यूक्रेन-रूस तनाव: ज़ेलेंस्की का 30-दिन युद्धविराम प्रस्ताव, क्या मानेगा रूस?

World News: यूक्रेन-रूस तनाव के बीच राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर शांति प्रस्ताव को सामने रखा है। इस प्रस्ताव में 30-दिन का युद्धविराम शामिल है, जिसे अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश समर्थन दे चुके हैं। हालांकि, रूस अब भी अपने रूख पर कायम है और वार्ता में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दे रहा। ऐसे में यह पहल कूटनीति का परीक्षण बन गई है। क्या ज़ेलेंस्की शांति प्रस्ताव के ज़रिए यूक्रेन-रूस तनाव में अस्थायी राहत मिल सकेगी? या 30-दिन का युद्धविराम केवल एक और असफल कोशिश बनकर रह जाएगा?

Samvadika Desk
8 Min Read
Image - Rawpixel | Volodymyr Zelenskyy
Highlights
  • यूक्रेन-रूस तनाव के बीच ज़ेलेंस्की ने 30-दिन का युद्धविराम प्रस्ताव रखकर नई शांति पहल शुरू की।
  • 30-दिन का युद्धविराम सिर्फ एक प्रतीक है या वास्तविक रणनीतिक पहल?
  • पश्चिमी देशों ने ज़ेलेंस्की शांति प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन रूस का रवैया अब भी सख्त है।
  • यूक्रेन-रूस तनाव के 2 साल बाद भी युद्धविराम केवल प्रस्तावों तक सीमित क्यों है?
  • 30-दिन का युद्धविराम बन सकता है पहला कदम, अगर दोनों पक्षों में न्यूनतम सहमति बने।

नई दिल्ली: यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) के बीच जारी युद्ध के बीच राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने शांति की एक नई पहल की है। अपने आधिकारिक X पोस्ट्स में उन्होंने 30-दिन के पूर्ण और निःशर्त ज़ेलेंस्की शांति प्रस्ताव को दोहराया, जो 39 दिन पहले अमेरिका (United States) की मध्यस्थता में पेश किया गया था। लेकिन रूस की चुप्पी और मोर्चे पर जारी हमले इस पहल को चुनौती दे रहे हैं। दूसरी ओर, रूस का दावा है कि यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगी युद्ध को भड़का रहे हैं। क्या यह यूक्रेन-रूस तनाव का नया मोड़ है, या दोनों पक्षों की रणनीति इसे और जटिल बना रही है? आइए, इस जियोपॉलिटिक्स के खेल को गहराई से समझते हैं।

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स्थिति का जायजा: मोर्चे पर तनाव और दावे

ज़ेलेंस्की (Zelenskyy) के हालिया X पोस्ट्स (19 अप्रैल 2025) में कमांडर-इन-चीफ ओलेक्ज़ांदर सिर्स्की (Oleksandr Syrskyi) की रिपोर्ट के आधार पर बताया गया कि कुर्स्क (Kursk) और बेलगोरोद (Belgorod) क्षेत्रों में रूसी हमले जारी हैं, भले ही व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने ईस्टर (Easter) के मौके पर चुप्पी का वादा किया था। रूसी तोपखाने और ड्रोन गतिविधियाँ मोर्चे पर सक्रिय हैं, हालाँकि कुछ क्षेत्रों में शांति की उम्मीद जगी है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि यूक्रेन की प्रतिक्रिया सममित होगी—चुप्पी का जवाब चुप्पी और हमले का जवाब जवाबी कार्रवाई से।

रूस की ओर से, क्रेमलिन (Kremlin) ने दावा किया कि यूक्रेन अपने पश्चिमी समर्थन के दम पर उकसावे की कार्रवाइयाँ कर रहा है, खासकर कुर्स्क और बेलगोरोद जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में। रूसी रक्षा मंत्रालय (Russian Ministry of Defense) का बयान है कि उनकी सेनाएँ आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई कर रही हैं, और यूक्रेन के हमले रूस की सीमा सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। दोनों पक्षों के दावों के बीच सच्चाई का पता लगाना मुश्किल है, लेकिन मोर्चे पर तनाव बरकरार है।

शांति प्रस्ताव: एक कूटनीतिक दांव

30-दिन का युद्धविराम प्रस्ताव अमेरिका (United States) की पहल पर आधारित है, जिसे यूक्रेन ने तुरंत स्वीकार कर लिया। ज़ेलेंस्की (Zelenskyy) ने सुझाव दिया कि अगर रूस (Russia) इस पर सहमत होता है, तो युद्धविराम 20 अप्रैल (Easter) के बाद बढ़ाया जा सकता है। यह कदम रूस की मंशा को परखने का प्रयास है, क्योंकि 30 घंटे का ब्रेक प्रचार के लिए काफी है, लेकिन शांति के लिए 30 दिन जरूरी हैं। यह प्रस्ताव पश्चिमी सहयोगियों के साथ यूक्रेन की साझेदारी को मजबूत करता है, जो रूस पर दबाव बनाने का औजार बन सकता है।

