीन ने गैलियम, जर्मेनियम, और रेयर अर्थ मेटल्स जैसे हाई-टेक मटीरियल्स के निर्यात पर रोक लगाई, जो अमेरिकी सैन्य, एयरोस्पेस, और सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। बयान पर, अमेरिकी प्रशासन ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया, जो ट्रंप-चीन ट्रेड वॉर (Trump-China Trade War) को और गंभीर बनाता है।

चीन का पलटवार: दूसरी ओर, चीन ने भी चुप नहीं बैठा। मीडिया के हवाले से पता चला कि चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125% से बढ़ाकर 150% तक टैरिफ लगाया है। चीनी प्रवक्ता ने बयान में कहा, “टैरिफ विवाद (Tariff Dispute) में कोई विजेता नहीं होता। हम लड़ना नहीं चाहते, लेकिन डरते भी नहीं।” यह बयान चीन के मजबूत जियोपॉलिटिक्स (Geopolitics) रुख को दर्शाता है, जो वैश्विक मंच पर उनकी बढ़ती ताकत को दिखाता है।

जियोपॉलिटिक्स (Geopolitics) पर इसका प्रभाव: इस ट्रंप-चीन ट्रेड वॉर (Trump-China Trade War) का असर सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई देशों की आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र में। अमेरिका ने 75 से ज्यादा देशों के साथ नई ट्रेड डील्स की बातचीत शुरू की है, लेकिन चीन को इससे अलग रखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार के नक्शे को बदल सकता है, क्योंकि छोटे देश नई साझेदारियों की तलाश में हैं। साथ ही, तकनीकी और संसाधन नियंत्रण की होड़ तेज हो गई है, जो भविष्य की जियोपॉलिटिक्स (Geopolitics) को आकार देगी।

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आगे का रास्ता: इस टैरिफ विवाद (Tariff Dispute) में दोनों देश अपनी-अपनी स्थिति पर अड़े हैं। अमेरिका अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत करना चाहता है, जबकि चीन अपनी वैश्विक आपूर्ति शक्ति बनाए रखना चाहता है। जनरल नजरिए से, यह टकराव लंबा खिंच सकता है, और इसके परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरे असर डाल सकते हैं। क्या यह ठंडे युद्ध का नया रूप लेगा, या दोनों बातचीत की मेज पर आएंगे? अभी तो स्थिति अनिश्चित है, लेकिन इसका असर दुनिया भर में देखने को मिलेगा।

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