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रूस की ओर से, विदेश मंत्रालय (Russian Foreign Ministry) ने इस प्रस्ताव को “यूक्रेन और नाटो (NATO) की चाल” करार दिया है, जिसमें रूस को कमजोर करने की साजिश है। उनका कहना है कि यूक्रेन की सेनाएँ रूस की सीमाओं पर हमले कर रही हैं, और युद्धविराम का मतलब उनकी सुरक्षा को खतरे में डालना होगा। रूस ने शांति वार्ता के लिए शर्त रखी है कि यूक्रेन अपने सैनिकों को पीछे हटाए, जिसे कीव (Kyiv) ने अस्वीकार कर दिया है। यह टकराव कूटनीति को जटिल बना रहा है।

जियोपॉलिटिक्स का नक्शा: पश्चिम बनाम रूस

यह संकट वैश्विक शक्ति संतुलन का हिस्सा है। अमेरिका (United States) और नाटो (NATO) का समर्थन यूक्रेन (Ukraine) को मजबूत कर रहा है, और ज़ेलेंस्की (Zelenskyy) ने अपने सहयोगियों के साथ शांति की दिशा में काम करने की बात कही। यह पश्चिमी देशों के लिए एक संकेत है कि यूक्रेन अपने बचाव और कूटनीति में एकजुट है। लेकिन रूस (Russia) का दावा है कि पश्चिमी हथियार और धन यूक्रेन को उकसा रहे हैं, जो युद्ध को और भड़का रहा है।

रूस के लिए यह युद्ध भू-राजनीतिक वर्चस्व का सवाल है। कुर्स्क (Kursk) और बेलगोरोद (Belgorod) पर नियंत्रण रूस की सीमाओं की सुरक्षा और प्रभाव को बढ़ाने का जरिया है। ज़ेलेंस्की का आरोप कि पुतिन (Putin) युद्ध को लंबा खींच रहे हैं, रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव को बढ़ाता है। दूसरी ओर, रूस का कहना है कि यूक्रेन और पश्चिम की नीतियाँ रूस को घेरने का प्रयास हैं, जिसके जवाब में उनकी सैन्य कार्रवाइयाँ हैं। यह तनाव यूक्रेन को पश्चिम के करीब और रूस को चीन (China) जैसे सहयोगियों की ओर धकेल सकता है।

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सैन्य स्थिति: दोनों पक्षों की रणनीति

ज़ेलेंस्की (Zelenskyy) के X पोस्ट्स में साफ है कि यूक्रेन अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। सिर्स्की (Syrskyi) की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि रूसी हमले जारी हैं, और यूक्रेन जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। 21:30 और 22:00 बजे अपडेट्स की उम्मीद जताई गई, जो मोर्चे की स्थिति को समझने का आधार होंगे। रूस का दावा है कि उनकी सेनाएँ यूक्रेन के उकसावे का जवाब दे रही हैं, और ड्रोन व तोपखाने का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए है।

यूक्रेन की सावधानी और रूस की जवाबी कार्रवाई इस यूक्रेन-रूस तनाव को और गहरा रही है। दोनों पक्षों की सैन्य गतिविधियाँ जियोपॉलिटिक्स में उनकी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास हैं, लेकिन यह भी साफ है कि कोई भी पक्ष अभी पीछे हटने को तैयार नहीं है।

भविष्य का परिदृश्य: शांति या संघर्ष?

अगर रूस (Russia) 30-दिन का युद्धविराम स्वीकार करता है, तो यह कूटनीति का एक बड़ा कदम हो सकता है, जो युद्ध को कम करने का रास्ता खोलेगा। लेकिन रूस की मौजूदा स्थिति और यूक्रेन से शर्तें इसकी संभावना को कम करती हैं। ज़ेलेंस्की (Zelenskyy) का ईस्टर के बाद विस्तार का प्रस्ताव रूस को जवाब देने के लिए मजबूर कर सकता है, लेकिन अगर मॉस्को इनकार करता है, तो तनाव बढ़ेगा।

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पश्चिमी देशों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। अमेरिका (United States) और नाटो (NATO) की सहायता यूक्रेन को मजबूत कर रही है, लेकिन रूस के लिए चीन (China) और उत्तर कोरिया (North Korea) जैसे सहयोगी इस युद्ध को लंबा खींचने में मदद कर सकते हैं। ट्रंप प्रशासन की नीतियाँ भी इस गतिरोध को प्रभावित कर सकती हैं। जियोपॉलिटिक्स में यह त्रिकोणीय संघर्ष यूक्रेन के भविष्य को तय करेगा।

निष्कर्ष: शांति का रास्ता कठिन, लेकिन संभव

ज़ेलेंस्की का ज़ेलेंस्की शांति प्रस्ताव एक साहसिक कदम है, जो युद्ध को खत्म करने की इच्छा दिखाता है, लेकिन रूस की चुप्पी और अपने दावों ने इसे चुनौती दी है। यूक्रेन अपनी रक्षा और कूटनीति के साथ तैयार है, जबकि रूस अपनी सीमा सुरक्षा और वर्चस्व को प्राथमिकता दे रहा है। यह जियोपॉलिटिक्स का एक ऐसा मोड़ है, जहाँ शांति की उम्मीद और युद्ध की वास्तविकता आमने-सामने हैं। दोनों पक्षों की मंशा ही तय करेगी कि यह तनाव कब और कैसे खत्म होगा। दुनिया की निगाहें कीव (Kyiv) और मॉस्को (Moscow) पर हैं—क्या शांति चुनी जाएगी, या युद्ध और गहराएगा?

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नोट: यह विश्लेषण ज़ेलेंस्की के आधिकारिक X पोस्ट्स और रूस की आधिकारिक प्रतिक्रियाओं पर आधारित है।

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